जौ ( barley ) ; भुने हुए जौ के आटे से बना हुआ सत्तू शीतल और पौष्टिक पेय होता है । मीठा और ठंडा सत्तू गर्मी के दिनों में पीने से पित्त शांत होता है और शीतलता मिलती है । मिश्री मिलाकर पीने से अधिक शीतलता मिलती है । इसका दलिया रात को मिटटी के बर्तन में पानी में भिगो दें। सवेरे इसका पानी निथारकर पीने से शीतलता व शक्ति मिलती है । बचे हुए दलिए को ऐसे ही पका लें या फिर खीर बना लें । इससे ताकत बढती है।
ककड़ी ; ककडी को संस्कृत भाषा में कर्कटी कहा जाता है । यह गर्मी की ऋतु में खूब पैदा होती है और शरीर की गर्मी और उससे उत्पन्न व्याधियों को समाप्त करती है । इसे मधुर रस से युक्त माना गया है । यह पित्तनाशक है । इसके बीजों को ठंडाई में डाला जाता है ।
खस (grass ) ; प्यास बहुत अधिक लगती हो तो इसकी जड़ कूटकर पानी में ड़ाल दें .। बाद में छानकर पानी पी लें । यह शीतल अवश्य है ; परन्तु इसे लेने से arthritis बढ़ता नहीं है ।
बेल ; स्वप्नदोष या उत्तेजना रहती हो तो सवेरे सवेरे इसकी 8-10 पत्तियों का शर्बत मिश्री मिलाकर पी लें । समय न हो तो पत्तियां चबाकर पानी पी लें । इससे शरीर की अधिक गर्मी और उत्तेजना शान्त होती है । पके हुए फल में बहुत मधुर सुगंध आती है . इसका शरबत शीतल और पौष्टिक होता है |
धातकी ,धाय (woodfordia) ; अगर हाथ पैरों में जलन हो तो इसकी 2-3 ग्राम पत्तियों का रस ले लें । गुलाबजल में इसके फूलों को पीसकर लगायें ।
जलजमनी (broom creeper) ; दाह या जलन हो तो, इसकी पत्तियों के रस का शर्बत या सूखा पावडर एक एक ग्राम पानी के साथ लें ।
गुड़हल, जबाकुसुम (china rose, shoe flower) ; गर्मी में इसके फूलों की पत्तियों का शर्बत पीयें ।
शतावर (asparagus) ; हाथ पैर में जलन होती हो तब शतावर की जड़ का पाउडर और मिश्री मिलाकर लें ।
सेमल (silk cotton tree ) ; सेमल का गोंद रात को भिगोकर सवेरे मिश्री मिलाकर खाने से शरीर की गर्मी दूर होती है और ताकत आती है ।
खीरा (cucumber) ; इसके बीज पौष्टिक होते हैं पर उष्ण नहीं होते । एक भाग खीरे के बीजों के साथ दो भाग आंवला मिलाएं और सवेरे शाम लें । इससे शरीर में जलन या दाह की अनुभूति होती हो तो वह खत्म हो जाएगी । इसके बीज गर्मीशामक होते हैं । ठंडाई ; खीरे के बीज +ककडी के बीज +खरबूजे के बीज +तरबूज के बीज +पेठे के बीज +सौंफ +मिश्री इन सबको मिलाकर बनाई जाती है और बहुत शीतल होती है ।
आँवला ; इसके फलों का रस कांच की शीशी में भरकर धूप लगायें । यह खराब नहीं होगा । फिर 15 ml एक गिलास पानी में मिलाकर, मिश्री मिलाकर पीयें । इससे गर्मी कम लगेगी । बहुत गर्मी लगती हो तब भी इसका रस नियमित रूप से लें ।
धनिया (coriander) ; गर्मी से बुखार हो या भूख न लगती हो तो तीन चार ग्राम धनिए को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिला दें । काढ़ा मतलब कि आधा पानी कढ जाए या उड़ जाए तो बचा हुआ solution छानकर दे दें ।
पालक (spinach ) ; पालक के थोड़े से रस में पानी और चीनी मिलाकर शरबत बनायें । गर्मी भी भागेगी और iron भी मिलेगा ।
मेंहदी (henna ) ; हाथ में जलन होती हो , पसीना अधिक आता हो , बिवाई बहुत फटती हों तो इसके पत्ते पीस कर लेप करें ।
गर्मी बहुत ज्यादा लगती हो या पीलिया हो गया हो तो 3-4 ग्राम पत्तियां लेकर पीस लें और 300-400 ग्राम पानी में रात को मिटटी के बर्तन में भिगो दें । सवेरे इसमें मिश्री मिलाकर खाली पेट पीयें । इससे hormones का असंतुलन भी ठीक होता है ।
गिलोय ; शरीर में गर्मी अधिक है तो इसे कूटकर रात को भिगो दें और सवेरे मसलकर शहद या मिश्री मिलाकर पी लें ।
गूलर (cluster fig) ; हाथों पैरों में जलन होती हो तो इसकी कोमल पत्तियाँ और मिश्री मिलाकर लें ।
ब्राह्मी ; गर्मी के रोग होने पर 3 ग्राम ब्राह्मी +3 ग्राम काली मिर्च मिलाकर पीसकर शर्बत बनायें और मिश्री मिलाकर पी लें। हाथ-पैरों में जलन हो तो इसके पत्तों का एक चम्मच रस शहद के साथ लें।
शीशम ; इस वृक्ष के पत्ते बहुत ठंडक प्रदान करते हैं। गर्मियों में बहुत प्यास लग रही हो तो , इसके 5-7 पत्तों को पीसकर , मिश्री मिलाकर शर्बत बनाकर पी लें।
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