सबसे अधिक मदद ये gangrene में करता है . शुगर की बीमारी में कोई भी घाव आराम से नहीं भरता है . gangrene होने पर तो पैर गल जाते हैं और अंगुलियाँ भी गल जाती हैं . अगर pus भी पड़ जाए तो भी चिंता न करें . इसकी पत्तियों को कूटकर उसके रस में रुई डुबोकर घावों पर अच्छी तरह लगायें . उसके बाद ताज़े विधारा के पत्ते गर्म करके घावों पर रखें और पत्ते बाँधें . हर 12 घंटे में पत्ते बदलते रहें . बहुत जल्द घाव ठीक हो जायेंगे . ये बहुत पुराने घाव भी भर देता है. Varicose veins की बीमारी भी इससे ठीक होती है .
Bedsore हो गए हों तो रुई से इसका रस लगायें . किसी भी तरह की ब्लीडिंग हो ; periods की, अल्सर की , आँतों के घाव हों , बाहर या अंदर के कोई भी घाव हों तो इसके 2-3 पत्तों का रस एक कप पानी में मिलाकर प्रात:काल पी लें . हर तरह का रक्तस्राव रुक जाएगा . कहीं भी सूजन या दर्द हो तो इसका पत्ता बाँधें .
इसके बीज भूनकर उसका पावडर गर्म पानी या शहद के साथ लें तो बलगम और खांसी खत्म होती है . लक्ष्मी विलास रस में भी इसे डालते हैं . लक्ष्मी विलास रस की दो-दो गोली सवेरे शाम लेने से सर्दी दूर होती है . शरीर में दर्द हो या arthritis की समस्या हो तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढा पीयें .
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