तुलसी को वृंदा भी कहते हैं . मुख्यतया यह दो प्रकार की होती है ; श्यामा तुलसी और रामा तुलसी . शरीर में कमजोरी हो तो तुलसी के बीज और मिश्री मिलाकर लें . यह तुलसी सद्यजात बच्चों को भी लाभ पहुंचाती है .
पवित्र तुलसी को घर में लगाने से रोगाणु नहीं आते . कुछ लोग इसकी लकड़ी की माला गले में धारण करते हैं . कहते हैं कि इससे बीमारी से बचाव होता है और रजोगुण , तमोगुण खत्म हो जाते हैं . सुबह उठते ही तीन पत्ते तुलसी के खाकर पानी पी लें . इस तरह से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है .
उल्टी आती हों या जी मिचलाता हो तो , इसकी तीन चार पत्तियां अदरक के रस और शहद के साथ चाटें . खांसी या निमोनिया होने पर इसका syrup बना लें . इसके लिए 50 gm मंजरी समेत पत्तियां , 25 gm अदरक , 20 gm काली मिर्च और इलायची को आधा लिटर पानी में पकाएं . जब रह जाए 200 gm तो उसकी चाशनी बनाकर शीशी में भर लें . इसे एक एक चम्मच ले सकते हैं .
बच्चे को खांसी हो तो इसकी पत्तियों का तीन बूँद रस शहद के साथ चटायें . पसलियाँ चलती हों तो तुलसी के रस को घी में पकाकर मालिश करें . पेट में infections हों तो इसमें अदरक , काली मिर्च, नमक और काली मिर्च मिलाकर चटनी बनायें और सेवन करें . स्वर भंग होने पर इसके 2-3 पत्ते काली मिर्च और मिश्री के साथ चूसें . कान में दर्द हो तो इसकी 25 पत्तियां 50 ग्राम तेल में पकाकर छान लें और 2-2 बूँद डालें . बुखार या कमजोरी हो तो तुलसी और मिश्री का काढ़ा लें . कहीं पर घाव हो गया हो तो तुलसी के पत्तों के पानी से धोएं .
स्मरणशक्ति बढानी हो तो इसकी चार-पांच पत्तियां पीसकर शहद के साथ लें . जुएँ हो गई हों तो इसकी पत्तियों के रस की मालिश बालों की जड़ों में करें . इससे जुएँ भी खत्म होंगी तथा बाल भी मजबूत होंगे . कुष्ट रोग में इसके चार -पांच पत्ते नीम के तीन चार पत्तों के साथ मिलाकर खाली पेट लें .लें . Migraine के दर्द में इसकी चार बूँद नाक में डालें . दाद -खुजली हो तो नीम्बू और तुलसी का रस 4 : 1 के अनुपात में लें और त्वचा पर लगायें . इससे त्वचा सुंदर भी होती है . श्यामा तुलसी के 27 पत्ते और 200 ग्राम दही , घोटकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से ली जाए तो कैंसर ठीक होता है .
पवित्र तुलसी को घर में लगाने से रोगाणु नहीं आते . कुछ लोग इसकी लकड़ी की माला गले में धारण करते हैं . कहते हैं कि इससे बीमारी से बचाव होता है और रजोगुण , तमोगुण खत्म हो जाते हैं . सुबह उठते ही तीन पत्ते तुलसी के खाकर पानी पी लें . इस तरह से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है .
उल्टी आती हों या जी मिचलाता हो तो , इसकी तीन चार पत्तियां अदरक के रस और शहद के साथ चाटें . खांसी या निमोनिया होने पर इसका syrup बना लें . इसके लिए 50 gm मंजरी समेत पत्तियां , 25 gm अदरक , 20 gm काली मिर्च और इलायची को आधा लिटर पानी में पकाएं . जब रह जाए 200 gm तो उसकी चाशनी बनाकर शीशी में भर लें . इसे एक एक चम्मच ले सकते हैं .
बच्चे को खांसी हो तो इसकी पत्तियों का तीन बूँद रस शहद के साथ चटायें . पसलियाँ चलती हों तो तुलसी के रस को घी में पकाकर मालिश करें . पेट में infections हों तो इसमें अदरक , काली मिर्च, नमक और काली मिर्च मिलाकर चटनी बनायें और सेवन करें . स्वर भंग होने पर इसके 2-3 पत्ते काली मिर्च और मिश्री के साथ चूसें . कान में दर्द हो तो इसकी 25 पत्तियां 50 ग्राम तेल में पकाकर छान लें और 2-2 बूँद डालें . बुखार या कमजोरी हो तो तुलसी और मिश्री का काढ़ा लें . कहीं पर घाव हो गया हो तो तुलसी के पत्तों के पानी से धोएं .
स्मरणशक्ति बढानी हो तो इसकी चार-पांच पत्तियां पीसकर शहद के साथ लें . जुएँ हो गई हों तो इसकी पत्तियों के रस की मालिश बालों की जड़ों में करें . इससे जुएँ भी खत्म होंगी तथा बाल भी मजबूत होंगे . कुष्ट रोग में इसके चार -पांच पत्ते नीम के तीन चार पत्तों के साथ मिलाकर खाली पेट लें .लें . Migraine के दर्द में इसकी चार बूँद नाक में डालें . दाद -खुजली हो तो नीम्बू और तुलसी का रस 4 : 1 के अनुपात में लें और त्वचा पर लगायें . इससे त्वचा सुंदर भी होती है . श्यामा तुलसी के 27 पत्ते और 200 ग्राम दही , घोटकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से ली जाए तो कैंसर ठीक होता है .
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