दारुहल्दी (berberry) ; बवासीर या bleeding हो , या फिर आँतों में सूजन हो तो , दारुहल्दी की 5-10 ग्राम जड़ों को 400 ग्राम पानी में धीमे धीमे पकाएं । जब एक चौथाई रह जाए तो छानकर पी लें । इस काढ़े को सुबह शाम नियमित रूप से लेने पर ये बीमारियाँ ठीक होती हैं ।
चांगेरी (indian sorrel) ; बवासीर या piles की बीमारी में इसको ताज़ी लें , या फिर इसकी सूखी पत्तियों का पावडर 1-2 ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लें ।
शिरीष ; Piles में इसके बीज पीसकर लगायें . मस्से सूख जायेंगे ।
नागदोन ; अगर piles की समस्या है तो इसके तीन छोटे पत्ते काली मिर्च के साथ सवेरे सवेरे पांच दिन तक खा लें या फिर एक चम्मच रस सवेरे खाली पेट लें ।
महनिम्ब , बकायन ( bead tree) ; अगर constipation हो और piles की शिकायत हो तो इसके सूखे बीजों का 3 ग्राम पावडर खाली पेट ताज़े पानी या छाछ के साथ सवेरे शाम लें ।
भृंगराज ; Piles की समस्या हो या anus पर सूजन हो तो भृंगराज के पत्ते और डंठल मिलाकर 50 ग्राम लें +20 ग्राम काली मिर्च लें । अब इनको मिलाकर काले चने जितनी गोलियां बना लें । एक एक गोली सवेरे शाम लें ।
कुटज (इन्द्रजौ ) ; ख़ूनी बवासीर में इसकी छाल का 2-3 gram पावडर पानी के साथ दें ।
शतावर (asparagus) ; Blood dysentery है या piles है तो ताज़े शतावर की जड़ और मिश्री पीसकर लें।
सफ़ेद प्याज ( white 0nion) ; बवासीर हो तो प्याज़ के रस में मिश्री मिलाकर लें ।
वरुण (three leaf caper) ; Piles या anus की कोई भी समस्या हो तो 5gm वरुण की छाल और 3gm त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बनाएं और पीयें।
आँवला ; बवासीर में इसका रस लेना लाभदायक रहता है ।
करेला (bitter gourd) ; इसके रस से बवासीर की शिकायत भी दूर होती है ।
गेंदा (african merigold ) ; Piles की समस्या हो या anus बाहर आने की , इसके फूलों की 3 ग्राम पत्तियां पीसकर , मिश्री मिलाकर खाली पेट खाएं । Piles में इसकी हरी पत्तियों का 4-5 चम्मच रस सवेरे शाम खाली पेट लिया जा सकता है ।
छुईमुई (touch me not) ; यदि bleeding हो रही है piles की, तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ पीसकर उसे दही में मिलाकर प्रात:काल ले लें ,या इसके पांच ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ ।
खजूर (dates) ; अगर बवासीर की बीमारी हो तो खजूर बहुत कम खाने चाहिए ।
गूलर (cluster fig) ; अगर भगन्दर या piles के मस्से हो गए हों तो इसके दूध (टहनी तोड़ने पर दूध निकलता है ) को रुई में भिगोकर लगा दें ।
पलाश (flame of the forest ) ; इसके फूल या पत्तियों के शर्बत के प्रयोग से बवासीर में लाभ होता है |
जामुन ; Piles हों तो इसकी कोमल पत्तियों का काढ़ा पीयें।
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