पित्त पापड़ा ( hedgi fumitori) ; यह पित्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत लाभदायक है . Acidity हो या शरीर में toxins इकट्ठे हो गये हों , यह सभी विजातीय तत्वों को शरीर से बाहर निकाल देता है । अगर किसी ने कोई जहरीली वस्तु खा ली हो या food poisoning हो गई हो तो यह बहुत ही लाभकारी है| Arsenic poisoning तक के असर को यह खत्म करने में सक्षम है | कई बार किसी इलाज के चलते बहुत बुरे side effects हो सकते हैं | अगर पित्त पापड़ा का सेवन किया जाए तो side effects को बहुत हद तक कम किया जा सकता है| इसके लिए ताज़े पित्त पापड़ा का दो -तीन चम्मच रस पानी के साथ खाली पेट सुबह शाम ले सकते हैं| ताज़ा न मिले तो सूखे पित्त पापड़ा को 5 ग्राम की मात्रा में लें । इसे 200 ग्राम पानी में धीरे धीरे काढकर काढ़ा बनाएं। इसे सवेरे शाम दो तीन महीने तक लेते रहें । शरीर से सारा विष निकल जाएगा ।
अगस्त्य (sesbania) ; इसके पत्तों का रस जहरशामक होता है | इसको लेने food poisoning ठीक हो जाती है |
बहेड़ा ( bellaric myrobalan) ; यह विषहर है . हर प्रकार के जहर का असर खत्म करता है । ऐसा माना जाता है कि सांप के काटने से बेहोश हुए व्यक्ति की नाक में अगर इसकी पत्तियों का रस डाला जाए , तो उसकी बेहोशी टूट जाती है ।
द्रोणपुष्पी ; यह रक्तशोधक माना जाता है । अगर त्वचा की कोई परेशानी है , सांप के जहर का असर है , कोई विषैला कीड़ा काट गया है , या skin पर allopathy की दवाइयों का reaction हो गया है ; तो इसके 5 ग्राम पंचांग में 3 ग्राम नीम के पत्ते मिलाकर , दो गिलास पानी में उबाल लें । जब आधा गिलास बच जाए तो पी लें । ये कुछ दिन सुबह शाम लें ।
Infection या कैंसर जैसी समस्याओं के लिए ताज़ी द्रोणपुष्पी +भृंगराज +देसी बबूल की पत्तियों का रस या काढ़ा पीयें . डाक्टरों के निर्देशन में आनी दवाइयों के साथ भी इसे ले सकते हैं . इससे चिकित्सा में जटिलता कम होंगी . शरीर में chemicals का जहर हो , toxins हों या एलर्जी हो तो इसके पंचांग का 2-3 ग्राम का काढ़ा ले सकते हैं . विभिन्न एलर्जी और बीमारियों को दूर करने के लिए द्रोणपुष्पी का सत भी लिया जा सकता है . इसका सत बनाने के लिए , इसके रस में दो गुना पानी मिलाकर एक बर्तन में 24 घंटों के लिए रख दें . इसके बाद ऊपर का पानी निथारकर फेंक दें और नीचे बचे हुए residue को किसी चौड़े बर्तन में फैलाकर छाया में सुखा लें . तीन चार दिन बाद यह सूखकर पावडर बन जाएगा . इसे द्रोणपुष्पी का सत कहते हैं . इसे प्रतिदिन आधा ग्राम की मात्रा में लेने से सब प्रकार की व्याधियां समाप्त हो जाती हैं . और अगर कोई व्याधि नहीं है तब भी यह लेने से व्याधियों से बचे रहते हैं , प्रदूषणजन्य बीमारियों से भी बचाव होता है |
भारंगी (turk's turban moon ) ; Food poisoning या पेट का संक्रमण खत्म करना हो तो इसके पंचांग का या फिर पत्तियों का काढ़ा लें |
गुड़हल , जबाकुसुम (china rose, shoe flower) ; यह विष को भी दूर करता है | इसके फूलों में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर मसलकर कांच के बर्तन में रख दें | कुछ दिन धूप दिखा दें. | इस गुडहल के गुलकंद का प्रतिदिन सेवन करने से ताकत मिलती है | गर्मी में इसका शर्बत पीयें ।
पीपल (sacred fig) ; पीपल के पत्तों की चाय पीने से शरीर के toxins निकल जाते हैं ।
घृतकुमारी ( aloe vera) ; food poisoning हो जाए तो aloe vera लाभदायक रहता है ।
गिलोय ; गिलोय के प्रयोग से शरीर के toxins खत्म हो जाते हैं ।
अग्निशिखा ; इसे विषल्या भी कहते हैं क्योंकि यह विष का नाश करती है । इसे कलियारी और लांगुली नाम से भी जानते हैं । इस पौधे के नीचे कन्द होते हैं जो वास्तव में औषधीय गुणों से परिपूर्ण हैं ।
गूलर (cluster fig) ; इसके अंदर शरीर के toxins खत्म करने की क्षमता है । इसकी कोमल पत्तियों का रस या पावडर लेने से शरीर का विष समाप्त होता है ।
पलाश (flame of the forest ) ; इसके 5-10 फूल रात को आधा लिटर पानी में भिगोयें और सवेरे उस पानी को मसलकर , छानकर पीयें | यह निरापद है और शरीर में पैदा हुए सब प्रकार के विष का नाश करता है | प्रदूषण से पैदा हुए विष भी इस पानी को पीने से खत्म हो जाते हैं |
इसकी छाल का काढ़ा विषनाशक है ; किसी ने तो यहाँ तक कहा कि यह सर्पविष का भी इलाज है | परन्तु यह निश्चित तौर से वातावरण के प्रदूषण के विष का तो अवश्य उपचार है. यह शरीर को detoxified करता है |
सहदेवी ; अगर फ़ूड poisoning हो गई है , तो 2 ग्राम सहदेवी और 2 ग्राम मुलेटी को मिलाकर लें।
कदम्ब ; यह वृक्ष जहरशामक होता है। किसी भी दवाई से एलर्जी हो जाए या किसी प्रकार का ज़हरीला असर हो जाए तो इसकी सूखी छाल, फल व पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर 10 ग्राम मिश्रण को 400 ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनायें। इसे सवेरे शाम ले लें।
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