Sunday, December 14, 2014

मुँह के छाले !

जिनकी पित्त की प्रकृति होती है , उन्हें शरीर की गर्मी बढने पर मुंह में छाले हो जाते हैं . ये लम्बे समय तक नहीं रहने चाहियें .
       ऐसे लोगों को सवेरे उठकर खूब पानी पीना चाहिए . खाली पेट गेहूँ का ज्वारा+गिलोय +aloe vera इन तीनों का रस पीना चाहिए . गर्म चीज़ें बिलकुल नहीं खानी चाहियें . सलाद , अंकुरित दालें और अंकुरित अन्न अधिक खाना चाहिए .
                        पका हुआ खाना कम खाना चाहिए . कच्चे सलाद और फल आदि ज्यादा खाना चाहिए .
            एक प्रयोग बहुत से रोगियों पर आजमाया गया और शत प्रतिशत कारगर रहा . नीले थोथे को तवे पर डालकर सेकें . पहले वह पिघलेगा ; फिर solid brown सा हो जाएगा . इसे एक चुटकी भर लेकर , एक चम्मच पानी में घोल लें . फिर यह घोल रुई में बिलकुल मामूली सा लेकर , सावधानीपूर्वक केवल छाले पर लगा दें . मुंह खुला रखें . पांच मिनट तक लार बाहर बहने दें . फिर अच्छी तरह  कुल्ला कर लें . छाला एक ही बार में अच्छा हो जाएगा . लार बाहर ही बहती रहे , अंदर न जाने पाए यह सावधानी रखनी है .
                                पांच पांच  शीशम के पत्ते और बेलपत्र मिलाकर , पीसकर शर्बत बनाकर, नियमित रूप से पी सकते हैं .
                                                         सभी प्राणायाम करने हैं . लेकिन मुंह में छाले होने पर शीतली , सीत्कारी और चन्द्रभेदी प्राणायाम विशेष रूप से लाभकारी हैं .
                                                               जीभ को roll करके, हवा को जीभ के बीच में से खींचते हुए,  मुंह से अन्दर लिया जाए और जब फेफड़े भर जाएँ;  तो नाक से बाहर निकाला जाए ; इसे शीतली प्राणायाम कहते हैं .
       दांतों को आपस में अच्छे से दबा कर, होठ खोल कर, हवा जोर से मुंह के अंदर ली जाए और फिर नाक से बाहर निकाली जाए . यह सीत्कारी प्राणायाम होता है . इसमें जीभ की tip बिलकुल दांतों के पास होती है . इस तरह हवा खींचने पर जीभ की tip ठंडी हो जाती है .
             बार बार बाँये नथुने से सांस अन्दर भरकर कुछ देर बाद दाँये नथुने से वायु बाहर निकालने को चन्द्र्भेदी प्राणायाम कहते हैं।
इसके अतिरिक्त कुछ पौधों का प्रयोग भी किया जा सकता है :

अमरुद(gvava)  ;   ।इसके पत्तों को कूटकर उसमें नमक और लौंग मिलाकर उबाल लें । इस पानी से गरारे और कुल्ले करें । इससे मुख की दुर्गन्ध भी दूर होगी और मुँह  के छाले भी ठीक हो जायेंगे । मुंह में छाले हो गए हों तो इसकी कोमल पत्तियाँ चबाएँ । इन्हें निगल भी सकते हैं । तब भी यह लाभ ही करेंगी ।

भुइं आंवला ;    इसमें शरीर के विजातीय तत्वों को दूर करने की अद्भुत क्षमता है । मुंह में छाले हों तो इनके पत्तों का रस चबाकर निगल लें या बाहर निकाल दें।  यह  मसूढ़ों के लिए भी अच्छा है और  मुंह पकने पर भी लाभ करता है ।

अमलतास (purging cassia )  ;    मुंह में छाले हों , घाव हों या स्वर भंग की समस्या हो तो , अमलतास की पत्तियाँ उबालकर , नमक मिलाकर , गरारे करें ।  

कीकर या बबूल  ;    इसकी पत्तियां चबाकर, मसूढ़ों की मालिश करने के बाद थूक दें ।  इससे मुंह के छाले भी ठीक होते हैं । 

बहेड़ा ( bellaric myrobalan) ;  मुंह में लार कम बनती हो या फिर आवाज़ स्पष्ट न हो तो इसके फल के छिलके का चूर्ण शहद के साथ चाटें।                 

ममीरा ( gold thread  cypress)  ;   दांत दर्द हो या मुंह में घाव और छाले हो गये हों तो इसकी पत्तियां चबाएं |  इससे मसूढ़े भी मजबूत होंगे | 

निर्गुण्डी ( vitex negundo) ;  अगर छाले हो हए हैं तो इसके पत्ते उबालकर गरारे और कुल्ले करें |  इससे मुख की बदबू भी खत्म होती है | 

 तुम्बरू (toothache tree) ;   इसके दातुन से दांत साफ़ करते रहने से लारग्रंथियों का स्राव बढ़ जाता है ।  इसके दो चार बीजों को मुंह में रखने से भी लार का स्राव बढ़ जाता है जो कि दांतों को भी स्वस्थ रखता है और पाचन में भी सहायक है । 

महानिम्ब, बकायन ( bead tree)  ;  मुंह में छाले हों , मसूढ़ों में सूजन हो और दुर्गन्ध आती हो तो इसकी छाल पानी में उबालकर , फिटकरी मिलाकर , कुल्ले करें । 

बेल  ;   मुंह में छाले हो गये हों तो इसकी पत्तियां चबाकर कुल्ला कर लें । 

दूब (grass)  ;   मुंह में छाले हों तो इस घास के रस में फिटकरी मिलाकर कुल्ले करें ।   

गुड़हल, जबाकुसुम, (shoe flower, china rose)  ; मुंह में छाला हो गया है तो , इसकी तीन चार पत्तियों को चबाकर , मुंह में घुमाते रहें । फिर मुंह की लार थूक दें या फिर निगल भी सकते हैं ।  यह पेट के लिए भी अच्छा है ।   

अंगूर (मुनक्का ) grapes ;  मुंह में छाले हों तो 10-15 जामुन के पत्ते और  10-15 मुनक्का मिलाकर पानी में पकाएंऔर कुल्ले करें ।  

करेला (bitter gourd)  ; मुंह के छालों के लिए पत्तियों का रस छालों पर लगाकर लार बाहर निकाल दें ।  करेले का रस भी यही काम करेगा । 

मेंहदी (henna )  ;   अगर मुंह में छाले हो गये हों तो इसके पत्तों को पानी में उबालकर कुल्ले करें , या पत्तियों को मुंह में थोड़ी देर चबाएं और थूक दें । छाले ठीक हो जायेंगे । 

अपामार्ग , लटजीरा  ;  अगर मुंह में छाले हो गए हैं तो , इसकी पत्तियां मुंह में चबाएं और थूक दें ।   

गूलर (cluster fig)  ;  मुंह में छाले हो गए हों तो इसकी 100 ग्राम छाल कूटकर काढ़ा बनाकर कुल्ले करें ।  

जामुन  ;  मुंह में छाले हो गए हों , तो इसकी छाल या पत्तों के गरारे करें। 

अर्जुन  ;  मुख पाक या मुंह में infection हो गया हो तो इसकी ताज़ी छाल का काढ़ा पीयें और उसके कुल्ले भी करें।  

कदम्ब  ;  मुंह में छाले होने पर इसके पत्तों को चबाकर लार बाहर जाने दें। इसके फलों के छाया में सूखे हुए टुकड़ों का पावडर सवेरे शाम खाने से छाले ठीक होते हैं।  


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