Tuesday, December 16, 2014

food poisoning and bad side effects of medicine!


पित्त पापड़ा ( hedgi fumitori)  ;  यह पित्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत लाभदायक है . Acidity हो या शरीर में toxins  इकट्ठे हो गये हों , यह सभी विजातीय तत्वों को शरीर से बाहर निकाल देता है ।  अगर किसी ने कोई जहरीली वस्तु खा ली हो या food poisoning हो गई हो तो यह बहुत ही लाभकारी है|  Arsenic poisoning तक के असर को यह खत्म करने में सक्षम है |  कई बार किसी इलाज के चलते बहुत बुरे side effects हो सकते हैं |  अगर पित्त पापड़ा का सेवन किया जाए तो side effects को बहुत हद तक कम किया जा सकता है|  इसके लिए ताज़े पित्त पापड़ा का दो -तीन चम्मच रस पानी के साथ खाली पेट सुबह शाम ले सकते हैं|  ताज़ा न मिले तो सूखे पित्त पापड़ा को 5 ग्राम की मात्रा  में लें ।  इसे 200 ग्राम पानी में धीरे धीरे काढकर काढ़ा बनाएं।  इसे सवेरे शाम दो तीन महीने तक लेते रहें ।  शरीर से सारा विष निकल जाएगा । 

अगस्त्य (sesbania) ;    इसके पत्तों का रस जहरशामक होता है |  इसको लेने food poisoning ठीक हो जाती है |

बहेड़ा ( bellaric myrobalan)  ; यह विषहर है . हर प्रकार के जहर का असर खत्म करता है ।  ऐसा माना जाता है कि सांप के काटने से बेहोश हुए व्यक्ति की नाक में अगर इसकी पत्तियों का रस डाला जाए , तो उसकी बेहोशी टूट जाती है ।      

 द्रोणपुष्पी  ;    यह रक्तशोधक माना जाता है ।  अगर त्वचा की कोई परेशानी है , सांप के जहर का असर है , कोई विषैला कीड़ा काट गया है , या skin पर allopathy की दवाइयों का reaction हो गया है ; तो इसके 5  ग्राम पंचांग में 3 ग्राम नीम के पत्ते मिलाकर , दो गिलास पानी में उबाल लें ।  जब आधा गिलास बच जाए तो पी लें ।  ये कुछ दिन सुबह शाम लें । 
 Infection या कैंसर जैसी समस्याओं के लिए ताज़ी द्रोणपुष्पी +भृंगराज +देसी बबूल की पत्तियों का रस या काढ़ा पीयें . डाक्टरों के निर्देशन में आनी दवाइयों के साथ भी इसे ले सकते हैं . इससे चिकित्सा में जटिलता कम होंगी . शरीर में chemicals का जहर हो , toxins  हों या एलर्जी हो तो इसके पंचांग का 2-3 ग्राम का काढ़ा ले सकते हैं . विभिन्न एलर्जी और बीमारियों को दूर करने के लिए द्रोणपुष्पी का सत भी लिया जा सकता है .   इसका सत बनाने के लिए , इसके रस में दो गुना पानी मिलाकर एक बर्तन में 24 घंटों के लिए रख दें . इसके बाद ऊपर का पानी निथारकर फेंक दें और नीचे बचे हुए residue को किसी चौड़े बर्तन में फैलाकर छाया में सुखा लें . तीन चार दिन बाद यह सूखकर पावडर बन जाएगा . इसे द्रोणपुष्पी का सत कहते हैं . इसे प्रतिदिन आधा ग्राम की मात्रा  में लेने से सब प्रकार की व्याधियां समाप्त हो जाती हैं . और अगर कोई व्याधि नहीं है तब भी यह लेने से व्याधियों से बचे रहते हैं , प्रदूषणजन्य बीमारियों से भी बचाव होता है | 

भारंगी (turk's turban moon )  ;    Food poisoning या पेट का संक्रमण खत्म करना हो तो इसके पंचांग का या फिर पत्तियों का काढ़ा लें |   

गुड़हल , जबाकुसुम (china rose, shoe flower)  ;  यह विष को भी दूर करता है |  इसके फूलों में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर मसलकर कांच के बर्तन में रख दें |  कुछ दिन धूप दिखा दें. | इस गुडहल के गुलकंद का प्रतिदिन सेवन करने से ताकत मिलती है |  गर्मी में इसका शर्बत पीयें । 

पीपल (sacred fig) ; पीपल के पत्तों की चाय पीने से शरीर के toxins निकल जाते हैं ।  

घृतकुमारी ( aloe vera)  ;   food poisoning हो जाए  तो  aloe vera  लाभदायक रहता है ।  

गिलोय  ;  गिलोय के प्रयोग से शरीर के toxins खत्म हो जाते हैं ।  

अग्निशिखा  ;   इसे विषल्या भी कहते हैं क्योंकि यह विष का नाश करती है ।  इसे कलियारी और लांगुली नाम से भी जानते हैं ।  इस पौधे के नीचे कन्द होते हैं जो वास्तव में औषधीय गुणों से परिपूर्ण हैं ।  

गूलर (cluster fig)  ;  इसके अंदर शरीर के toxins खत्म करने की क्षमता है ।  इसकी कोमल पत्तियों का रस या पावडर लेने से शरीर का विष समाप्त होता है ।  

पलाश (flame of the forest )  ;  इसके 5-10 फूल रात को आधा लिटर पानी में भिगोयें और सवेरे उस पानी को मसलकर , छानकर पीयें |  यह निरापद है और शरीर में पैदा हुए सब प्रकार के विष का नाश करता है | प्रदूषण से पैदा हुए विष भी इस पानी को पीने से खत्म हो जाते हैं | 
इसकी छाल का काढ़ा विषनाशक है ; किसी ने तो यहाँ तक कहा कि यह सर्पविष का भी इलाज है |  परन्तु यह निश्चित तौर से वातावरण के प्रदूषण के विष का तो अवश्य उपचार है. यह शरीर को detoxified करता है |  

सहदेवी  ;  अगर फ़ूड poisoning हो गई है , तो 2 ग्राम सहदेवी और 2 ग्राम मुलेटी को मिलाकर लें।   

कदम्ब   ;  यह वृक्ष जहरशामक होता है।  किसी भी दवाई से एलर्जी हो  जाए या किसी प्रकार का ज़हरीला असर हो जाए तो इसकी सूखी छाल, फल व पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर 10 ग्राम मिश्रण को 400 ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनायें।  इसे सवेरे शाम ले लें। 

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