सरसों ; खाज खुजली के लिए 100 ग्राम तेल में 10 ग्राम देसी कपूर मिलाकर मालिश करें ।
आलू ; शरीर में कहीं पर भी खुजली की शिकायत है तो इसकी पत्तियों को पीसकर उसका रस लगायें ।
पित्त पापड़ा ( hedgi fumitori) ; पित्त पापड़ा के साथ नीम की पत्तियों को मिलाकर काढ़ा बनाकर लेने से , फोड़े , फुंसियाँ , दाद, खाज , खुजली , eczema , psoriasis आदि सब ठीक हो जाते हैं | अगर सरसों के तेल में इसे अच्छे से पकाकर ; जब केवल तेल रह जाए तब छानकर , उस तेल को त्वचा पर लगायें तो ये बीमारियाँ और भी जल्दी ठीक हो जाती हैं|
दारुहल्दी ( berberry ) ; इसकी डालियों और पत्तियों के पास कांटे होते हैं . अत: ध्यान से पत्ते तोड़ने चाहियें. इसके पत्तों को पीसकर अगर लुगदी को फोड़े फुंसियों पर लगाया जाए , तो या तो फुंसियाँ पककर फूट जाती हैं या फिर बैठ जाती हैं |
बहेड़ा ( bellaric myrobalan) ; खुजली की समस्या के लिए इसकी मींगी (फल का बीज ) का तेल +मीठा तेल (तिल का तेल ) मिलाकर मालिश करनी चाहिए ।
निर्गुण्डी (vitex negundo) ; अगर फुंसी हो गई है या घाव हो गया है तो पत्ते उबालकर , पानी से धोएं ।
नागदोन ; फोड़ा हो तो इसके पत्ते गर्म करके बाँध लें ।
बकायन , महानिम्ब (bead tree) ; रक्तशुद्धि और त्वचा के रोगों में यह बहुत लाभकारी है । त्वचा के रोगों के लिए इसकी 10 ग्राम छाल को 200 ग्राम पानी में पकाएं जब रह जाए 50 ग्राम ; तो इसे पी लें . यह सवेरे शाम खाली पेट लें । खुजली हो तो इसके पत्तों के रस की मालिश करें ।
पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia) ; यह पौधा त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा है । कुछ दिन इसकी सब्जी मेथी के साग की तरह खाने से रक्तदोष , त्वचा के विकार , शीतपित्त , psoriasis , दाद खाज आदि से छुटकारा मिलता है ।Psoriasis , eczema या खाज खुजली होने पर इसके पत्ते पानी में उबालकर नहायें ।
धातकी , धाय (woodfordia) इसकी टहनी की छाल चन्दन की तरह घिस लें। फोड़ा या नासूर होने पर इसी पेस्ट को फोड़े पर लगा लें । फोड़ा जल्दी ठीक होगा ।
मुलेठी (licorice root) ; इसके पत्तों को पीसकर फुंसी पर लगाने से वह जल्दी फूट जाती है या फिर दब जाती है । केवल यह ध्यान रखना है की फुंसी का मुंह खुला रहे ।
खस (grass ) ; चर्म रोग या eczema या allergy हो तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ में 2-3 ग्राम नीम मिलाकर काढ़ा बनाएं और सवेरे शाम पीयें ।
भारंगी (turk's turban moon) ; फोड़े हो गए हों तो पत्ते पीसकर गर्म करके पुल्टिस बांधें ।
शरपुंखा ; यह रक्तशोधक है । इसके पंचांग में नीम की पत्ते डालकर काढ़ा पीया जाये तो फोड़े-फुंसियाँ ठीक हो जाती हैं ।
दूब (grass) ; खुजली की समस्या है तो घास में चार गुना पानी मिलाकर पकाएं । जब एक चौथाई रह जाए तो सरसों का तेल और कपूर मिलाकर खुजली वाले स्थान पर मलें ।
कुटज (इन्द्रजौ ) ; इसकी छाल रात को मिट्टी के बर्तन में भिगोयें । इसका पानी सवेरे सवेरे पी लें । यह रक्तशोधक भी है । फोड़े फुंसी होने पर भी यही पानी पीने से राहत मिलती है । खुजली हो तो इसकी छाल पानी में उबालकर उस पानी से धोएं ।
बाकुची (psoralea seeds) ; दाद खाज खुजली में इसका तेल लगायें ।
तुलसी (holi basil) ; दाद -खुजली हो तो नीम्बू और तुलसी का रस 4 : 1 के अनुपात में लें और त्वचा पर लगायें । इससे त्वचा सुंदर भी होती है ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; फोड़ा पकाना है तो प्याज गर्म करके लगा दें ।
खुजली है तो , इसके रस के साथ नीम का रस मिलाकर लगायें , या केवल इसका ही रस लगा लें |
सेमल (silk cotton tree) ; चेहरे पर फोड़े फुंसी हों तो इसकी छाल या काँटों को घिसकर लगा लें ।
पीपल (sacred fig) ; फोड़े फुंसी पर इसकी छाल घिसकर लगा दें ।
वरुण (three leaf caper) ; यह रक्तशोधक है । इसकी पत्तियों को कूटकर काढ़ा लेने से खाज खुजली ठीक होती है । फोड़े फुंसी पर इसकी पत्तियां उबालकर और थोडा नमक डालकर बाँध लें ।
करेला (bitter gourd ) ; इसका थोडा सा रस खाली पेट ले लिया जाए तो त्वचा सम्बन्धी विकार भी नहीं होते ।
हल्दी (turmeric) ; त्वचा पर खुजली है तो aloe vera के गूदे में हल्दी को मिलाकर अच्छे से मलें ।
घृतकुमारी ( aloe vera) ; खुजली होने पर घृतकुमारी, नारियल तेल , कपूर और गेरू का शरीर पर लेप करके रखें और कुछ देर बाद नहा लें ।
मेंहदी (henna ) ; त्वचा के सभी रोगों के लिए, चाहे वह eczema हो या psoriasis ; पैर की अँगुलियों के बीच में गलन हो , या फुंसियाँ हो ; सभी के लिए मेंहदी और नीम के पत्ते पीसकर लगाइए ।
अंजीर (fig ) ; इसके रोज़ लेने से फोड़े फुंसी नही होते , रक्त शुद्ध रहता है ।
अपामार्ग , लटजीरा ; त्वचा में खाज - खुजली होने पर इसके पत्ते पानी में उबालकर स्नान करें ।
curry leaves ; अगर फुंसी हों तो इसके पत्तों को पीसकर पेस्ट की तरह लगायें । खुजली या दाने होने पर इसकी जड़ की छाल को घिसकर लगायें ।
गूलर (cluster fig) ; फोड़ा फुंसी बार बार हो रहा हो तो इसकी छाल पीसकर लगा लें ।
पलाश ( flame of the forest ) ; खाज खुजली हो तो इसकी पत्तियां पीसकर लगा लें और पी भी लें । फोड़े फुंसी हों तो इसके पत्ते गर्म करके पुल्टिस बांधें ।
थूहर ; फोड़े होने पर इसके पत्ते गरम करके बांधे जा सकते हैं ।
सहदेवी ; अगर रक्तदोष है , खाज खुजली है तो 2 ग्राम सहदेवी का पावडर खाली पेट लें।
गेहूँ ; फुंसी पकाने के लिए फुंसी पर छोटी सी रोटी एक तरफ सेक कर बीच में छेद करके रखें। सवेरे तक पस निकल जाएगी।
खाज खुजली होने पर या eczema होने पर गेहूँ का तेल लगाएँ। तेल पाताल यंत्र से निकाला जा सकता है। एक मिटटी की छोटी सी मटकी के नीचे की तरफ छेद कर दें , फिर मटकी में गेहूँ भरकर मटकी के नीचे एक बर्तन रख दें। मटकी को ऊपर से ढक दें। मिटटी में छोटा सा गड्ढा करके उस में ये पाताल यंत्र रख दें। ऊपर उपले लगा दें। जब उपले पूरे जल जाएँ तो आप नीचे वाले बर्तन में गेहूं का तेल इकट्ठा हुआ पाएँगे।
कालमेघ ; त्वचा की कान्ति बढानी है , मुंहासे , झाइयाँ , दाद , खुजली की परेशानी है तो ,2-3 gram कालमेघ में थोडा आंवला मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सवेरे मसलकर खाली पेट पी लें।
कचनार ; कचनार की छाल शरीर की सभी प्रकार की गांठों को खत्म करती है । 10 gram गीली छाल या 5 ग्राम सूखी छाल 400 ग्राम पानी में उबालें जब आधा रह जाए तो पी लें। इससे सभी तरह की गांठें, फोड़े, फुंसी आदि खत्म होते हैं ।
रतनजोत (onosma) ; इसके पत्तियों के सेवन से रक्त शुद्ध होता है और दाद, खाज और खुजली से छुटकारा मिलता है ।
आलू ; शरीर में कहीं पर भी खुजली की शिकायत है तो इसकी पत्तियों को पीसकर उसका रस लगायें ।
पित्त पापड़ा ( hedgi fumitori) ; पित्त पापड़ा के साथ नीम की पत्तियों को मिलाकर काढ़ा बनाकर लेने से , फोड़े , फुंसियाँ , दाद, खाज , खुजली , eczema , psoriasis आदि सब ठीक हो जाते हैं | अगर सरसों के तेल में इसे अच्छे से पकाकर ; जब केवल तेल रह जाए तब छानकर , उस तेल को त्वचा पर लगायें तो ये बीमारियाँ और भी जल्दी ठीक हो जाती हैं|
दारुहल्दी ( berberry ) ; इसकी डालियों और पत्तियों के पास कांटे होते हैं . अत: ध्यान से पत्ते तोड़ने चाहियें. इसके पत्तों को पीसकर अगर लुगदी को फोड़े फुंसियों पर लगाया जाए , तो या तो फुंसियाँ पककर फूट जाती हैं या फिर बैठ जाती हैं |
बहेड़ा ( bellaric myrobalan) ; खुजली की समस्या के लिए इसकी मींगी (फल का बीज ) का तेल +मीठा तेल (तिल का तेल ) मिलाकर मालिश करनी चाहिए ।
निर्गुण्डी (vitex negundo) ; अगर फुंसी हो गई है या घाव हो गया है तो पत्ते उबालकर , पानी से धोएं ।
नागदोन ; फोड़ा हो तो इसके पत्ते गर्म करके बाँध लें ।
बकायन , महानिम्ब (bead tree) ; रक्तशुद्धि और त्वचा के रोगों में यह बहुत लाभकारी है । त्वचा के रोगों के लिए इसकी 10 ग्राम छाल को 200 ग्राम पानी में पकाएं जब रह जाए 50 ग्राम ; तो इसे पी लें . यह सवेरे शाम खाली पेट लें । खुजली हो तो इसके पत्तों के रस की मालिश करें ।
पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia) ; यह पौधा त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा है । कुछ दिन इसकी सब्जी मेथी के साग की तरह खाने से रक्तदोष , त्वचा के विकार , शीतपित्त , psoriasis , दाद खाज आदि से छुटकारा मिलता है ।Psoriasis , eczema या खाज खुजली होने पर इसके पत्ते पानी में उबालकर नहायें ।
धातकी , धाय (woodfordia) इसकी टहनी की छाल चन्दन की तरह घिस लें। फोड़ा या नासूर होने पर इसी पेस्ट को फोड़े पर लगा लें । फोड़ा जल्दी ठीक होगा ।
मुलेठी (licorice root) ; इसके पत्तों को पीसकर फुंसी पर लगाने से वह जल्दी फूट जाती है या फिर दब जाती है । केवल यह ध्यान रखना है की फुंसी का मुंह खुला रहे ।
खस (grass ) ; चर्म रोग या eczema या allergy हो तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ में 2-3 ग्राम नीम मिलाकर काढ़ा बनाएं और सवेरे शाम पीयें ।
भारंगी (turk's turban moon) ; फोड़े हो गए हों तो पत्ते पीसकर गर्म करके पुल्टिस बांधें ।
शरपुंखा ; यह रक्तशोधक है । इसके पंचांग में नीम की पत्ते डालकर काढ़ा पीया जाये तो फोड़े-फुंसियाँ ठीक हो जाती हैं ।
दूब (grass) ; खुजली की समस्या है तो घास में चार गुना पानी मिलाकर पकाएं । जब एक चौथाई रह जाए तो सरसों का तेल और कपूर मिलाकर खुजली वाले स्थान पर मलें ।
कुटज (इन्द्रजौ ) ; इसकी छाल रात को मिट्टी के बर्तन में भिगोयें । इसका पानी सवेरे सवेरे पी लें । यह रक्तशोधक भी है । फोड़े फुंसी होने पर भी यही पानी पीने से राहत मिलती है । खुजली हो तो इसकी छाल पानी में उबालकर उस पानी से धोएं ।
बाकुची (psoralea seeds) ; दाद खाज खुजली में इसका तेल लगायें ।
तुलसी (holi basil) ; दाद -खुजली हो तो नीम्बू और तुलसी का रस 4 : 1 के अनुपात में लें और त्वचा पर लगायें । इससे त्वचा सुंदर भी होती है ।
सफ़ेद प्याज (white onion) ; फोड़ा पकाना है तो प्याज गर्म करके लगा दें ।
खुजली है तो , इसके रस के साथ नीम का रस मिलाकर लगायें , या केवल इसका ही रस लगा लें |
सेमल (silk cotton tree) ; चेहरे पर फोड़े फुंसी हों तो इसकी छाल या काँटों को घिसकर लगा लें ।
पीपल (sacred fig) ; फोड़े फुंसी पर इसकी छाल घिसकर लगा दें ।
वरुण (three leaf caper) ; यह रक्तशोधक है । इसकी पत्तियों को कूटकर काढ़ा लेने से खाज खुजली ठीक होती है । फोड़े फुंसी पर इसकी पत्तियां उबालकर और थोडा नमक डालकर बाँध लें ।
करेला (bitter gourd ) ; इसका थोडा सा रस खाली पेट ले लिया जाए तो त्वचा सम्बन्धी विकार भी नहीं होते ।
खाज व खुजली में नीम का रस और करेले का रस मिलाकर खाल पर मालिश की जाए तो आशातीत सफलता मिलती है ।
फोड़ा न पके तो इसकी जड़ घिसकर फोड़े पर लगा दें । फोड़े की पस निकल जाएगी ।
घृतकुमारी ( aloe vera) ; खुजली होने पर घृतकुमारी, नारियल तेल , कपूर और गेरू का शरीर पर लेप करके रखें और कुछ देर बाद नहा लें ।
मेंहदी (henna ) ; त्वचा के सभी रोगों के लिए, चाहे वह eczema हो या psoriasis ; पैर की अँगुलियों के बीच में गलन हो , या फुंसियाँ हो ; सभी के लिए मेंहदी और नीम के पत्ते पीसकर लगाइए ।
अंजीर (fig ) ; इसके रोज़ लेने से फोड़े फुंसी नही होते , रक्त शुद्ध रहता है ।
अपामार्ग , लटजीरा ; त्वचा में खाज - खुजली होने पर इसके पत्ते पानी में उबालकर स्नान करें ।
curry leaves ; अगर फुंसी हों तो इसके पत्तों को पीसकर पेस्ट की तरह लगायें । खुजली या दाने होने पर इसकी जड़ की छाल को घिसकर लगायें ।
गूलर (cluster fig) ; फोड़ा फुंसी बार बार हो रहा हो तो इसकी छाल पीसकर लगा लें ।
पलाश ( flame of the forest ) ; खाज खुजली हो तो इसकी पत्तियां पीसकर लगा लें और पी भी लें । फोड़े फुंसी हों तो इसके पत्ते गर्म करके पुल्टिस बांधें ।
थूहर ; फोड़े होने पर इसके पत्ते गरम करके बांधे जा सकते हैं ।
अगर खाज खुजली या चमला की बीमारी है तो 1-2 चम्मच सरसों के तेल में इसके दूध की 4-5 बूँदें अच्छी तरह मिलाकर लगायें . अगर eczema या psoriasis की बीमारी है तो इसका तेल बनाकर लगाएँ. इसे किसी बोरे में कूटकर दो लिटर रस निकालें. इसे आधा लिटर सरसों के तेल में मिलाकर धीमी आंच पर पकाएँ . जब केवल तेल रह जाए तो इसे शीशी में भरकर रख लें और त्वचा पर लगाएँ ।
गेहूँ ; फुंसी पकाने के लिए फुंसी पर छोटी सी रोटी एक तरफ सेक कर बीच में छेद करके रखें। सवेरे तक पस निकल जाएगी।
खाज खुजली होने पर या eczema होने पर गेहूँ का तेल लगाएँ। तेल पाताल यंत्र से निकाला जा सकता है। एक मिटटी की छोटी सी मटकी के नीचे की तरफ छेद कर दें , फिर मटकी में गेहूँ भरकर मटकी के नीचे एक बर्तन रख दें। मटकी को ऊपर से ढक दें। मिटटी में छोटा सा गड्ढा करके उस में ये पाताल यंत्र रख दें। ऊपर उपले लगा दें। जब उपले पूरे जल जाएँ तो आप नीचे वाले बर्तन में गेहूं का तेल इकट्ठा हुआ पाएँगे।
कालमेघ ; त्वचा की कान्ति बढानी है , मुंहासे , झाइयाँ , दाद , खुजली की परेशानी है तो ,2-3 gram कालमेघ में थोडा आंवला मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सवेरे मसलकर खाली पेट पी लें।
कचनार ; कचनार की छाल शरीर की सभी प्रकार की गांठों को खत्म करती है । 10 gram गीली छाल या 5 ग्राम सूखी छाल 400 ग्राम पानी में उबालें जब आधा रह जाए तो पी लें। इससे सभी तरह की गांठें, फोड़े, फुंसी आदि खत्म होते हैं ।
रतनजोत (onosma) ; इसके पत्तियों के सेवन से रक्त शुद्ध होता है और दाद, खाज और खुजली से छुटकारा मिलता है ।
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