Wednesday, November 30, 2011

खस (grass)


खस की घास शीतल और गुणकारी होती है . खस -खस अफीम का पावडर होता है ; लेकिन खस की घास बिलकुल अलग है . इसकी जड़ में भीनी-भीनी खुशबू आती है . इसीलिए इसका इत्र बनाकर प्रयोग में लाया जाता है . बुखार हो तो इसकी जड़ का काढ़ा पीयें . उसमें गिलोय और तुलसी मिला लें तो और भी अच्छा रहेगा . Low temp. हो या रह रह कर बुखार आये , बुखार टूट न रहा हो तो यह काढ़ा बहुत लाभदायक रहता है .
                  पित्त acidity या घबराहट हो तो इसकी जड़ कूटकर काढ़ा बनाएं और मिश्री मिलाकर पीयें . चर्म रोग या eczema या allergy हो तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ में 2-3 ग्राम नीम मिलाकर काढ़ा बनाएं और सवेरे शाम पीयें .
                              दिल संबंधी कोई परेशानी हो तो इसकी जड़ में मुनक्का मिलाकर काढ़ा बनाकर मसलकर छानकर पीयें .इससे hormones भी ठीक रहेंगे और heart rate भी ठीक रहेगा . Kidney की परेशानी में खस और गिलोय का काढ़ा सवेरे सवेरे  पीयें . B.P. high हो या angina की समस्या हो तो इसकी जड़ और अर्जुन की छाल  का काढ़ा पीयें .
             प्यास बहुत अधिक लगती हो तो इसकी जड़ कूटकर पानी में ड़ाल दें . बाद में छानकर पानी पी लें . यह शीतल अवश्य है ; परन्तु इसे लेने से arthritis बढ़ता नहीं है .

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