अकरकरा का पौधा भारत में सब जगह मिलता है . दांत के दर्द में इसके फूल को तोडकर चबाएं . दांत की सफाई भी हो जायेगी . सुबह उठकर इसके फूल चबाकर दांत साफ करने से दांत स्वस्थ रहते हैं . इसका पंचांग सुखाकर उसमें फिटकरी और लौंग मिलाकर मंजन बना लें . इस मंजन से दांत साफ़ करने से मसूढ़े भी स्वस्थ रहते हैं . सिरदर्द में इसके फूल पीसकर माथे पर लेप करें . मिर्गी के दौरे पड़ते हों तो , इसके फूलों का पावडर और वचा का पावडर मिलाकर लें .
गले में तकलीफ हो तो इसके 4-5 फूल +आम के पत्ते +जामुन के पत्ते उबालकर उसके काढ़े से गरारे करें . दंतशूल हो तो इसके फूल दांतों के बीच दबाकर रखें . मुख से दुर्गन्ध आती हो तो , इसके फूल चबाकर लार बाहर निकालें , इसके पंचांग का काढ़ा पीयें और उससे गरारे करें . हिचकी आती हो तो इसका एक फूल चबाकर कुल्ला करें या इसकी आधा ग्राम जड़ को शहद में मिलाकर 2-3 बार चाटें . कमजोरी हो तो इसकी जड़ शतावर और मूसली मिलाकर दूध के साथ लें . श्वास की तकलीफ हो तो फूल का पावडर सूंघ लें , अवरोध खुल जाएगा . जुकाम हो तो फूल का पावडर पीसकर नाक के चारों तरफ लगायें .
खांसी हो तो इसके फूल , काली मिर्च और तुलसी की चाय पीयें . मासिक धर्म की समस्या हो या हारमोन का असंतुलन हो तो अकरकरा . गाजर , शिवलिंगी और पुत्रजीवक के बीज बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 ग्राम सवेरे शाम लें . Arthritis की समस्या में हल्दी ,मेथी ,सौंठ ,अजवायन और अकरकरा बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्मच लें .
हृदय रोग में एक गिलास पानी में एक चम्मच अर्जुन की छाल और एक अकरकरा का फूल डालकर काढ़ा बनाएं और पीयें . इससे हृदय की कार्यक्षमता बढ़ेगी . इसके अतिरिक्त इसके 2-3 फूल ,1-2 ग्राम कुलंजन की जड़ , 4-5 ग्राम अर्जुन की छाल ; इन सबका काढ़ा 200 ग्राम पानी में बनाकर पीने से भी हृदय रोगों में लाभ होता है . इस पौधे से कोई हानि नहीं होती , वरन लाभ ही लाभ हैं . मौसम में इसके फूल इकट्ठे कर के सुखा कर भी रख सकते हैं .
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