रेवनचीनी ; अगर कहीं पर घाव हों तो इसकी जड़ को चन्दन की तरह पानी में घिसकर लगा लें . घाव बहुत जल्द भर जाएगा और संक्रमण भी नहीं होगा . शुगर की बीमारी में जो घाव नहीं भर पाते , वे भी इसे लगाने से भर जाते हैं |
यह कैंसर की प्रारम्भिक स्थिति में भी लाभकारी रहता है . चाहे कितने भी सड़े गले घाव क्यों न हों , इसे घिसकर लगाने से वे ठीक हो जाते हैं |
चांगेरी (indian sorrel) ; कहीं पर चोट लग जाए तो इसके पत्ते पीसकर लुगदी बांधें ।
शिरीष ; चोट लगने पर पत्तों और छाल को उबालकर धोएं । छाल को घिसकर घाव पर लगायें ।
ममीरा gold thread cypress) ; कहीं पर घाव हो तो इसकी पत्तियां कूटकर घाव को धोएं | घाव में कुटी हुए पत्तियां लगा भी दें |
निर्गुण्डी ( vitex negundo) ; अगर फुंसी हो गई है या घाव हो गया है तो पत्ते उबालकर , पानी से धोएं । Tetanus होने की सम्भावना हो तो इसके पत्तों का 2-2 चम्मच रस सुबह शाम लें । कुछ दिन लेने से tetanus होने की सम्भावना शत प्रतिशत समाप्त हो जाती है . और घाव भी जल्द भर जाता है ।
धातकी , धाय (woodfordia) ; घाव होने पर इसकी टहनी की छाल चन्दन की तरह घिसकर लगा दें । इससे खून का बहना रुकेगा और जख्म जल्दी भरेगा ।
पत्थरचट (bryophyllum) ; अगर कहीं पर घाव हो गया है तो इसके पत्ते पानी में उबालकर उस पानी से घाव को धोएं ।
मुलेठी (licorice root) ; शरीर में कहीं भी घाव हो गये हों तो इसे घिसकर लगा लें । बहुत जल्द घाव ठीक हो जायेंगे । अंदर के घावों को भी यह ठीक करता है ; चाहे वे गले के घाव हों या पेट के अंदर ।
मुलेठी (licorice root) ; कहीं पर घाव होने पर इसकी पत्तियां उबालकर उस पानी से घाव को धोएं ।
भृंगराज ; अगर पानी लग लग कर कहीं पर गलन हो गई है , घाव या पस हो गई है तो इसके पत्तों को पीसकर उसका रस लगाएँ । तुरंत फर्क पड़ेगा । अगर शुगर की बीमारी के कारण घाव नहीं भर रहा हो तो ताज़ी पत्तियों का रस रुई में भिगोकर भी लगाया जा सकता है ।
शरपुंखा ; अगर घाव हो गये हों तो इसके पत्ते और नीम के पत्ते मिलाकर पानी में उबालें और उस पानी से घाव धोएं ।
गुड़हल, जबाकुसुम, (shoe flower, china rose) ; यह घावों को भरने में भी मददगार है और विष को भी दूर करता है ।
तुलसी (holi basil) ; कहीं पर घाव हो गया हो तो तुलसी के पत्तों के पानी से धोएं ।
विधारा (elephant creeper) ; विधारा को घाव बेल भी कहते हैं । यह बेल सर्दी में भी हरी भरी रहती है । वर्षा ऋतु में इसके फूल आते हैं । इसके अन्दर एक बड़ा ही अनोखा गुण है । यह मांस को जल्दी भर देता है या कहें कि जोड़ देता है । आदिवासी लोग विधारा के पत्तों में मांस के टुकड़ों को रख देते थे कि अगले दिन पकाएंगे । अगले दिन वे पाते थे कि मांस के टुकड़े जुड़ गए हैं । यह बड़ी ही रहस्यभरी घटना है । यह सच है कि किसी भी प्रकार के घाव पर इसके ताज़े पत्तों को गर्म करके बांधें तो घाव बहुत जल्दी भर जाता है ।
सबसे अधिक मदद ये gangrene में करता है । शुगर की बीमारी में कोई भी घाव आराम से नहीं भरता है । gangrene होने पर तो पैर गल जाते हैं और अंगुलियाँ भी गल जाती हैं । अगर pus भी पड़ जाए तो भी चिंता न करें । इसकी पत्तियों को कूटकर उसके रस में रुई डुबोकर घावों पर अच्छी तरह लगायें । उसके बाद ताज़े विधारा के पत्ते गर्म करके घावों पर रखें और पत्ते बाँधें । हर 12 घंटे में पत्ते बदलते रहें । बहुत जल्द घाव ठीक हो जायेंगे । ये बहुत पुराने घाव भी भर देता है.
Bedsore हो गए हों तो रुई से इसका रस लगायें । किसी भी तरह की ब्लीडिंग हो ; periods की, अल्सर की , आँतों के घाव हों , बाहर या अंदर के कोई भी घाव हों तो इसके 2-3 पत्तों का रस एक कप पानी में मिलाकर प्रात:काल पी लें ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; कहीं पर घाव हो तो प्याज पीसकर , नीम का रस मिलाकर लगायें ।
पीपल (sacred fig) ; कहीं भी घाव होने पर , इसकी पत्तियां उबालकर उस पानी से धोएं । फिर पीपल की छाल गोमूत्र में घिसकर लगा दें । शुगर का मरीज न हो तो छाल शहद में भी घिसकर लगा सकते हैं ।
भाँग (cannabis ) ; अगर कोई घाव हो गया है ; तो इसके पत्तों के काढ़े में सेंधा नमक मिलाकर उस जगह को अच्छे धोएं और उस पर डालते रहें ।
गेंदा (african merigold ) ; कहीं भी घाव हो तो इसकी पत्तियां और फूल उबालकर ,उस पानी से धोएं ।
अग्निशिखा ; कहीं काँटा चुभ गया है या कांच चुभ गया है , जो कि निकल नहीं रहा ; तो इसका कंद घिसकर उस पर लेप कर दें । वह कुछ दिनों में अपने आप बाहर आ जाएगा !
किसी भी घाव पर इसका चूर्ण बुरकने से वह बहुत जल्दी भरता है ।
देसी गुलाब (rose) ; आँतों में घाव हो तो 100 ग्राम मुलेटी +50 ग्राम सौंफ +50 ग्राम गुलाब की पंखुडियाँ ; तीनों को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें . इसका 100 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें ।
curry leaves ; कहीं घाव हो गया है तो इसके पत्ते उबालकर उस पानी से घाव को धो लें ।
अनार (pomegranate ) ; इसके फूल की सूखी कलियों का पावडर घाव पर बुरकने से infections दूर हो जाते हैं ।
अपराजिता ; अगर घाव हो तो इसके पत्ते उबालकर उस पानी से धोएं।
जामुन ; अगर घाव हो गए हों तो इसकी छाल उबालकर उस पानी से धोएं।
कदम्ब ; इसकी छाल और पत्तियों को उबालकर उसके पानी से धोने पर घाव बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं। घाव पर इसकी पत्तियों का रस भी लगा सकते हैं।
यह कैंसर की प्रारम्भिक स्थिति में भी लाभकारी रहता है . चाहे कितने भी सड़े गले घाव क्यों न हों , इसे घिसकर लगाने से वे ठीक हो जाते हैं |
चांगेरी (indian sorrel) ; कहीं पर चोट लग जाए तो इसके पत्ते पीसकर लुगदी बांधें ।
शिरीष ; चोट लगने पर पत्तों और छाल को उबालकर धोएं । छाल को घिसकर घाव पर लगायें ।
ममीरा gold thread cypress) ; कहीं पर घाव हो तो इसकी पत्तियां कूटकर घाव को धोएं | घाव में कुटी हुए पत्तियां लगा भी दें |
निर्गुण्डी ( vitex negundo) ; अगर फुंसी हो गई है या घाव हो गया है तो पत्ते उबालकर , पानी से धोएं । Tetanus होने की सम्भावना हो तो इसके पत्तों का 2-2 चम्मच रस सुबह शाम लें । कुछ दिन लेने से tetanus होने की सम्भावना शत प्रतिशत समाप्त हो जाती है . और घाव भी जल्द भर जाता है ।
धातकी , धाय (woodfordia) ; घाव होने पर इसकी टहनी की छाल चन्दन की तरह घिसकर लगा दें । इससे खून का बहना रुकेगा और जख्म जल्दी भरेगा ।
पत्थरचट (bryophyllum) ; अगर कहीं पर घाव हो गया है तो इसके पत्ते पानी में उबालकर उस पानी से घाव को धोएं ।
मुलेठी (licorice root) ; शरीर में कहीं भी घाव हो गये हों तो इसे घिसकर लगा लें । बहुत जल्द घाव ठीक हो जायेंगे । अंदर के घावों को भी यह ठीक करता है ; चाहे वे गले के घाव हों या पेट के अंदर ।
मुलेठी (licorice root) ; कहीं पर घाव होने पर इसकी पत्तियां उबालकर उस पानी से घाव को धोएं ।
भृंगराज ; अगर पानी लग लग कर कहीं पर गलन हो गई है , घाव या पस हो गई है तो इसके पत्तों को पीसकर उसका रस लगाएँ । तुरंत फर्क पड़ेगा । अगर शुगर की बीमारी के कारण घाव नहीं भर रहा हो तो ताज़ी पत्तियों का रस रुई में भिगोकर भी लगाया जा सकता है ।
शरपुंखा ; अगर घाव हो गये हों तो इसके पत्ते और नीम के पत्ते मिलाकर पानी में उबालें और उस पानी से घाव धोएं ।
गुड़हल, जबाकुसुम, (shoe flower, china rose) ; यह घावों को भरने में भी मददगार है और विष को भी दूर करता है ।
तुलसी (holi basil) ; कहीं पर घाव हो गया हो तो तुलसी के पत्तों के पानी से धोएं ।
विधारा (elephant creeper) ; विधारा को घाव बेल भी कहते हैं । यह बेल सर्दी में भी हरी भरी रहती है । वर्षा ऋतु में इसके फूल आते हैं । इसके अन्दर एक बड़ा ही अनोखा गुण है । यह मांस को जल्दी भर देता है या कहें कि जोड़ देता है । आदिवासी लोग विधारा के पत्तों में मांस के टुकड़ों को रख देते थे कि अगले दिन पकाएंगे । अगले दिन वे पाते थे कि मांस के टुकड़े जुड़ गए हैं । यह बड़ी ही रहस्यभरी घटना है । यह सच है कि किसी भी प्रकार के घाव पर इसके ताज़े पत्तों को गर्म करके बांधें तो घाव बहुत जल्दी भर जाता है ।
सबसे अधिक मदद ये gangrene में करता है । शुगर की बीमारी में कोई भी घाव आराम से नहीं भरता है । gangrene होने पर तो पैर गल जाते हैं और अंगुलियाँ भी गल जाती हैं । अगर pus भी पड़ जाए तो भी चिंता न करें । इसकी पत्तियों को कूटकर उसके रस में रुई डुबोकर घावों पर अच्छी तरह लगायें । उसके बाद ताज़े विधारा के पत्ते गर्म करके घावों पर रखें और पत्ते बाँधें । हर 12 घंटे में पत्ते बदलते रहें । बहुत जल्द घाव ठीक हो जायेंगे । ये बहुत पुराने घाव भी भर देता है.
Bedsore हो गए हों तो रुई से इसका रस लगायें । किसी भी तरह की ब्लीडिंग हो ; periods की, अल्सर की , आँतों के घाव हों , बाहर या अंदर के कोई भी घाव हों तो इसके 2-3 पत्तों का रस एक कप पानी में मिलाकर प्रात:काल पी लें ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; कहीं पर घाव हो तो प्याज पीसकर , नीम का रस मिलाकर लगायें ।
पीपल (sacred fig) ; कहीं भी घाव होने पर , इसकी पत्तियां उबालकर उस पानी से धोएं । फिर पीपल की छाल गोमूत्र में घिसकर लगा दें । शुगर का मरीज न हो तो छाल शहद में भी घिसकर लगा सकते हैं ।
भाँग (cannabis ) ; अगर कोई घाव हो गया है ; तो इसके पत्तों के काढ़े में सेंधा नमक मिलाकर उस जगह को अच्छे धोएं और उस पर डालते रहें ।
गेंदा (african merigold ) ; कहीं भी घाव हो तो इसकी पत्तियां और फूल उबालकर ,उस पानी से धोएं ।
अग्निशिखा ; कहीं काँटा चुभ गया है या कांच चुभ गया है , जो कि निकल नहीं रहा ; तो इसका कंद घिसकर उस पर लेप कर दें । वह कुछ दिनों में अपने आप बाहर आ जाएगा !
किसी भी घाव पर इसका चूर्ण बुरकने से वह बहुत जल्दी भरता है ।
देसी गुलाब (rose) ; आँतों में घाव हो तो 100 ग्राम मुलेटी +50 ग्राम सौंफ +50 ग्राम गुलाब की पंखुडियाँ ; तीनों को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें . इसका 100 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें ।
अगर घाव है तो इसकी जड़ घिसकर लगायें ।
अनार (pomegranate ) ; इसके फूल की सूखी कलियों का पावडर घाव पर बुरकने से infections दूर हो जाते हैं ।
अपराजिता ; अगर घाव हो तो इसके पत्ते उबालकर उस पानी से धोएं।
जामुन ; अगर घाव हो गए हों तो इसकी छाल उबालकर उस पानी से धोएं।
कदम्ब ; इसकी छाल और पत्तियों को उबालकर उसके पानी से धोने पर घाव बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं। घाव पर इसकी पत्तियों का रस भी लगा सकते हैं।
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