गाजर ; यह पित्तनाशक होता है । अगर भूख कम लगे तो इसका अचार खाने से भूख बढ़ती है ।
गन्ना ; इसके रस को चिकनी मिट्टी के बर्तन में रखें और 10-15 दिन तक उस रस से भरे बर्तन को मिट्टी में दबा दें । इसके बाद उस बर्तन में गन्ने का सिरका बन जाएगा । इसे 20-25 ml की मात्रा में सौंठ व काली मिर्च मिलाकर लिया जाए तो पाचन क्रिया बहुत अच्छी हो जाती है । कमजोर पाचन वाले रोगियों के लिए यह बहुत अच्छी औषधि है । अगर भोजन करने के बाद थोडा गुड खा लिया जाए तो भी भोजन का पाचन अच्छी तरह होता है । गुड जीवनी शक्ति प्रदान करता है और ताकत को बढाता है ।
यह भोजन करने से पहले चूसा जाए तो भूख बढ़ाता है और खाने बाद चूसा जाए तो पाचन शक्ति को बढाता है ।
अमरुद ; अपचन होने पर इसकी छाल , पत्तियां और सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाएँ और सवेरे शाम पीएँ ।
इलायची ; छोटी हो या बड़ी , इलायची सुगन्धित होने के साथ साथ क्षुधावर्धक भी है । भूख कम लगती हो तो इसके दाने या पावडर भोजन में डाल दें । इससे मन्दाग्नि की समस्या भी ठीक हो जाती है ।
दूध में इसे पीसकर डालने से दूध सुपाच्य हो जाता है और अफारा होने की सम्भावना कम हो जाती है . यह पाचक रसों को बढाता है । आँतों को बल देता है |
आलू ; अगर अपच की शिकायत हो तो आलू को कोयले या उपलों में भूनकर , छीलकर , नीम्बू और नमक लगाकर सेवन करें ।
दारुहल्दी(berberry) ; Indigestion की शिकायत हो तब इसका काढ़ा लेने से आराम आता है । भूख कम लगती हो , बच्चों को मन्दाग्नि की शिकायत हो तो , पुदीने और अदरक मिलाकर इसके पत्तों की चटनी खिलाएं| इसमें प्राकृतिक तौर पर खट्टापन होता है ; इसलिए यह चटनी स्वादिष्ट भी खूब लगती है | विषम अग्नि में (अर्थात कभी भूख कम हो और कभी ज्यादा लगती हो ) भी यह चटनी बड़ी कारगर रहती है |
पत्थरचट (bryophyllum) ; उल्टियाँ आती हों तब इसके पत्तों का रस बहुत लाभदायक रहता है ।
चित्रक (leadwort) ; { पंचकोल (चित्रक , चव्य, पीपल ,पीपलामूल , सौंठ ) } अगर किसी को दूध हजम न होता हो तो सवेरे शाम पंचकोल का काढ़ा पीयें ; दूध हजम होना शुरू हो जाएगा ।
मकोय ( black nightshade) ; मकोय के फल सवेरे सवेरे खाली पेट खाने से अपच की बीमारी ठीक होती है ।
तिल (sesame) ; तिल के लड्डू खाने से भूख बढ़ती है।
मालती (rangoon creeper) ; इसके फूल और पत्तियों का रस लेने से पाचक रस बनने लगते हैं । यह बच्चे भी आराम से ले सकते हैं ।
सफ़ेद प्याज ; यह भूख बढ़ाती है ।
अंगूर (मुनक्का ) grapes ; भूख कम लगती हो या कब्ज़ हो तो दूध में मुनक्का उबालकर खाएं ।
नागफनी (prickly pear) ; कम भूख लगने पर इसके 4-5 ग्राम रस में 10 ग्राम गोमूत्र , सौंठ और काली मिर्च मिलाएं । इसे नियमित रूप से लेते रहने से ये बीमारी ठीक होती हैं ।
धनिया (coriander) ; भूख न लगती हो तो तीन चार ग्राम धनिए को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिला दें । काढ़ा मतलब कि आधा पानी कढ जाए या उड़ जाए तो बचा हुआ solution छानकर दे दें ।
अपामार्ग , लटजीरा ; भयानक भूख लग रही हो और उसे कम करना हो तो , इसके 4-5 ग्राम चावल लेकर आधा किलो दूध में पकाएं । यह खीर सवेरे-सवेरे खानी है ; केवल तीन दिन तक । इससे भूख कम लगेगी ।
गूलर (cluster fig ) ; अगर भस्मक रोग (ज्यादा खाने का रोग) हो तो इसके कच्चे फल सुखाकर उसका चूर्ण सवेरे शाम लें। दिन में तीन बार यह चूर्ण लें ।
कचनार ; भूख कम लगती हो तो इसकी छाल और पत्तियों के रस में मिश्री मिलाकर लें।
गन्ना ; इसके रस को चिकनी मिट्टी के बर्तन में रखें और 10-15 दिन तक उस रस से भरे बर्तन को मिट्टी में दबा दें । इसके बाद उस बर्तन में गन्ने का सिरका बन जाएगा । इसे 20-25 ml की मात्रा में सौंठ व काली मिर्च मिलाकर लिया जाए तो पाचन क्रिया बहुत अच्छी हो जाती है । कमजोर पाचन वाले रोगियों के लिए यह बहुत अच्छी औषधि है । अगर भोजन करने के बाद थोडा गुड खा लिया जाए तो भी भोजन का पाचन अच्छी तरह होता है । गुड जीवनी शक्ति प्रदान करता है और ताकत को बढाता है ।
यह भोजन करने से पहले चूसा जाए तो भूख बढ़ाता है और खाने बाद चूसा जाए तो पाचन शक्ति को बढाता है ।
अमरुद ; अपचन होने पर इसकी छाल , पत्तियां और सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाएँ और सवेरे शाम पीएँ ।
इलायची ; छोटी हो या बड़ी , इलायची सुगन्धित होने के साथ साथ क्षुधावर्धक भी है । भूख कम लगती हो तो इसके दाने या पावडर भोजन में डाल दें । इससे मन्दाग्नि की समस्या भी ठीक हो जाती है ।
दूध में इसे पीसकर डालने से दूध सुपाच्य हो जाता है और अफारा होने की सम्भावना कम हो जाती है . यह पाचक रसों को बढाता है । आँतों को बल देता है |
आलू ; अगर अपच की शिकायत हो तो आलू को कोयले या उपलों में भूनकर , छीलकर , नीम्बू और नमक लगाकर सेवन करें ।
दारुहल्दी(berberry) ; Indigestion की शिकायत हो तब इसका काढ़ा लेने से आराम आता है । भूख कम लगती हो , बच्चों को मन्दाग्नि की शिकायत हो तो , पुदीने और अदरक मिलाकर इसके पत्तों की चटनी खिलाएं| इसमें प्राकृतिक तौर पर खट्टापन होता है ; इसलिए यह चटनी स्वादिष्ट भी खूब लगती है | विषम अग्नि में (अर्थात कभी भूख कम हो और कभी ज्यादा लगती हो ) भी यह चटनी बड़ी कारगर रहती है |
पत्थरचट (bryophyllum) ; उल्टियाँ आती हों तब इसके पत्तों का रस बहुत लाभदायक रहता है ।
चित्रक (leadwort) ; { पंचकोल (चित्रक , चव्य, पीपल ,पीपलामूल , सौंठ ) } अगर किसी को दूध हजम न होता हो तो सवेरे शाम पंचकोल का काढ़ा पीयें ; दूध हजम होना शुरू हो जाएगा ।
मकोय ( black nightshade) ; मकोय के फल सवेरे सवेरे खाली पेट खाने से अपच की बीमारी ठीक होती है ।
तिल (sesame) ; तिल के लड्डू खाने से भूख बढ़ती है।
मालती (rangoon creeper) ; इसके फूल और पत्तियों का रस लेने से पाचक रस बनने लगते हैं । यह बच्चे भी आराम से ले सकते हैं ।
सफ़ेद प्याज ; यह भूख बढ़ाती है ।
अंगूर (मुनक्का ) grapes ; भूख कम लगती हो या कब्ज़ हो तो दूध में मुनक्का उबालकर खाएं ।
नागफनी (prickly pear) ; कम भूख लगने पर इसके 4-5 ग्राम रस में 10 ग्राम गोमूत्र , सौंठ और काली मिर्च मिलाएं । इसे नियमित रूप से लेते रहने से ये बीमारी ठीक होती हैं ।
धनिया (coriander) ; भूख न लगती हो तो तीन चार ग्राम धनिए को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिला दें । काढ़ा मतलब कि आधा पानी कढ जाए या उड़ जाए तो बचा हुआ solution छानकर दे दें ।
अपामार्ग , लटजीरा ; भयानक भूख लग रही हो और उसे कम करना हो तो , इसके 4-5 ग्राम चावल लेकर आधा किलो दूध में पकाएं । यह खीर सवेरे-सवेरे खानी है ; केवल तीन दिन तक । इससे भूख कम लगेगी ।
गूलर (cluster fig ) ; अगर भस्मक रोग (ज्यादा खाने का रोग) हो तो इसके कच्चे फल सुखाकर उसका चूर्ण सवेरे शाम लें। दिन में तीन बार यह चूर्ण लें ।
कचनार ; भूख कम लगती हो तो इसकी छाल और पत्तियों के रस में मिश्री मिलाकर लें।
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