गन्ना ; गला बंद हो गया है तो गन्ने के टुकड़े को आग में भूनकर चूसें । इससे गला तुरंत खुल जाएगा । गन्ने का पुराना गुड खाँसी में दवा का कार्य करता है । पुराना गुड + अदरक +काली मिर्च मिलकर , गोलियां बनाकर रख लें । इन्हें एक एक करके चूसें । खांसी ठीक हो जाती है ।
अमरुद ; खाँसी होने पर कम पके अमरुद के टुकड़े करके नमक लगाकर आग में भूने । फिर इन्हें चबा चबाकर खाएं । इस प्रकार अमरुद को खाने से पुरानी से पुरानी खाँसी भी दूर हो जाती है ।
खांसी होने पर अमरुद के पत्तों को उबालकर काढ़ा बनाकर पीयें । अमरुद के सूखे पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से भी खाँसी ठीक हो जाती है ।
मूली ; खाँसी व श्वास रोगों में मूली क्षार एक अचूक दवा है । मूली क्षार बनाने के लिए मूली के छोटे छोटे टुकड़े करके छाया में सुखा लें । फिर इन टुकड़ों को जलाकर , आठ गुना पानी मिलाकर, 6-7 घंटों के लिए किसी बर्तन में रख दें । बीच बीच में हिलाते रहें । कुछ समय बाद बर्तन की तली में मटमैला सा अवशेष बच जाएगा । ऊपर का पानी निथारकर, इस मटमैले अवशेष को धीमी आंच पर गाढ़ा करते हुए सुखा लें । यही मूली क्षार है ।
बच्चे को खाँसी है तो 100 mg मूली क्षार शहद के साथ चटाएं । बड़े व्यक्ति के खाँसी होने पर, आधा ग्राम की मात्रा में मूली क्षार शहद के साथ दें ।
जौ ; जौ को जलाकर, इसकी राख को 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटा जाए तो खांसी ठीक जाती है । इसके पौधे की राख भी 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लेने पर खांसी व श्वास रोगों में लाभदायक है।
यवक्षार या जौ का क्षार भी खाँसी व श्वास रोगों के लिए अचूक दवा है । इसे बनाने के लिए जौ के अधपके पौधे को लेकर उसके टुकड़े करके सुखा लें । इन्हें जलाकर, उसकी राख को आठ गुना पानी में डालकर, हिलाकर रख दें। हर 10-15 मिनट बाद ऐसे ही हिलाते रहें । ऐसा चार पांच बार करें । फिर ऊपर का पानी निथार कर फेंक दें। नीचे बचे मटमैले अवशेष को धीमी आंच पर गाढ़ा करते हुए सुखा लें । यही यवक्षार है । इसे जौ के बीजों को जलाकर भी प्राप्त किया सकता है ।
इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने पर खांसी ठीक होती है । अस्थमा जैसी बीमारी से मुक्ति मिलती है ।
इलायची ; लौंग, तुलसी और इलायची का काढ़ा बनाकर पीने से खाँसी ठीक होती है । इससे सर्दी और ज़ुकाम भी ठीक होता है । छोटी इलायची को मुँह में रखकर चूसते रहने से भी खाँसी में आराम आता है ।
आलू ; खांसी होने पर आलू के पौधे की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीयें । यह सूप जैसा स्वादिष्ट भी लगेगा और इससे खांसी भी ठीक होगी ।
रेवनचीनी (rhubarb) ; खाँसी या श्वास की बीमारी में इसकी जड़ का एक ग्राम पाउडर शहद के साथ चाटने से आराम आता है ।
अमलतास (purging cassia) ; खाँसी होने पर, इसके गूदे में काली मिर्च और तुलसी मिलाकर, उबालकर, छानकर, गर्म गर्म पीएँ ।
शिरीष ; खाँसी होने पर इसके पुराने पीले पत्तों को देसी घी में भूनकर, शहद के साथ लें ।
मेदा , महामेदा ; इसके कंद का पाउडर च्यवनप्राश में डाला जाता है । इस पाउडर को लेने से खाँसी दूर होती है ।
बहेड़ा ; खाँसी होने पर इसके फल के छिलके को मुँह में रखकर चूसते रहें । इससे पुरानी से पुरानी खाँसी भी दूर होती है । श्वास सम्बन्धी किसी भी समस्या के लिए इसके फल के छिलके या इसके पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीयें ।
अतीस , अतिविषा ( aconitum heterophyllum ) ; अतीस के कंद को घिसकर , शहद में मिलाकर लेने से खाँसी ठीक होती है । यह नन्हे बच्चों को भी दिया जा सकता है । एक ग्राम का आठवाँ या दसवाँ हिस्सा ही देना चाहिए ।
रुद्रवंती ; दमा या खांसी में रुद्रवंती का रस बहुत मदद करता है । इसे रसायन कहा गया है ।
निर्गुण्डी (vitex negundo ) ; खाँसी होने पर इसके पत्तों की चाय बनाकर पीएँ । गले में दर्द या टॉन्सिल की समस्या हो तो इसके पत्ते पानी में उबालकर, उस पानी के गरारे करें ।
दूधी,दूधिया घास (milk hedge) ; खाँसी होने पर दूधी +काली मिर्च +तुलसी मिलकर पीसकर लेने से खांसी ठीक होती है ।
तुंबरु (toothache tree) ; दमा या खाँसी होने पर, और कफ रोगों में भी इसके बीज और तुलसी मिलाकर, काढ़ा बनाकर पीएँ ।
पँवाड़ (foetid cassia) ; इसके बीजों के एक ग्राम पाउडर का सवेरे शाम सेवन करने से खाँसी ठीक होती है ।
वासा ( malabar nut) ; छोटे से बच्चे को खांसी हो तो इसके पत्तों की दो तीन बूँद शहद में मिलाकर बच्चे को चटाएँ । चाहे तो एक दो बूँद अदरक की भी मिला सकते हैं । बड़े व्यक्ति आधा से एक चम्मच पत्तों का रस शहद में मिलाकर लें । lung fibrosis हो श्वास की बीमारी हो या स्वर तंत्र खराब हो तो ताज़े फूलों का रस लें । या फिर इसके पौधे का पंचांग 10 -15 ग्राम मात्रा में लेकर 400 ग्राम पानी में उसका काढ़ा बनाएँ और सवेरे दोपहर और शाम ; तीन बार सेवन करें । लगभग तीन चार दिन में ही लाभ नज़र आने लगता है ।
मुलेठी (licorice root) ; गला खराब हो तो मुलेठी +मिश्री +काली मिर्च मिलाकर मुंह में रखकर चूसते रहना चाहिए । खाँसी होने पर, तुलसी ,अदरक और काली मिर्च के साथ मुलेठी मिलाकर ; काढ़ा बनाकर पीएँ ।
पिप्पली (long pepper) ; अस्थमा होने पर दो ग्राम पिप्पली का पाउडर शहद के साथ लें । कफ वाली सभी दवाइयों में पिप्पली का प्रयोग अवश्य होता है । एक ग्राम पिप्पली का पाउडर सोते समय दूध के साथ लें । इससे नींद अच्छी आएगी और कफ भी नहीं बनेगा ।
तेजपत्ता (bay leaves) ; दमा हो तो इसके एक दो पत्ते और एक ग्राम सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाएं । इसे सवेरे शाम पीएँ । खाँसी हो तो इसके पत्तों का पाउडर शहद के साथ चाटें ।
चित्रक (leadwort) ; गले के रोगों में इसकी जड़, मुलेठी और 3-4 तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर पीएँ । कफ रोगों में पंचकोल ( चित्रक ,चव्य , पीपल, पीपलामूल और सौंठ) की दो तीन ग्राम की मात्रा शहद के साथ चाटें ।
भृंगराज ; अस्थमा की बीमारी में आंवला भृंगराज और मुलेठी का काढ़ा बनाकर पीएं ।
भारंगी (turk's turban moon) ; कहते है की इस पौधे का डंडा हाथ में लेकर चलने मात्र से ही अस्थमा से छुटकारा मिल जाता है । भारंगी श्वास रोगों का सबसे उपयुक्त इलाज है । इसे श्वसारी क्वाथ में भी डाला जाता है ।
T B जैसी बीमारी होने पर, इसके पंचांग का काढ़ा सुबह शाम लें ।
lemon grass ; इसके पत्तों को हल्का सा मसलकर पानी में डालकर उबालें । इसे छानकर चाय की तरह पीने से खांसी ,एलर्जी , बलगम आदि सभी कफ रोगों से छुटकारा मिलता है । बहुत छोटे बच्चे या pregnant महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।
तिल (sesame seeds) ; 2-3 ग्राम काले तिल + 2-3 तुलसी के पत्ते + अदरक ; इन सबको कूटकर पानी में उबालकर, काढ़ा बनाकर, पीने से खांसी ठीक होती है ।
अकरकरा (pellitory root) ; खॉंसी हो तो इस पौधे के फूल + काली मिर्च + तुलसी की चाय बनाकर पियें । श्वास की तकलीफ हो तो इसके फूल का पाउडर सूंघ लें । अवरोध खुल जाएगा ।
बाकुची psoralea seeds) ; श्वास रोगों में बाकुची के बीजों का पाउडर 250 mg की मात्रा में लें । इसमें अदरक का रस और शहद मिलकर चाटें ।
गुड़हल (china rose , shoe flower) ; खाँसी होने पर, इसकी जड़ 5-10 ग्राम की मात्रा में लेकर , उसे 400 ग्राम पानी में पकाकर, काढ़ा बनाएँ । इसे सुबह शाम पीने से खाँसी ठीक हो जाती है ।
शतावर (asparagus ); खांसी में शतावर की जड़ का पाउडर और पिप्पली को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीएं
तुलसी (holi basil) ; बच्चे को खाँसी हो तो इसकी पत्तियों का दो या तीन बूँद रस, शहद में चटाएँ । बड़े व्यक्ति खांसी या निमोनिया होने पर इसका syrup बना लें । इसके लिए 50 ग्राम मंजरी समेत पत्तियां + 25 ग्राम अदरक + 20 ग्राम काली मिर्च और इलायची को आधा लीटर पानी में पकाएँ । जब 200 ग्राम रह जाए तो उसकी चाशनी बनाकर शीशी में भरकर रख लें । इसे एक - एक चम्मच लेने से खांसी दूर होती है ।
विधारा (elephant creeper) ; इसके बीज भूनकर, पीसकर, उनका पाउडर शहद या गर्म पानी से लें तो बलगम और खांसी खत्म होती है ।
दमबेल (tylophora indica) ; दमबेल या दमबूटी , दमा की बीमारी का अचूक इलाज है। इसका एक पत्ता गोली की तरह बना कर खाएं और ऊपर से गर्म पानी पी लें। यह खाली पेट तीन दिन तक करने मात्र से दमा की बीमारी में आराम आता है। श्वास रोग हो या कफ हो ; यह सभी में लाभदायक है . बच्चे को कफ या खांसी की बीमारी हो तो इसका एक चौथाई पत्ता पीसकर शहद में मिलाकर चटायें । इसमें तुलसी का रस भी मिलाया जा सकता है । अगर ताज़ा पत्ते न मिलें तो 250 mg पत्तों का सूखा पावडर शहद में चटायें । बड़े व्यक्ति आधा ग्राम पावडर शहद के साथ ले सकते हैं ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; यह कफ का नाश करती है । इसका 5-7 ग्राम रस और 1 ग्राम सौंठ शहद के साथ लेने से कफ की गांठें खत्म होती हैं । इसी में सौंठ मिलाकर कफ व खांसी के लिए भी लिया जा सकता है। यह श्वास रोगों में भी लाभकारी है ।
अंगूर (मुनक्का) ; श्वास रोग में मुनक्का तुलसी और काली मिर्च के साथ लें । खांसी होने पर दो मुनक्का लें । उन्हें भूनकर, नमक लगाकर , चबाचबाकर खाएँ ।
सेमल (silk cotton tree) ; खाँसी होने पर इसकी जड़ का पाउडर , काली मिर्च और सौंठ मिलकर लें ।
पीपल ( sacred fig) ; श्वास रोग में इसकी छाल कूटकर , उसका काढ़ा एक दो महीने तक लिया जा सकता है ।
नागफनी (prickly pear) ; अगर दमा कीबीमारी ठीक करनी है तो इसके फल को टुकड़े कर के , सुखाकर ,उसका काढ़ा पीयें . इस काढ़े से साधारण खांसी भी ठीक होती है । श्वास या कफ के रोग हैं तो एक भाग इसका रस और तीन भाग अदरक का रस मिलाकर लें । इसके पंचाग के टुकड़े सुखाकर , मिटटी की हंडिया में बंद करके फूंकें । जलने के बाद हंडिया में राख रह जाएगी । इसे नागफनी का क्षार कहा जाता है । इसकी 1-2 ग्राम राख शहद के साथ चाटने से या गर्म पानी के साथ लेने से श्वास रोगों में फायदा होता है ।
भुट्टा (corn) ; कच्चे भुट्टे को डंठल समेत कूटकर काढ़े या चाय की तरह बनाकर पीया जाए तो कफ रोग ठीक होते हैं । इसे भीं कर खया जाए तो भी कफ रोग ठीक होते हैं । धसका या खांसी हो तो इसके राख को अदरक और शहद मिलकर लें ।
गेहूँ (wheat) ; अगर खांसी है तो 10-15 gram भुने हुए दलिए को 400 ग्राम पानी में मिलाकर काढ़ा बनायें । इसमें सेंधा नमक मिलाकर पीयें या फिर 5 ग्राम भुना हुआ दलिया गुलाब की पंखुडियां और तुलसी मिलाकर चाय बनाकर पीयें ।
गोधूम क्षार भी खांसी और पथरी के लिए अच्छा होता है । क्षार बनाने के लिए पूरे गेहूँ के पौधे को जला लें । पानी में अच्छी तरह घोल लें । कुछ घंटे ऐसे ही रहने दें । बाद में ऊपर का निथारकर फेंक दें और नीचे बचा हुआ सफ़ेद पावडर सुखा लें । यही गोधूम क्षार है ।
मरुआ (मरुबक खरपत्र); खाँसी होने पर इसके पत्ते व अदरक का काढ़ा पीएँ ।
अपराजिता ; खांसी होने पर इसकी जड़ के साथ 4-5 काली मिर्च लें और उसमें 2-3 पत्ते तुलसी के डालकर काढ़ा बनाकर पीयें । टांसिल बढ़ जाने पर इसके और अमरुद के पत्ते पानी में उबालकर , उसके गरारे करें । इसकी पत्तियों को पीसकर गले पर लेप करें । बच्चों को खांसी हो तो इसके बीज का पावडर 250 mg की मात्रा में शहद के साथ चटायें ।
श्योनाक( सोना पाठा, टोटला, अरलू ) ; खांसी होने पर इसकी सूखी छाल का पावडर आधा ग्राम और सौंठ एक ग्राम लें और सवेरे शाम शहद से चटाएं.
कचनार ; खांसी या कफ हो तो कचनार के फूलों का गुलकंद बनाकर सेवन करें ।
अश्वगंधा ; अश्वगंधा की जड़ का काढ़ा खांसी को ठीक करता है ।
गोखरू ; अगर खांसी है गोखरू + तुलसी + सौंठ का काढ़ा लें ।
अनार ; इसकी कलियों को सुखाकर 2-3 कलियों की चाय पी जाए तो पेट ठीक रहता है और सर्दी , जुकाम और खांसी आदि नहीं होते। खांसी होने पर, इसकी कलियाँ या पत्ते लें. उसमें 3-4 तुलसी के पत्ते और काली मिर्च मिलाकर इसकी चाय पियें।
अपामार्ग ( चिरचटा , लटजीरा , ओले कांटे) ; इसकी छार या क्षार बहुत ही उपयोगी है । इसकी छाल, जड़ आदि को जलाकर पानी में ड़ाल दें । बाद में ऊपर का सब कुछ निथारकर फेंक दें । नीचे जो सफ़ेद सा पावडर बच जाता है ; उसे अपामार्ग की छार या क्षार बोलते हैं । खांसी होने पर आधा ग्राम क्षार शहद के साथ चाटें । खांसी में इसके पंचांग की भस्म भी एक ग्राम शहद के साथ चाट सकते हैं।
गेंदा ( african marigold) ; खांसी या श्वास रोग में इसके 3-4 ग्राम सूखे फूल पत्तियों का काढ़ा पीयें . इसमें तुलसी और काली मिर्च डाल दें तो और भी अच्छा है . इस काढ़े को पीने से allergy भी ठीक हो जाती है ।
छुईमुई (touch me not) ; अगर खांसी हो तो इसके जड़ के टुकड़ों के माला बना कर गले में पहन लें । इसके जड़ के टुकड़े त्वचा को छूते रहें ; बस इतने भर से गला ठीक हो जाता है । इसके अलावा इसकी जड़ घिसकर शहद में मिलाये । इसको चाटने से , या फिर वैसे ही केवल इसकी जड़ चूसने से खांसी ठीक होती है । इसकी पत्तियां चबाने से भी गले में आराम आता है ।
खजूर ; खजूर केवल स्वादिष्ट ही नहीं होता ; कफ और बलगम को भी खत्म करता है 10-15 खजूरों को, बीज निकालकर दूध में पकाएँ और पी लें । इससे कमजोरी भी मिटेगी ।
अंजीर (fig) ; खांसी होने पर अंजीर , मुलेठी और तुलसी मिलाकर काढ़ा लिया जा सकता है । श्वास रोग हो तब भी इसे खा सकते हैं यह नुक्सान नहीं करती ।
धनिया ; छोटे बच्चे को खांसी हो तो धनिया पावडर भूनकर शहद के साथ चटा दें । अगर गले में दर्द है , तो धनिया और काली मिर्च चूस लें ।
रत्ती (गुंजा)(abrus precatorious) ; इसकी जड़ चूसने से गला ठीक रहता है और आवाज़ सुरीली होती है । कफ या बलगम हो तो इसकी पत्तियों +इसकी जड़ और तुलसी मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें ।
मेथी( fenugreek) ; कफ या बलगम की शिकायत है तो मे थी की रोटी में अदरक मिला लें और खाएं ।
हल्दी( turmeric) ; खांसी है तो हल्दी भूनकर शहद के साथ चाट लें । सवेरे खाली पेट दो ग्राम हल्दी कुछ दिन लेने से भी खांसी ठीक होती है । एक चम्मच हल्दी दूध में औटाकर , सवेरे शाम खाली पेट केवल तीन चार दिन तक लेने से ही खाँसी में आराम आता है ।
धतूरा ; दमा या साँस की बीमारी होने पर, इसकी सूखी पत्तियां व फल बराबर मात्रा में लें । फलों को कुचल लें। अब दोनों को मिलाकर मिटटी की हंडिया में जला लें। इस राख या भस्म को एक चौथाई ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटा जाए, तो आशातीत सफलता मिलती है ।
धूम्रपान की शुरुआत शायद उपचार के रूप में हुई होगी ; क्योंकि धतूरे के पत्तों की चिलम लेने से दमा का दौरा एकदम शांत होता है।
कंटकारी ( yellow berried nightshade) ; यह कांटेदार जामुनी फूल वाला पौधा बहुत फायदेमंद है | खासकर फेफड़े और गले के रोगों में तो , इसका जवाब ही नहीं । इस पूरे सूखे हुए पौधे को तीन या चार ग्राम के करीब लेकर दो सौ ग्राम पानी में उबाल लें । जब रह जाए एक चौथाई तो छानकर पी लें । यह सवेरे खाली पेट लें । इससे तुरंत खांसी में फायदा होता है । च्यवनप्राश में भी इसे डाला जाता है । अगर दमा या एलर्जी हो तो इस पौधे का ताज़ा रस एक या दो ग्राम लें और शहद में मिलाकर चाटें।
घृतकुमारी ( aloe vera) ; खांसी में इसका टुकड़ा लेकर गर्म करें | फिर उसपर काली मिर्च और काला नमक लगाकर खाएं |
कूठ (costus) ; दमा होने पर श्वसारी रस में या खांसी के काढ़े में कूठ का पावडर मिलाकर लें ।
अमलतास (purging cassia) ; श्वास रोगों में , इसके गूदे में काली मिर्च और तुलसी के पत्ते पकाकर छानकर , गर्म गर्म पीयें ।
मेदा , महामेदा ; इसके कंद के पाउडर से खांसी भी दूर होती है ।
बबूल या कीकर ; टांसिल बढ़े हुए हों , या गायन में परेशानी हो रही हो तो इसकी पत्तियां +छाल उबालकर उसमें नमक मिलाकर गरारे करें । कफ , बलगम ,एलर्जी की समस्या हो तो इसकी छाल +लौंग +काली मिर्च +तुलसी को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें ।
लौकी(bottle gourd) ; लौकी को घीया और दूधी भी कहा जाता है . ताज़ी लौकी का छिलका चमकदार होता है . इसे गरम पानी से अच्छी तरह धोकर इसका जूस निकालना चाहिए . इसके जूस में सेब का जूस मिला लें तो यह स्वादिष्ट हो जाता है . इसके जूस को सवेरे खाली पेट काली मिर्च मिलाकर और थोड़ा गुनगुना करके लेना चाहिए ।
हल्दी (turmeric) ; खांसी है तो हल्दी भूनकर शहद के साथ चाट लें । सवेरे खाली पेट दो ग्राम हल्दी कुछ दिन लेने से भी खांसी ठीक होती है ।
गिलोय ; गिलोय की डंडी के प्रयोग से बढ़ा हुआ E S R , टी बी आदि सब ठीक होता है ।
जौ ; जौ को जलाकर, इसकी राख को 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटा जाए तो खांसी ठीक जाती है । इसके पौधे की राख भी 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लेने पर खांसी व श्वास रोगों में लाभदायक है।
यवक्षार या जौ का क्षार भी खाँसी व श्वास रोगों के लिए अचूक दवा है । इसे बनाने के लिए जौ के अधपके पौधे को लेकर उसके टुकड़े करके सुखा लें । इन्हें जलाकर, उसकी राख को आठ गुना पानी में डालकर, हिलाकर रख दें। हर 10-15 मिनट बाद ऐसे ही हिलाते रहें । ऐसा चार पांच बार करें । फिर ऊपर का पानी निथार कर फेंक दें। नीचे बचे मटमैले अवशेष को धीमी आंच पर गाढ़ा करते हुए सुखा लें । यही यवक्षार है । इसे जौ के बीजों को जलाकर भी प्राप्त किया सकता है ।
इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने पर खांसी ठीक होती है । अस्थमा जैसी बीमारी से मुक्ति मिलती है ।
इलायची ; लौंग, तुलसी और इलायची का काढ़ा बनाकर पीने से खाँसी ठीक होती है । इससे सर्दी और ज़ुकाम भी ठीक होता है । छोटी इलायची को मुँह में रखकर चूसते रहने से भी खाँसी में आराम आता है ।
आलू ; खांसी होने पर आलू के पौधे की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीयें । यह सूप जैसा स्वादिष्ट भी लगेगा और इससे खांसी भी ठीक होगी ।
रेवनचीनी (rhubarb) ; खाँसी या श्वास की बीमारी में इसकी जड़ का एक ग्राम पाउडर शहद के साथ चाटने से आराम आता है ।
अमलतास (purging cassia) ; खाँसी होने पर, इसके गूदे में काली मिर्च और तुलसी मिलाकर, उबालकर, छानकर, गर्म गर्म पीएँ ।
शिरीष ; खाँसी होने पर इसके पुराने पीले पत्तों को देसी घी में भूनकर, शहद के साथ लें ।
मेदा , महामेदा ; इसके कंद का पाउडर च्यवनप्राश में डाला जाता है । इस पाउडर को लेने से खाँसी दूर होती है ।
बहेड़ा ; खाँसी होने पर इसके फल के छिलके को मुँह में रखकर चूसते रहें । इससे पुरानी से पुरानी खाँसी भी दूर होती है । श्वास सम्बन्धी किसी भी समस्या के लिए इसके फल के छिलके या इसके पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीयें ।
अतीस , अतिविषा ( aconitum heterophyllum ) ; अतीस के कंद को घिसकर , शहद में मिलाकर लेने से खाँसी ठीक होती है । यह नन्हे बच्चों को भी दिया जा सकता है । एक ग्राम का आठवाँ या दसवाँ हिस्सा ही देना चाहिए ।
रुद्रवंती ; दमा या खांसी में रुद्रवंती का रस बहुत मदद करता है । इसे रसायन कहा गया है ।
निर्गुण्डी (vitex negundo ) ; खाँसी होने पर इसके पत्तों की चाय बनाकर पीएँ । गले में दर्द या टॉन्सिल की समस्या हो तो इसके पत्ते पानी में उबालकर, उस पानी के गरारे करें ।
दूधी,दूधिया घास (milk hedge) ; खाँसी होने पर दूधी +काली मिर्च +तुलसी मिलकर पीसकर लेने से खांसी ठीक होती है ।
तुंबरु (toothache tree) ; दमा या खाँसी होने पर, और कफ रोगों में भी इसके बीज और तुलसी मिलाकर, काढ़ा बनाकर पीएँ ।
पँवाड़ (foetid cassia) ; इसके बीजों के एक ग्राम पाउडर का सवेरे शाम सेवन करने से खाँसी ठीक होती है ।
वासा ( malabar nut) ; छोटे से बच्चे को खांसी हो तो इसके पत्तों की दो तीन बूँद शहद में मिलाकर बच्चे को चटाएँ । चाहे तो एक दो बूँद अदरक की भी मिला सकते हैं । बड़े व्यक्ति आधा से एक चम्मच पत्तों का रस शहद में मिलाकर लें । lung fibrosis हो श्वास की बीमारी हो या स्वर तंत्र खराब हो तो ताज़े फूलों का रस लें । या फिर इसके पौधे का पंचांग 10 -15 ग्राम मात्रा में लेकर 400 ग्राम पानी में उसका काढ़ा बनाएँ और सवेरे दोपहर और शाम ; तीन बार सेवन करें । लगभग तीन चार दिन में ही लाभ नज़र आने लगता है ।
मुलेठी (licorice root) ; गला खराब हो तो मुलेठी +मिश्री +काली मिर्च मिलाकर मुंह में रखकर चूसते रहना चाहिए । खाँसी होने पर, तुलसी ,अदरक और काली मिर्च के साथ मुलेठी मिलाकर ; काढ़ा बनाकर पीएँ ।
पिप्पली (long pepper) ; अस्थमा होने पर दो ग्राम पिप्पली का पाउडर शहद के साथ लें । कफ वाली सभी दवाइयों में पिप्पली का प्रयोग अवश्य होता है । एक ग्राम पिप्पली का पाउडर सोते समय दूध के साथ लें । इससे नींद अच्छी आएगी और कफ भी नहीं बनेगा ।
तेजपत्ता (bay leaves) ; दमा हो तो इसके एक दो पत्ते और एक ग्राम सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाएं । इसे सवेरे शाम पीएँ । खाँसी हो तो इसके पत्तों का पाउडर शहद के साथ चाटें ।
चित्रक (leadwort) ; गले के रोगों में इसकी जड़, मुलेठी और 3-4 तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर पीएँ । कफ रोगों में पंचकोल ( चित्रक ,चव्य , पीपल, पीपलामूल और सौंठ) की दो तीन ग्राम की मात्रा शहद के साथ चाटें ।
भृंगराज ; अस्थमा की बीमारी में आंवला भृंगराज और मुलेठी का काढ़ा बनाकर पीएं ।
भारंगी (turk's turban moon) ; कहते है की इस पौधे का डंडा हाथ में लेकर चलने मात्र से ही अस्थमा से छुटकारा मिल जाता है । भारंगी श्वास रोगों का सबसे उपयुक्त इलाज है । इसे श्वसारी क्वाथ में भी डाला जाता है ।
T B जैसी बीमारी होने पर, इसके पंचांग का काढ़ा सुबह शाम लें ।
lemon grass ; इसके पत्तों को हल्का सा मसलकर पानी में डालकर उबालें । इसे छानकर चाय की तरह पीने से खांसी ,एलर्जी , बलगम आदि सभी कफ रोगों से छुटकारा मिलता है । बहुत छोटे बच्चे या pregnant महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।
तिल (sesame seeds) ; 2-3 ग्राम काले तिल + 2-3 तुलसी के पत्ते + अदरक ; इन सबको कूटकर पानी में उबालकर, काढ़ा बनाकर, पीने से खांसी ठीक होती है ।
अकरकरा (pellitory root) ; खॉंसी हो तो इस पौधे के फूल + काली मिर्च + तुलसी की चाय बनाकर पियें । श्वास की तकलीफ हो तो इसके फूल का पाउडर सूंघ लें । अवरोध खुल जाएगा ।
बाकुची psoralea seeds) ; श्वास रोगों में बाकुची के बीजों का पाउडर 250 mg की मात्रा में लें । इसमें अदरक का रस और शहद मिलकर चाटें ।
गुड़हल (china rose , shoe flower) ; खाँसी होने पर, इसकी जड़ 5-10 ग्राम की मात्रा में लेकर , उसे 400 ग्राम पानी में पकाकर, काढ़ा बनाएँ । इसे सुबह शाम पीने से खाँसी ठीक हो जाती है ।
शतावर (asparagus ); खांसी में शतावर की जड़ का पाउडर और पिप्पली को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीएं
तुलसी (holi basil) ; बच्चे को खाँसी हो तो इसकी पत्तियों का दो या तीन बूँद रस, शहद में चटाएँ । बड़े व्यक्ति खांसी या निमोनिया होने पर इसका syrup बना लें । इसके लिए 50 ग्राम मंजरी समेत पत्तियां + 25 ग्राम अदरक + 20 ग्राम काली मिर्च और इलायची को आधा लीटर पानी में पकाएँ । जब 200 ग्राम रह जाए तो उसकी चाशनी बनाकर शीशी में भरकर रख लें । इसे एक - एक चम्मच लेने से खांसी दूर होती है ।
विधारा (elephant creeper) ; इसके बीज भूनकर, पीसकर, उनका पाउडर शहद या गर्म पानी से लें तो बलगम और खांसी खत्म होती है ।
दमबेल (tylophora indica) ; दमबेल या दमबूटी , दमा की बीमारी का अचूक इलाज है। इसका एक पत्ता गोली की तरह बना कर खाएं और ऊपर से गर्म पानी पी लें। यह खाली पेट तीन दिन तक करने मात्र से दमा की बीमारी में आराम आता है। श्वास रोग हो या कफ हो ; यह सभी में लाभदायक है . बच्चे को कफ या खांसी की बीमारी हो तो इसका एक चौथाई पत्ता पीसकर शहद में मिलाकर चटायें । इसमें तुलसी का रस भी मिलाया जा सकता है । अगर ताज़ा पत्ते न मिलें तो 250 mg पत्तों का सूखा पावडर शहद में चटायें । बड़े व्यक्ति आधा ग्राम पावडर शहद के साथ ले सकते हैं ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; यह कफ का नाश करती है । इसका 5-7 ग्राम रस और 1 ग्राम सौंठ शहद के साथ लेने से कफ की गांठें खत्म होती हैं । इसी में सौंठ मिलाकर कफ व खांसी के लिए भी लिया जा सकता है। यह श्वास रोगों में भी लाभकारी है ।
अंगूर (मुनक्का) ; श्वास रोग में मुनक्का तुलसी और काली मिर्च के साथ लें । खांसी होने पर दो मुनक्का लें । उन्हें भूनकर, नमक लगाकर , चबाचबाकर खाएँ ।
सेमल (silk cotton tree) ; खाँसी होने पर इसकी जड़ का पाउडर , काली मिर्च और सौंठ मिलकर लें ।
पीपल ( sacred fig) ; श्वास रोग में इसकी छाल कूटकर , उसका काढ़ा एक दो महीने तक लिया जा सकता है ।
नागफनी (prickly pear) ; अगर दमा कीबीमारी ठीक करनी है तो इसके फल को टुकड़े कर के , सुखाकर ,उसका काढ़ा पीयें . इस काढ़े से साधारण खांसी भी ठीक होती है । श्वास या कफ के रोग हैं तो एक भाग इसका रस और तीन भाग अदरक का रस मिलाकर लें । इसके पंचाग के टुकड़े सुखाकर , मिटटी की हंडिया में बंद करके फूंकें । जलने के बाद हंडिया में राख रह जाएगी । इसे नागफनी का क्षार कहा जाता है । इसकी 1-2 ग्राम राख शहद के साथ चाटने से या गर्म पानी के साथ लेने से श्वास रोगों में फायदा होता है ।
भुट्टा (corn) ; कच्चे भुट्टे को डंठल समेत कूटकर काढ़े या चाय की तरह बनाकर पीया जाए तो कफ रोग ठीक होते हैं । इसे भीं कर खया जाए तो भी कफ रोग ठीक होते हैं । धसका या खांसी हो तो इसके राख को अदरक और शहद मिलकर लें ।
गेहूँ (wheat) ; अगर खांसी है तो 10-15 gram भुने हुए दलिए को 400 ग्राम पानी में मिलाकर काढ़ा बनायें । इसमें सेंधा नमक मिलाकर पीयें या फिर 5 ग्राम भुना हुआ दलिया गुलाब की पंखुडियां और तुलसी मिलाकर चाय बनाकर पीयें ।
गोधूम क्षार भी खांसी और पथरी के लिए अच्छा होता है । क्षार बनाने के लिए पूरे गेहूँ के पौधे को जला लें । पानी में अच्छी तरह घोल लें । कुछ घंटे ऐसे ही रहने दें । बाद में ऊपर का निथारकर फेंक दें और नीचे बचा हुआ सफ़ेद पावडर सुखा लें । यही गोधूम क्षार है ।
खांसी में इसे आधा ग्राम शहद के साथ चाटें ।
अपराजिता ; खांसी होने पर इसकी जड़ के साथ 4-5 काली मिर्च लें और उसमें 2-3 पत्ते तुलसी के डालकर काढ़ा बनाकर पीयें । टांसिल बढ़ जाने पर इसके और अमरुद के पत्ते पानी में उबालकर , उसके गरारे करें । इसकी पत्तियों को पीसकर गले पर लेप करें । बच्चों को खांसी हो तो इसके बीज का पावडर 250 mg की मात्रा में शहद के साथ चटायें ।
श्योनाक( सोना पाठा, टोटला, अरलू ) ; खांसी होने पर इसकी सूखी छाल का पावडर आधा ग्राम और सौंठ एक ग्राम लें और सवेरे शाम शहद से चटाएं.
कचनार ; खांसी या कफ हो तो कचनार के फूलों का गुलकंद बनाकर सेवन करें ।
अश्वगंधा ; अश्वगंधा की जड़ का काढ़ा खांसी को ठीक करता है ।
गोखरू ; अगर खांसी है गोखरू + तुलसी + सौंठ का काढ़ा लें ।
अनार ; इसकी कलियों को सुखाकर 2-3 कलियों की चाय पी जाए तो पेट ठीक रहता है और सर्दी , जुकाम और खांसी आदि नहीं होते। खांसी होने पर, इसकी कलियाँ या पत्ते लें. उसमें 3-4 तुलसी के पत्ते और काली मिर्च मिलाकर इसकी चाय पियें।
अपामार्ग ( चिरचटा , लटजीरा , ओले कांटे) ; इसकी छार या क्षार बहुत ही उपयोगी है । इसकी छाल, जड़ आदि को जलाकर पानी में ड़ाल दें । बाद में ऊपर का सब कुछ निथारकर फेंक दें । नीचे जो सफ़ेद सा पावडर बच जाता है ; उसे अपामार्ग की छार या क्षार बोलते हैं । खांसी होने पर आधा ग्राम क्षार शहद के साथ चाटें । खांसी में इसके पंचांग की भस्म भी एक ग्राम शहद के साथ चाट सकते हैं।
गेंदा ( african marigold) ; खांसी या श्वास रोग में इसके 3-4 ग्राम सूखे फूल पत्तियों का काढ़ा पीयें . इसमें तुलसी और काली मिर्च डाल दें तो और भी अच्छा है . इस काढ़े को पीने से allergy भी ठीक हो जाती है ।
छुईमुई (touch me not) ; अगर खांसी हो तो इसके जड़ के टुकड़ों के माला बना कर गले में पहन लें । इसके जड़ के टुकड़े त्वचा को छूते रहें ; बस इतने भर से गला ठीक हो जाता है । इसके अलावा इसकी जड़ घिसकर शहद में मिलाये । इसको चाटने से , या फिर वैसे ही केवल इसकी जड़ चूसने से खांसी ठीक होती है । इसकी पत्तियां चबाने से भी गले में आराम आता है ।
खजूर ; खजूर केवल स्वादिष्ट ही नहीं होता ; कफ और बलगम को भी खत्म करता है 10-15 खजूरों को, बीज निकालकर दूध में पकाएँ और पी लें । इससे कमजोरी भी मिटेगी ।
अंजीर (fig) ; खांसी होने पर अंजीर , मुलेठी और तुलसी मिलाकर काढ़ा लिया जा सकता है । श्वास रोग हो तब भी इसे खा सकते हैं यह नुक्सान नहीं करती ।
धनिया ; छोटे बच्चे को खांसी हो तो धनिया पावडर भूनकर शहद के साथ चटा दें । अगर गले में दर्द है , तो धनिया और काली मिर्च चूस लें ।
रत्ती (गुंजा)(abrus precatorious) ; इसकी जड़ चूसने से गला ठीक रहता है और आवाज़ सुरीली होती है । कफ या बलगम हो तो इसकी पत्तियों +इसकी जड़ और तुलसी मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें ।
मेथी( fenugreek) ; कफ या बलगम की शिकायत है तो मे थी की रोटी में अदरक मिला लें और खाएं ।
हल्दी( turmeric) ; खांसी है तो हल्दी भूनकर शहद के साथ चाट लें । सवेरे खाली पेट दो ग्राम हल्दी कुछ दिन लेने से भी खांसी ठीक होती है । एक चम्मच हल्दी दूध में औटाकर , सवेरे शाम खाली पेट केवल तीन चार दिन तक लेने से ही खाँसी में आराम आता है ।
धतूरा ; दमा या साँस की बीमारी होने पर, इसकी सूखी पत्तियां व फल बराबर मात्रा में लें । फलों को कुचल लें। अब दोनों को मिलाकर मिटटी की हंडिया में जला लें। इस राख या भस्म को एक चौथाई ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटा जाए, तो आशातीत सफलता मिलती है ।
धूम्रपान की शुरुआत शायद उपचार के रूप में हुई होगी ; क्योंकि धतूरे के पत्तों की चिलम लेने से दमा का दौरा एकदम शांत होता है।
कंटकारी ( yellow berried nightshade) ; यह कांटेदार जामुनी फूल वाला पौधा बहुत फायदेमंद है | खासकर फेफड़े और गले के रोगों में तो , इसका जवाब ही नहीं । इस पूरे सूखे हुए पौधे को तीन या चार ग्राम के करीब लेकर दो सौ ग्राम पानी में उबाल लें । जब रह जाए एक चौथाई तो छानकर पी लें । यह सवेरे खाली पेट लें । इससे तुरंत खांसी में फायदा होता है । च्यवनप्राश में भी इसे डाला जाता है । अगर दमा या एलर्जी हो तो इस पौधे का ताज़ा रस एक या दो ग्राम लें और शहद में मिलाकर चाटें।
घृतकुमारी ( aloe vera) ; खांसी में इसका टुकड़ा लेकर गर्म करें | फिर उसपर काली मिर्च और काला नमक लगाकर खाएं |
कूठ (costus) ; दमा होने पर श्वसारी रस में या खांसी के काढ़े में कूठ का पावडर मिलाकर लें ।
अमलतास (purging cassia) ; श्वास रोगों में , इसके गूदे में काली मिर्च और तुलसी के पत्ते पकाकर छानकर , गर्म गर्म पीयें ।
मेदा , महामेदा ; इसके कंद के पाउडर से खांसी भी दूर होती है ।
बबूल या कीकर ; टांसिल बढ़े हुए हों , या गायन में परेशानी हो रही हो तो इसकी पत्तियां +छाल उबालकर उसमें नमक मिलाकर गरारे करें । कफ , बलगम ,एलर्जी की समस्या हो तो इसकी छाल +लौंग +काली मिर्च +तुलसी को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें ।
लौकी(bottle gourd) ; लौकी को घीया और दूधी भी कहा जाता है . ताज़ी लौकी का छिलका चमकदार होता है . इसे गरम पानी से अच्छी तरह धोकर इसका जूस निकालना चाहिए . इसके जूस में सेब का जूस मिला लें तो यह स्वादिष्ट हो जाता है . इसके जूस को सवेरे खाली पेट काली मिर्च मिलाकर और थोड़ा गुनगुना करके लेना चाहिए ।
खाँसी में इसका जूस लाभदायक है ।
लौकी कडवी नहीं होनी चाहिए ; इसका जूस हानिकारक हो सकता है ।
गिलोय ; गिलोय की डंडी के प्रयोग से बढ़ा हुआ E S R , टी बी आदि सब ठीक होता है ।
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