ककड़ी ; अगर B.P. high होने की समस्या है ; तो ककडी रामबाण है । सवेरे खाली पेट कच्ची ककडी चबा चबाकर खाएं । नियमित रूप से ऐसा करने पर रक्तचाप ठीक होना प्रारम्भ हो जाता है ।
कूठ (costus) ; High B P हो तो इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए । लेकिन यह low B P को ठीक करता है । Low B P होने पर इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम ले सकते हैं ।
बहेड़ा (bellaric myrobalan) ; हृदय रोग में अर्जुन की छाल और बहेड़े के फल के छिलके का चूर्ण मिलाकर या तो ऐसे ही ले लें या फिर काढ़ा बनाकर पीयें ।
लौकी( bottle gourd) ; लौकी को घीया और दूधी भी कहा जाता है . ताज़ी लौकी का छिलका चमकदार होता है . इसे गरम पानी से अच्छी तरह धोकर इसका जूस निकालना चाहिए . इसके जूस में सेब का जूस मिला लें तो यह स्वादिष्ट हो जाता है . इसके जूस को सवेरे खाली पेट काली मिर्च मिलाकर और थोड़ा गुनगुना करके लेना चाहिए । इसके जूस में तुलसी या पोदीना भी मिलाया जा सकता है ।
इसका जूस हृदय रोग , high B P, आदि में बहुत लाभदायक है । लौकी कडवी नहीं होनी चाहिए ; इसका जूस हानिकारक हो सकता है ।
पिप्पली (long pepper) ; हृदय रोग में पीपली +हरी इलायची एक एक ग्राम दूध के साथ लें या दूध में उबालकर लें । अर्जुन की छाल का पावडर मिला लें तो और अच्छा रहेगा ।
तेजपत्ता ( bay leaves) ; हृदय रोग होने पर या angina की समस्या में , 3-4 तेजपत्ता +2 लौंग +3-4 ग्राम देसी गुलाब की पंखुडियां मिलाकर पानी में उबालकर छानकर पीयें ।
खस (grass ) ; दिल संबंधी कोई परेशानी हो तो इसकी जड़ में मुनक्का मिलाकर काढ़ा बनाकर मसलकर छानकर पीयें । इससे hormones भी ठीक रहेंगे और heart rate भी ठीक रहेगा । B.P. high हो या angina की समस्या हो तो इसकी जड़ और अर्जुन की छाल का काढ़ा पीयें ।
भृंगराज ; B .P. बढ़ा हुआ हो , चक्कर आते हों या नींद कम आती हो तो इसका दो चम्मच रस पानी मिलाकर सवेरे शाम लें ।
lemon grass ; ऐसा माना जाता है कि यह cholesterol भी कम करती है |
सर्पगंधा ; सर्पगंधा का पौधा उच्च रक्तचाप को ठीक करता है । इसके लिए 10 gram सर्पगंधा +10 ग्राम ब्राह्मी +3 ग्राम श्वेत पर्पटी ; इन तीनो को मिलाकर 3 ग्राम की मात्रा में सवेरे सवेरे लें ।
शरपुंखा ; हृदयशूल हो या हृदय की शक्ति बढानी हो तो 5 gram शरपुन्खा + 5 ग्राम अर्जुन + 2-3 लौंग लेकर काढ़ा बनाएं और पीयें ।
मकोय (black nightshade) ; बुढापे में हृदय गति कम हो जाए तो इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें । हृदय की किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए 5 ग्राम मकोय का पंचांग और 5 ग्राम अर्जुन की छाल ; दोनों को मिलाकर 400 ग्राम पानी में पकाएँ । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें ।
गुलदाउदी (chrysanthemum) ; हृदय रोग के लिए गर्म पानी में इसकी पत्तियां डालकर दो मिनट बाद निकाल लें । फिर उस पानी को पीयें ।
अकरकरा (pellitory root) ; हृदय रोग में एक गिलास पानी में एक चम्मच अर्जुन की छाल और एक अकरकरा का फूल डालकर काढ़ा बनाएं और पीयें । इससे हृदय की कार्यक्षमता बढ़ेगी । इसके अतिरिक्त इसके 2-3 फूल ,1-2 ग्राम कुलंजन की जड़ , 4-5 ग्राम अर्जुन की छाल ; इन सबका काढ़ा 200 ग्राम पानी में बनाकर पीने से भी हृदय रोगों में लाभ होता है ।
अंगूर (मुनक्का ) grapes ; हृदय रोग में 8-10 मुनक्का और 2 लौंग पानी में उबालकर , मसलकर , छानकर पीयें ।
भुट्टा (corn) ; भुट्टा हृदय की मांसपेशियों को चुस्त रखता है ।
अंजीर (fig ) ; दो अंजीर रात को थोड़े पानी में भिगो दें । सवेरे पहले इसका पानी पी लें । फिर अंजीर को चबा चबा कर खाएं । हृदय रोगी या निम्न रक्तचाप वाले यह प्रयोग कर सकते हैं । अगर सूखा अंजीर खाया जाए तो इसकी तासीर गर्म होती है , लेकिन कुछ देर भिगो देने पर तासीर ठंडी हो जाती है ।
छुईमुई (touch me not ) ; हृदय बढ़ गया है , और उसे shrink करना है , तो इस पौधे को पूरा सुखाकर , इसके पाँचों अंगों (पंचांग ) का 5 ग्राम क मात्रा में 400 ग्राम पानी में उबालें । जब रह जाए एक चोथाई, तो सवेरे खाली पेट पी लें ।
देसी गुलाब (rose ) ; हृदय रोग में अर्जुन की छाल और देसी गुलाब मिलाकर उबालें और पी लें। हृदय की धडकन अधिक हो तो इसकी सूखी पंखुडियां उबालकर पीयें ।
अश्वगंधा ; Angina की परेशानी है तो अर्जुन की छाल और अश्वगंधा की जड़ मिलाकर प्रात: सांय लें । इससे हृदय को ताकत मिलती है।
अर्जुन ; इसकी 10-15 ग्राम ताज़ी छाल 200-300 ग्राम पानी या दूध में उबालकर सवेरे शाम लेने से वाकई हृदय रोग में लाभ होता है । इसके प्रयोग से हृदय व मस्तिष्क की मांसपेशियों को ताकत मिलती है। ताज़ा न मिले तो इसकी छाल का 5 ग्राम पावडर डेढ़ गिलास पानी में पकाएं। जब आधा गिलास रह जाए , तो पी लें। इस काढ़े से घबराहट , बेचैनी , उच्च रक्तचाप आदि ठीक होते हैं ।
रतनजोत (onosma) ; इसके पौधे की पत्तियों को चाय की तरह पीया जाए तो यह हृदय के लिए बहुत लाभदायक है।
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