तिल की रेवड़ी और गज्जक तो सर्दियों की शान है . शीत ऋतु की कल्पना तिल के बिना अधूरी है . यह शक्ति तो देता ही है; औषधि का भी कार्य करता है ; विशेषकर काले तिल को औषधि के तौर पर अधिक उपयुक्त समझा जाता है . काले तिल के लड्डू खाने से भूख बढ़ती है और शरीर में सूजन हो तो वह भी कम हो जाती है . दांत स्वस्थ रखने हों तो , सवेरे -सवेरे 10 ग्राम काले तिल खाली पेट चबाचबाकर खाएं . एक बार में 2 ग्राम तिल अच्छी तरह चबाएं और निगल जाएँ . इससे मसूढ़े तो स्वस्थ होंगे ही ; शक्ति भी प्राप्त होगी . खांसी होने पर 2 ग्राम काले तिल +2-3 तुलसी के पत्ते +अदरक का काढ़ा बनाकर पीयें . पथरी होने पर इसके पौधे की कोमल पत्तियों का पावडर या फिर इसकी जड़ की राख एक एक चम्मच लें . जोड़ों में दर्द होने पर हल्दी ,मेथी , सौंठ , अश्वगंधा और तिल बराबर मात्रा में लें . इस मिश्रण का एक एक चम्मच हर रोज़ लें . इससे बढ़ा हुआ uric acid भी कम होता है . इसके तेल में सौंठ को डालकर पका लें . इस तेल से जोड़ों पर मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है; सूजन में लाभ होता है . . तिल के तेल में नीम के पत्ते जलाकर त्वचा पर लगाकर मलने से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं . इसके तेल की मालिश से मांसपेशियां मजबूत होती हैं .
हारमोन ठीक न हों या फिर मासिक धर्म की परेशानी हो तो , 5 ग्राम काले तिल मोटा कूटकर काढ़ा बनाकर पीयें . निश्चित तिथि से 5-6 दिन पहले लेना प्रारंभ कर दें . Periods के दौरान दर्द कम होगा . अगर 5 ग्राम गोखरू और 5 ग्राम तिल मिलाकर काढ़ा बनाकर पिया जाए तो पेशाब रुक रुक कर आने की, या बार बार पेशाब जाने की ; दोनों ही मूत्र संबंधी समस्या हल हो जायेगी . बच्चे बिस्तर गीला कर देते हों तो , उन्हें रात को गुड और काले तिल के बने हुए लड्डू रात को दूध के साथ या पानी के साथ खिलाएं . इसके अलावा छोटी अंगुली को ऊपर से सवेरे शाम करीब 50-50 बार दबाएँ. बाल सुन्दर और मजबूत बनाने हों तो इसकी जड़ और पत्तियां उबालकर उस पानी को बाल की जड़ में लगाकर धोएं .
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