Sunday, December 14, 2014

heart problems and B P !



ककड़ी  ;   अगर B.P. high होने की समस्या है ; तो ककडी रामबाण है ।  सवेरे खाली पेट कच्ची ककडी चबा चबाकर खाएं ।  नियमित रूप से ऐसा करने पर रक्तचाप ठीक होना प्रारम्भ हो जाता है ।  

कूठ (costus) ;   High B P हो तो इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए ।  लेकिन यह low B P को ठीक करता है ।  Low  B P होने पर इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम ले सकते हैं ।  

बहेड़ा (bellaric myrobalan) ;    हृदय रोग में अर्जुन की छाल और बहेड़े के फल के छिलके का चूर्ण मिलाकर या तो ऐसे ही ले लें या फिर काढ़ा बनाकर पीयें । 

लौकी( bottle gourd)  ;  लौकी को घीया और दूधी भी कहा जाता है . ताज़ी लौकी का छिलका चमकदार होता है . इसे गरम पानी से अच्छी तरह धोकर इसका जूस निकालना चाहिए . इसके जूस में सेब का जूस मिला लें तो यह स्वादिष्ट हो जाता है . इसके जूस को सवेरे खाली पेट काली मिर्च मिलाकर और थोड़ा गुनगुना करके लेना चाहिए ।  इसके जूस में तुलसी या पोदीना भी मिलाया जा सकता है । 
                      इसका जूस हृदय रोग , high B P, आदि में बहुत लाभदायक है ।   लौकी कडवी नहीं होनी चाहिए ;  इसका जूस हानिकारक  हो सकता है ।

मुलेठी (licorice root) ;     हृदय की धडकन अधिक है या बेचैनी है तो अर्जुन की छाल और मुलेठी बराबर मात्रा में मिलकर काढ़ा बनाकर पीयें । यह तीक्ष्ण नहीं होता , सौम्य होता है ।     

पिप्पली (long pepper) ;   हृदय रोग में  पीपली +हरी इलायची एक एक ग्राम दूध के साथ लें या दूध में उबालकर लें ।  अर्जुन की छाल का पावडर मिला लें तो और अच्छा रहेगा । 

तेजपत्ता ( bay leaves)  ;       हृदय रोग होने पर या angina की समस्या में , 3-4 तेजपत्ता +2 लौंग +3-4 ग्राम देसी गुलाब की पंखुडियां मिलाकर पानी में उबालकर छानकर पीयें ।  

खस (grass )  ;      दिल संबंधी कोई परेशानी हो तो इसकी जड़ में मुनक्का मिलाकर काढ़ा बनाकर मसलकर छानकर पीयें । इससे hormones भी ठीक रहेंगे और heart rate भी ठीक रहेगा ।  B.P. high हो या angina की समस्या हो तो इसकी जड़ और अर्जुन की छाल  का काढ़ा पीयें । 

भृंगराज   ;    B .P. बढ़ा हुआ हो , चक्कर आते हों या नींद कम आती हो तो इसका दो चम्मच रस पानी मिलाकर सवेरे शाम लें ।    

lemon grass  ;     ऐसा माना जाता है कि यह cholesterol भी कम करती है | 

सर्पगंधा  ;     सर्पगंधा का पौधा उच्च रक्तचाप को ठीक करता है ।  इसके लिए 10 gram सर्पगंधा +10 ग्राम ब्राह्मी +3 ग्राम श्वेत पर्पटी ; इन तीनो को मिलाकर 3 ग्राम  की  मात्रा में सवेरे सवेरे लें ।  

शरपुंखा  ;  हृदयशूल हो या हृदय की शक्ति बढानी हो तो 5 gram शरपुन्खा + 5 ग्राम अर्जुन + 2-3 लौंग लेकर काढ़ा बनाएं और पीयें ।  
मकोय (black nightshade) ;   बुढापे में हृदय गति कम हो जाए तो इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें । हृदय की किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए 5 ग्राम मकोय का पंचांग और 5 ग्राम अर्जुन की छाल ;  दोनों को मिलाकर 400 ग्राम पानी में पकाएँ । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें । 

गुलदाउदी (chrysanthemum)  ;  हृदय रोग के लिए गर्म पानी में इसकी पत्तियां डालकर दो मिनट बाद निकाल  लें ।  फिर उस पानी को पीयें ।  

अकरकरा (pellitory root) ;  हृदय रोग में एक गिलास पानी में एक चम्मच अर्जुन की छाल और एक अकरकरा का फूल डालकर काढ़ा बनाएं और पीयें ।  इससे हृदय की कार्यक्षमता बढ़ेगी ।  इसके अतिरिक्त इसके 2-3 फूल ,1-2 ग्राम कुलंजन की जड़ , 4-5 ग्राम अर्जुन की छाल ; इन सबका काढ़ा 200 ग्राम पानी में बनाकर पीने से भी हृदय रोगों में लाभ होता है ।  

अंगूर (मुनक्का ) grapes ;   हृदय रोग में 8-10 मुनक्का और 2 लौंग पानी में उबालकर , मसलकर , छानकर पीयें ।   

भुट्टा (corn) ;  भुट्टा हृदय की मांसपेशियों को चुस्त रखता है । 

अंजीर (fig )  ;    दो अंजीर रात को थोड़े पानी में भिगो दें ।  सवेरे पहले  इसका पानी पी लें ।  फिर अंजीर को चबा चबा कर खाएं ।  हृदय रोगी या निम्न रक्तचाप वाले यह प्रयोग कर सकते हैं ।  अगर सूखा अंजीर खाया जाए तो इसकी तासीर गर्म होती है , लेकिन कुछ देर भिगो देने पर तासीर ठंडी हो जाती है । 

छुईमुई (touch me not )  ;  हृदय बढ़ गया है ,  और उसे shrink करना है , तो इस पौधे को पूरा सुखाकर , इसके पाँचों अंगों (पंचांग ) का 5 ग्राम क मात्रा में 400 ग्राम पानी में उबालें ।  जब रह जाए एक चोथाई, तो सवेरे खाली पेट पी लें ।    

देसी गुलाब (rose )   ;   हृदय रोग में अर्जुन की छाल और देसी गुलाब मिलाकर उबालें और पी लें।  हृदय की धडकन अधिक हो तो इसकी सूखी पंखुडियां उबालकर पीयें ।  

अश्वगंधा  ;   Angina की परेशानी है तो अर्जुन की छाल और अश्वगंधा की जड़ मिलाकर प्रात: सांय लें ।  इससे हृदय को ताकत मिलती है।  

अर्जुन  ;  इसकी 10-15 ग्राम ताज़ी छाल 200-300 ग्राम पानी या दूध में उबालकर सवेरे शाम लेने से वाकई हृदय रोग में लाभ होता है ।  इसके प्रयोग से हृदय व मस्तिष्क की मांसपेशियों को ताकत मिलती है।  ताज़ा न मिले तो इसकी छाल का 5 ग्राम पावडर डेढ़ गिलास पानी में पकाएं।  जब आधा गिलास रह जाए , तो पी लें।  इस  काढ़े  से घबराहट , बेचैनी , उच्च रक्तचाप आदि ठीक होते हैं । 

रतनजोत (onosma)  ;   इसके पौधे की पत्तियों को चाय की तरह पीया जाए तो यह हृदय के लिए बहुत लाभदायक है। 

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