सेमल की रुई तकियों में भरी जाती है . इसकी रुई के तकिए से अच्छी नींद आने में मदद मिलती है .
चेहरे पर फोड़े फुंसी हों तो इसकी छाल या काँटों को घिसकर लगा लो .
इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है .
अगर शरीर में कमजोरी है तो इसके डोडों का पावडर एक-एक चम्मच घी के साथ सवेरे शाम लें और साथ में दूध पीयें .
माताओं को दूध कम आता हो तो इसकी जड़ की छाल का पावडर लें .
स्तन में शिथिलता हो तो इसके काँटो पर बनने वाली गांठों को घिसकर लगायें .
गर्मी की परेशानी हो , या प्रदर की शिकायत हो तो इसकी छाल को कूटकर शहद के साथ लें .
जलने पर इसकी छाल को घिसकर लगाया जा सकता है .
सेमल का गोंद रात को भिगोकर सवेरे मिश्री मिलाकर खाने से शरीर की गर्मी दूर होती है और ताकत आती है .
खांसी होने पर सेमल की जड़ का पावडर काली मिर्च और सौंठ मिलाकर लें .
सेमल के विशाल वृक्ष के नीचे जब ढेर से रुई से भरे हुए फल गिरते हैं ; तो उन्हें इकट्ठा कर मुलायम सी रुई निकलना बड़ा अच्छा लगता है .
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