आलू ; मुंह पर झाइयाँ या कील मुंहासे हो गये हों तो , आलू को पीसकर उस पर लगायें ।
ककड़ी ; चेहरे पर झाइयाँ हों तो माजूफल , जायफल और ककडी घिसकर , पेस्ट बनाकर चेहरे पर उबटन की तरह लगायें ।
झाइयाँ ठीक हो जाएँगी ।
रेवनचीनी ; चेहरे पर कील -मुंहासे हों तो इसकी जड़ को पानी घिसकर पेस्ट की तरह बना लें और कील मुंहासे पर लगायें . कुछ देर बाद मुंह धो लें ।
कूठ (costus) ; त्वचा की किसी भी परेशानी के लिए इसके पत्ते को पीसकर उसका रस लगाएं । इससे eczema , दाद , खुजली , एलर्जी आदि सभी त्वचा के रोग ठीक होते हैं । इससे झाइयाँ , कील मुहासे आदि भी ठीक होते हैं । पत्ते न मिलें तो इसकी जड़ चन्दन की तरह घिसकर लगायें । इसको लगाने से घाव भी भर जाते हैं ।
अमलतास (purging cassia) ; अमलतास रक्तशोधक है । इसकी छाल को चन्दन की तरह घिसकर कील मुंहासों पर लगाया जा सकता है । इसे लगाने से चकत्ते भी ठीक होते हैं ।
गंभारी (verbenaceae) ; कील मुहासे हो ,त्वचा की समस्या हो या फिर रक्त विकार हो तो , गंभारी की छाल और नीम की छाल का काढ़ा सुबह शाम पीयें ।
ममीरा ( gold thread cypress) ; चेहरे पर मुहासे हों तो इसकी जड़ घिसकर लगायें |
तुंबरु (toothache tree) ; अगर कोई रक्त विकार है , त्वचा की समस्या है , त्वचा काली हो गई है , या eczema हो गया है तो इसकी पत्तियों का काढ़ा पीयें . फोड़े फुंसी या मुहासे हो गये हों तो इसकी जड या कांटे घिसकर लगा लें .इससे निशान भी मिट जायेंगे ।
पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia) ; यह पौधा त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा है । कुछ दिन इसकी सब्जी मेथी के साग की तरह खाने से रक्तदोष , त्वचा के विकार आदि से छुटकारा मिलता है ।
बेल ; बेलपत्र रक्त शुद्धि करता है । रक्त शुद्ध होने पर त्वचा के रोग स्वयं ठीक हो जाते हैं । इसके लिए 7 पत्ते बेल +3-4 तुलसी पत्र +4-5 दाने काली मिर्च मिलाकर एक कप शरबत बनाकर पीयें ।
बथुआ (chenopodium) ; रक्त शुद्ध करना हो तो इसके पत्तों के रस के साथ नीम के पत्तों का रस मिलाकर लें ।
पीपल (sacred fig) ; चेहरे पर झाइयाँ हों तो पीपल की छाल के अंदर वाले हिस्से का पावडर शहद में मिलाकर चेहरे पर लगायें ।
खीरा (cucumber) ; ताजे खीरे को चेहरे पर घिसे और 15 मिनट बाद धो दें तो चेहरा निखरता है |
घृतकुमारी (aloe vera) ; त्वचा पर झाइयाँ , झुर्रियां पड़ जाएँ तो इसके गूदे की मालिश करने से त्वचा पर चमक आ जाती है । अगर त्वचा पर कोई पुराना निशान हो या त्वचा सख्त हो गई हो तो इसके गूदे और शहद को उस पर लगाकर तीन चार घंटे के लिए छोड़ दें । और फिर धो दें ।
अरण्ड (castor) ; त्वचा फटे या त्वचा पर काले धब्बे हों, तो इसके तेल की मालिश करने से त्वचा बिलकुल ठीक हो जाती है ।
मेथी (fenugreek ) ; चेहरे की चमक बढानी है तो इसके पत्ते पीसकर चेहरे पर लगाएँ ।
धनिया (coriander) ; चेहरे पर झाइयाँ हों तो इसकी पत्तियां पीसकर चेहरे पर मलें ।
पालक (spinach ) ; चेहरे की कान्तिके लिए इसकी पत्तियों का रस चेहरे पर मलें ।
गेंदा (merigold ) ; मुंहासे या झाइयाँ हों तो इसके फूल व पत्तियों के रस को चेहरे पर मलें ।
अंजीर (fig ) ; इसका रोज़ प्रयोग करने से चेहरे की कांति बढ़ती है ।
गिलोय ; इसे लेते रहने से रक्त संबंधी विकार नहीं होते । toxins खत्म हो जाते हैं । त्वचा निखर जाती है । गिलोय के नित्य प्रयोग से शरीर में कान्ति रहती है और असमय ही झुर्रियां नहीं पड़ती ।
खजूर (dates) ; खजूर रक्त शोधक होता है । इसे लेते रहने से त्वचा स्वस्थ रहती है ।
curry leaves ; चेहरे का सौन्दर्य बढ़ाना हो तो इसके पत्तों का पेस्ट चेहरे पर लगायें ।
अनार (pomegranate ) ; इसके छिलके . चन्दन और लौंग की पेस्ट मुंह पर लगाने से चेहरा साफ़ रहता है ।
सहदेवी ; अगर रक्तदोष है, त्वचा की सुन्दरता चाहिए तो 2 ग्राम सहदेवी का पावडर खाली पेट लें ।
कालमेघ ; त्वचा की कान्ति बढानी है , मुंहासे , झाइयाँ की परेशानी है तो ,2-3 gram कालमेघ में थोडा आंवला मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सवेरे मसलकर खाली पेट पी लें।
गूलर (cluster fig) ; चेचक के दाग ठीक नहीं हो रहे हों तो इसके पत्तों के लाल दानों को बकरी के दूध में घिसकर लगा लें । अगर pimples ठीक नहीं हो रहे हों तो उन पर इसकी छाल की पेस्ट लगा लें ।
अर्जुन ; चेहरे की झाइयों के लिए इसकी छाल घिसकर चेहरे पर लगायें।
ककड़ी ; चेहरे पर झाइयाँ हों तो माजूफल , जायफल और ककडी घिसकर , पेस्ट बनाकर चेहरे पर उबटन की तरह लगायें ।
झाइयाँ ठीक हो जाएँगी ।
रेवनचीनी ; चेहरे पर कील -मुंहासे हों तो इसकी जड़ को पानी घिसकर पेस्ट की तरह बना लें और कील मुंहासे पर लगायें . कुछ देर बाद मुंह धो लें ।
कूठ (costus) ; त्वचा की किसी भी परेशानी के लिए इसके पत्ते को पीसकर उसका रस लगाएं । इससे eczema , दाद , खुजली , एलर्जी आदि सभी त्वचा के रोग ठीक होते हैं । इससे झाइयाँ , कील मुहासे आदि भी ठीक होते हैं । पत्ते न मिलें तो इसकी जड़ चन्दन की तरह घिसकर लगायें । इसको लगाने से घाव भी भर जाते हैं ।
अमलतास (purging cassia) ; अमलतास रक्तशोधक है । इसकी छाल को चन्दन की तरह घिसकर कील मुंहासों पर लगाया जा सकता है । इसे लगाने से चकत्ते भी ठीक होते हैं ।
गंभारी (verbenaceae) ; कील मुहासे हो ,त्वचा की समस्या हो या फिर रक्त विकार हो तो , गंभारी की छाल और नीम की छाल का काढ़ा सुबह शाम पीयें ।
ममीरा ( gold thread cypress) ; चेहरे पर मुहासे हों तो इसकी जड़ घिसकर लगायें |
तुंबरु (toothache tree) ; अगर कोई रक्त विकार है , त्वचा की समस्या है , त्वचा काली हो गई है , या eczema हो गया है तो इसकी पत्तियों का काढ़ा पीयें . फोड़े फुंसी या मुहासे हो गये हों तो इसकी जड या कांटे घिसकर लगा लें .इससे निशान भी मिट जायेंगे ।
पंवाड या चक्रमर्द (foetid cassia) ; यह पौधा त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा है । कुछ दिन इसकी सब्जी मेथी के साग की तरह खाने से रक्तदोष , त्वचा के विकार आदि से छुटकारा मिलता है ।
बेल ; बेलपत्र रक्त शुद्धि करता है । रक्त शुद्ध होने पर त्वचा के रोग स्वयं ठीक हो जाते हैं । इसके लिए 7 पत्ते बेल +3-4 तुलसी पत्र +4-5 दाने काली मिर्च मिलाकर एक कप शरबत बनाकर पीयें ।
बथुआ (chenopodium) ; रक्त शुद्ध करना हो तो इसके पत्तों के रस के साथ नीम के पत्तों का रस मिलाकर लें ।
पीपल (sacred fig) ; चेहरे पर झाइयाँ हों तो पीपल की छाल के अंदर वाले हिस्से का पावडर शहद में मिलाकर चेहरे पर लगायें ।
खीरा (cucumber) ; ताजे खीरे को चेहरे पर घिसे और 15 मिनट बाद धो दें तो चेहरा निखरता है |
घृतकुमारी (aloe vera) ; त्वचा पर झाइयाँ , झुर्रियां पड़ जाएँ तो इसके गूदे की मालिश करने से त्वचा पर चमक आ जाती है । अगर त्वचा पर कोई पुराना निशान हो या त्वचा सख्त हो गई हो तो इसके गूदे और शहद को उस पर लगाकर तीन चार घंटे के लिए छोड़ दें । और फिर धो दें ।
अरण्ड (castor) ; त्वचा फटे या त्वचा पर काले धब्बे हों, तो इसके तेल की मालिश करने से त्वचा बिलकुल ठीक हो जाती है ।
मेथी (fenugreek ) ; चेहरे की चमक बढानी है तो इसके पत्ते पीसकर चेहरे पर लगाएँ ।
धनिया (coriander) ; चेहरे पर झाइयाँ हों तो इसकी पत्तियां पीसकर चेहरे पर मलें ।
पालक (spinach ) ; चेहरे की कान्तिके लिए इसकी पत्तियों का रस चेहरे पर मलें ।
गेंदा (merigold ) ; मुंहासे या झाइयाँ हों तो इसके फूल व पत्तियों के रस को चेहरे पर मलें ।
अंजीर (fig ) ; इसका रोज़ प्रयोग करने से चेहरे की कांति बढ़ती है ।
गिलोय ; इसे लेते रहने से रक्त संबंधी विकार नहीं होते । toxins खत्म हो जाते हैं । त्वचा निखर जाती है । गिलोय के नित्य प्रयोग से शरीर में कान्ति रहती है और असमय ही झुर्रियां नहीं पड़ती ।
खजूर (dates) ; खजूर रक्त शोधक होता है । इसे लेते रहने से त्वचा स्वस्थ रहती है ।
curry leaves ; चेहरे का सौन्दर्य बढ़ाना हो तो इसके पत्तों का पेस्ट चेहरे पर लगायें ।
अनार (pomegranate ) ; इसके छिलके . चन्दन और लौंग की पेस्ट मुंह पर लगाने से चेहरा साफ़ रहता है ।
सहदेवी ; अगर रक्तदोष है, त्वचा की सुन्दरता चाहिए तो 2 ग्राम सहदेवी का पावडर खाली पेट लें ।
कालमेघ ; त्वचा की कान्ति बढानी है , मुंहासे , झाइयाँ की परेशानी है तो ,2-3 gram कालमेघ में थोडा आंवला मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सवेरे मसलकर खाली पेट पी लें।
गूलर (cluster fig) ; चेचक के दाग ठीक नहीं हो रहे हों तो इसके पत्तों के लाल दानों को बकरी के दूध में घिसकर लगा लें । अगर pimples ठीक नहीं हो रहे हों तो उन पर इसकी छाल की पेस्ट लगा लें ।
अर्जुन ; चेहरे की झाइयों के लिए इसकी छाल घिसकर चेहरे पर लगायें।
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