भृंगराज केश तेल का नाम आम तौर पर सुना जाता है . आखिर है क्या ये भृंगराज ? यह छोटा सा मौसमी पौधा है , जो की यत्र तत्र सर्वत्र देखने को मिल जाता है . इसके फूल छोटे छोटे सफ़ेद से होते हैं जो की बाद में काले काले नजर आते हैं . इसके पत्ते को अँगुलियों के बीच में दबाकर रगडो तो उनमें से काला गहरा हरा रंग आ जाता है . ये इस पौधे की पहचान में लाभदायक रहता है . इस पौधे को आम भाषा में भांगरा या भंगरैया भी कहा जाता है . संस्कृत भाषा में इसे केशराज या केशरंजन कहते हैं .
बालों को घने , काले और सुंदर बनाना है तो आंवला ,शिकाकाई ,रीठा और भृंगराज के पावडर में पानी मिलाकर लोहे की कढ़ाई में गर्म करते हुए पेस्ट बनाएँ . इसे सिर पर लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें . फिर सिर धो लें . इसके पत्तों का रस निकालकर बराबर का तेल लें और धीमी आंच पर रखें . जब केवल तेल रह जाए, तो बन जाता है ; भृंगराज केश तेल ! अगर धीमी आंच पर रखने से पहले आंवले का रस मिला लिया जाए तो और भी अच्छा तेल बनेगा . बालों में रूसी हो या फिर बाल झड़ते हों, तो इसके पत्तों का रस 15-20 ग्राम लें +थोडा सुहागे की खील+दही मिलाकर बालों की जड़ में लगाकर एक घंटे के लिए छोड़ दें . बाद में धो लें . नियमित रूप से ऐसा करने पर बाल सुंदर घने और मजबूत हो जाते हैं .
अस्थमा की बीमारी में आंवला भृंगराज और मुलेटी का काढ़ा लें . B .P. बढ़ा हुआ हो , चक्कर आते हों या नींद कम आती हो तो इसका दो चम्मच रस पानी मिलाकर सवेरे शाम लें . बिच्छू काट ले तो इसके पत्तों के काटे हुए हिस्से पर मल लें . हाथी पाँव हो गया हो तो इसके पत्ते पीसकर सरसों का तेल मिलाकर लगायें और इसके पंचांग का काढ़ा पीयें .पेट दर्द या पेट में सूजन हो तो इसके पत्ते पीसकर लेप लगाएं औत इसके पत्तों का रस पिलायें . ताज़ा न मिले तो सूखे पत्तों का पावडर भी दिया जा सकता है .
पीलिया होने पर इसके पत्तों का 10 ग्राम रस दिन में 2-3 बार लें . 3-4 दिन में ही आराम आ जाता है . चर्म रोग में भी इसका रस लाभ करता है . कैंसर में भी अन्य दवाओं के साथ इसे लेने से फायदा होता है . इसका 2-3 चम्मच रस और मिश्री मिलाकर शर्बत कुछ दिन लेने से गर्भपात के समस्या हल हो जाती है . Migraine या sinus की समस्या में इसकी साफ़ पत्तियों और कोमल टहनियों का रस 4-4 बूँद नाक में डालें .
अगर पानी लग लग कर कहीं पर गलन हो गई है , घाव या पस हो गई है तो इसके पत्तों को पीसकर उसका रस लगाओ . तुरंत फर्क पड़ेगा . अगर शुगर की बीमारी के कारण घाव नहीं हर रहा तो ताज़ी पत्तियों का रस रुई में भिगोकर भी लगाया जा सकता है . गुम चोट हो सूजन या दर्द हो तो पत्तों को पीसकर गर्म करके रुई में लगाकर बाँध लें . आँखों में दुखन हो रोशनी कम हो तो साफ़ जगह पर उगे हुए पत्तों का रस एक दो बूँद आँख में डाला जा सकता है . अगर जाड में दर्द है तो चार बूँद रस विपरीत कान में डालने से तुरंत लाभ होता है .
कान में दर्द या पस है तो भी इसके पत्तों के रस की बूँदें डाली जा सकती हैं . Piles की समस्या हो या anus पर सूजन हो तो भृंगराज के पत्ते और डंठल मिलाकर 50 ग्राम लें +20 ग्राम काली मिर्च लें . अब इनको मिलाकर काले चने जितनी गोलियां बना लें . एक एक गोली सवेरे शाम लें .
इस पौधे को गमले में भी लगाया जा सकता है .
Can you suggest where I can get about one gram of kala Bhangra seeds.
ReplyDeleteRamakrishna
rmkrshn@gmail.com
it is every where in india you can find it in fields
DeleteIf you are living in India , you can easily get it from local grocer or any ayurvedic medicine shop. Otherwise you can place order at Patanjali Yogpeeth
ReplyDeleteDoes bhringraj is also known as bhaang in villages?
ReplyDeleteNo, it is known as bhangra or bhangraiyya in villages. Bhaang is totally different plant.
DeleteIt is also known as ghamara (घमरा) in village
ReplyDeleteIt also known as kambarmodi use for wound & painkillers.
ReplyDeleteNice information
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