इसकी जड़ में शतश: कन्द होते हैं ; तभी तो यह शतावर है .
शतावर का पौधा शारीरिक दुर्बलता को दूर करता है . बहुत पौष्टिक होता है . अगर किसी को किसी भी तरह ताकत नहीं आ पाती तो यह पौधा बहुत मददगार है . इसकी जड़ के पावडर में मिश्री मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें . पतली दुबली कन्याओं को तो यह अवश्य ही लेना चाहिए . इससे शरीर स्वस्थ और सुन्दर होता है .
अनिंद्रा की बीमारी में इसकी जड़ का 10 ग्राम पावडर दूध में खीर की तरह पकाएं . फिर थोडा सा देसी घी डालकर रात को सोते समय ले लें . अच्छी नींद आयेगी . रतौंधी की बीमारी में इसकी कोमल पत्तियों और कोमल टहनियों की सब्जी खाएं . स्वर भंग हो गया है तो बला (खरैटी) के बीजों के पावडर के साथ मिलाकर शहद के साथ चाटें . खांसी हो गई है तो शतावर और पीपली का काढ़ा पीयें .
Blood dysentery है या piles है तो ताज़े शतावर की जड़ और मिश्री पीसकर लें . रुक कर पेशाब आ रहा है या जलन है या kidney में पथरी है तो शतावर में गोखरू के बीज मिलाकर डेढ़ चम्मच पावडर का काढ़ा बनाकर पीयें . हाथ पैर में जलन होती हो तब भी शतावर और मिश्री मिलाकर लें .
अगर किसी माता को दूध नहीं आ पा रहा और नन्हा बच्चा भूखा रह जाता है तो माँ एक एक चम्मच शतावर सवेरे शाम दूध के साथ ले . 5-7 दिन में ही भरपूर दूध आने लगेगा . गायों को भी 50-60 ग्राम शतावर कुछ दिन हर रोज़ दी जाये तो उनके दूध की मात्रा बढ़ जाती है और थनैला नाम के रोग से भी मुक्ति मिलती है .
आयुर्वेद में शक्ति प्रदान करने वाली लगभग सभी दवाइयों में इसका प्रयोग होता है . विदेशों में इसकी मोटी टहनियों का सूप पीते हैं और टहनियाँ भी बड़े शौक से खाते है . वह प्रजाति देसी प्रजाति से कुछ अलग होती है . शतावर का पौधा बहुत सुंदर लगता है . यह गमले में भी आराम से लगाया जा सकता है .
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