मूली ; अगर कान में दर्द है या साँय साँय की आवाज़ आती है तो 200 ग्राम मूली के पत्तों में 50 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं । जब केवल तेल रह जाए तो इसे शीशी में भरकर रख लें । इस तेल की बूँदें कान में डालने से कान की पीड़ा से छुटकारा मिलता है ।
कान में छेद हो जाने पर , या किसी अन्य वजह से कान बहने लगता है . उस पस में बहुत दुर्गन्ध आती है और कई बार तो आपरेशन कराने के बावजूद भी कान का छेद नहीं भरता .
15-20 मिनट कपालभाति और इतनी ही देर अनुलोम -विलोम प्राणायाम नियमित रूप से किया जाए तो कान का छेद निश्चित रूप से भर जाता है .
इसके अतिरिक्त हाथ की छोटी अंगुली और ring finger के नीचे वाला हथेली का point खाली पेट नियमित रूप से दबाना चाहिए .
चन्द्रप्रभावटी+शिलाजीत रसायन + सारिवादी वटी; तीनों की एक एक गोली सुबह शाम खाने के बाद लें .
कान के अंदर फुंसी हो तो थोडा कायाकल्प तेल रुई की सहायता से लगा लें . कायाकल्पवटी और गिलोय घनवटी की एक एक गोली खा सकते हैं . ज्यादा फुंसियाँ हों तो आरोग्यवटी भी साथ में ले सकते हैं .
कान में दर्द हो रहा हो तो सुदर्शन का अर्क ड़ाल सकते हैं . सुदर्शन का पत्ता थोडा आग पर सेककर निचोड़ा जाए तो जो बूँद निकलती हैं उसे कान में डालने से भी कान के दर्द में आराम आता है।
निम्न पौधों का प्रयोग भी लाभदायक है :
सरसों ; सरसों के तेल से कान के दर्द , किसी प्रकार का संक्रमण या कम सुनने की समस्या भी ठीक होती है । स्नान करने से पहले सरसों का तेल कान में डालना लाभदायक बताया जाता है ।
शिरीष ; कान में समस्या होने पर इसकी पत्तियां गर्म करके उसका रस दो बूँद कान में ड़ाल सकते हैं ।
पत्थरचट (bryophyllum) ; कान में दर्द हो तो इसके पीले पत्ते को गर्म करके उसके रस की दो बूँद कान में ड़ाल लें ।
भृंगराज ; कान में दर्द या पस है तो भी इसके पत्तों के रस की बूँदें डाली जा सकती हैं |
बेल ; कान के दर्द के लिए इसका तेल दो तीन बूँद कान में ड़ाल सकते हैं । इसके लिए इसके पत्ते कूटकर तेल में पका लें । जब केवल तेल बच जाए तो उसका प्रयोग करें । इसे बिल्वादी तेल कहते हैं ।
तुलसी (holi basil) ; कान में दर्द हो तो इसकी 25 पत्तियां 50 ग्राम तेल में पकाकर छान लें और 2-2 बूँद डालें ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; कान में पस है या दर्द है तो इसका रस गर्म करके डालें ।
नागफनी (prickly pear) ; कान में परेशानी हो तो इसका पत्ता गर्म करके दो-दो बूँद रस डालें ।
धतूरा ( prickly poppy) ; कानों की पीड़ा के लिए ,पत्तों का रस 100 ग्राम 25 ग्राम लहसुन 10 ग्राम नीम के पत्ते 50 ग्राम सरसों के तेल में धीमी आंच पर पकाएं । जब केवल तेल रह जाए, तो छानकर शीशी में भर लें । कान में दर्द हो तो एक दो बूँद टपका दें ।
भाँग (cannabis) ; कान में दर्द हो तो इसके पत्तों का रस दो बूँद की मात्रा में कान में डाल सकते हैं ।
गेंदा (african merigold ) ; कान में पस या दर्द हो तो इसके पत्तों का रस पीसकर 2-2 बूँद कान में टपकाएं ।
अपामार्ग , लटजीरा ; अपामार्ग के पत्तों का रस दो बूँद कान में डालने पर कान के दर्द से छुटकारा मिलता है ।
थूहर (milk bush) ; अगर कर्ण रोग है तो इसके पीले पड़े हुए पत्तों को गर्म करके कान में दो दो बूँद रस ड़ाल सकते हैं ।
श्योनाक , टोटला ; कान में दर्द हो तो इसकी 100 ग्राम छाल कूटकर 100 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं । जब केवल तेल रह जाए तो शीशी में भर कर रख लें । इसे दो - दो बूँद कान में डालें ।
शीशम ; कान में दर्द हो तो इसकी कोमल पत्तियों का रस दो-दो बूँद कान में डालें।
सुदर्शन ; कान में भयंकर पीड़ा या दर्द हो तो इसकी पत्तियां तोड़कर, गर्म करके, 4-4 बूँद कान में डालें । तुरंत राहत मिलेगी ।
कान में छेद हो जाने पर , या किसी अन्य वजह से कान बहने लगता है . उस पस में बहुत दुर्गन्ध आती है और कई बार तो आपरेशन कराने के बावजूद भी कान का छेद नहीं भरता .
15-20 मिनट कपालभाति और इतनी ही देर अनुलोम -विलोम प्राणायाम नियमित रूप से किया जाए तो कान का छेद निश्चित रूप से भर जाता है .
इसके अतिरिक्त हाथ की छोटी अंगुली और ring finger के नीचे वाला हथेली का point खाली पेट नियमित रूप से दबाना चाहिए .
चन्द्रप्रभावटी+शिलाजीत रसायन + सारिवादी वटी; तीनों की एक एक गोली सुबह शाम खाने के बाद लें .
कान के अंदर फुंसी हो तो थोडा कायाकल्प तेल रुई की सहायता से लगा लें . कायाकल्पवटी और गिलोय घनवटी की एक एक गोली खा सकते हैं . ज्यादा फुंसियाँ हों तो आरोग्यवटी भी साथ में ले सकते हैं .
कान में दर्द हो रहा हो तो सुदर्शन का अर्क ड़ाल सकते हैं . सुदर्शन का पत्ता थोडा आग पर सेककर निचोड़ा जाए तो जो बूँद निकलती हैं उसे कान में डालने से भी कान के दर्द में आराम आता है।
निम्न पौधों का प्रयोग भी लाभदायक है :
सरसों ; सरसों के तेल से कान के दर्द , किसी प्रकार का संक्रमण या कम सुनने की समस्या भी ठीक होती है । स्नान करने से पहले सरसों का तेल कान में डालना लाभदायक बताया जाता है ।
शिरीष ; कान में समस्या होने पर इसकी पत्तियां गर्म करके उसका रस दो बूँद कान में ड़ाल सकते हैं ।
पत्थरचट (bryophyllum) ; कान में दर्द हो तो इसके पीले पत्ते को गर्म करके उसके रस की दो बूँद कान में ड़ाल लें ।
भृंगराज ; कान में दर्द या पस है तो भी इसके पत्तों के रस की बूँदें डाली जा सकती हैं |
बेल ; कान के दर्द के लिए इसका तेल दो तीन बूँद कान में ड़ाल सकते हैं । इसके लिए इसके पत्ते कूटकर तेल में पका लें । जब केवल तेल बच जाए तो उसका प्रयोग करें । इसे बिल्वादी तेल कहते हैं ।
तुलसी (holi basil) ; कान में दर्द हो तो इसकी 25 पत्तियां 50 ग्राम तेल में पकाकर छान लें और 2-2 बूँद डालें ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; कान में पस है या दर्द है तो इसका रस गर्म करके डालें ।
नागफनी (prickly pear) ; कान में परेशानी हो तो इसका पत्ता गर्म करके दो-दो बूँद रस डालें ।
धतूरा ( prickly poppy) ; कानों की पीड़ा के लिए ,पत्तों का रस 100 ग्राम 25 ग्राम लहसुन 10 ग्राम नीम के पत्ते 50 ग्राम सरसों के तेल में धीमी आंच पर पकाएं । जब केवल तेल रह जाए, तो छानकर शीशी में भर लें । कान में दर्द हो तो एक दो बूँद टपका दें ।
भाँग (cannabis) ; कान में दर्द हो तो इसके पत्तों का रस दो बूँद की मात्रा में कान में डाल सकते हैं ।
गेंदा (african merigold ) ; कान में पस या दर्द हो तो इसके पत्तों का रस पीसकर 2-2 बूँद कान में टपकाएं ।
अपामार्ग , लटजीरा ; अपामार्ग के पत्तों का रस दो बूँद कान में डालने पर कान के दर्द से छुटकारा मिलता है ।
थूहर (milk bush) ; अगर कर्ण रोग है तो इसके पीले पड़े हुए पत्तों को गर्म करके कान में दो दो बूँद रस ड़ाल सकते हैं ।
श्योनाक , टोटला ; कान में दर्द हो तो इसकी 100 ग्राम छाल कूटकर 100 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं । जब केवल तेल रह जाए तो शीशी में भर कर रख लें । इसे दो - दो बूँद कान में डालें ।
शीशम ; कान में दर्द हो तो इसकी कोमल पत्तियों का रस दो-दो बूँद कान में डालें।
सुदर्शन ; कान में भयंकर पीड़ा या दर्द हो तो इसकी पत्तियां तोड़कर, गर्म करके, 4-4 बूँद कान में डालें । तुरंत राहत मिलेगी ।
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