भुट्टे को संस्कृत में महाकाय भी कहा जाता है ; हो सकता है कि इसका कारण इसकी आकृति की विशालता हो . इसमें कमजोरी और सूखा रोग को ठीक करने की क्षमता है . इसे भूनकर खाया जाए तो कफ ठीक होता है . शुगर के मरीजों को इसका कम सेवन करना चाहिए . विदेशों में तो इससे शर्करा भी प्राप्त की जाती है . White discharge की समस्या हो तो भुट्टे के बालों का मिश्री के साथ सेवन करें . अधिक bleeding या U T I infection है तो भुट्टे के बाल और शीशम के पत्ते मिलाकर लें .
कच्चे भुट्टे को डंठल समेत कूटकर चाय या काढ़ा बनाया जाए तो कफ रोगों में फायदा करता है . पथरी में इसके डंठल की राख 3 ग्राम के करीब शहद के साथ लें . धसका या खांसी हो तो इसी राख को शहद और अदरक का रस मिलाकर लें . पेशाब की समस्या हो तो राख ठन्डे पानी से लें . इसकी जड़ का काढ़ा मूत्र संबंधी विकारों को भी ठीक करता है . भुट्टे के बालों का प्रयोग periods की समस्या को भी ठीक करता है . अगर दस्त लग गए हों तो इसके डंठल की राख ले लें . Colitis की समस्या हो तो इसके डंठल की 50 gm राख में 100 gm बेल का पावडर मिला कर एक-एक चम्मच लें . अगर जोड़ों का दर्द हो या सूजन हो तो शुरू की अवस्था में तो भुट्टा लाभ करता है ; लेकिन अगर ये समस्याएं बढ़ गई हैं तो फिर भुट्टा खाने से नुकसान हो सकता है .
भुट्टा हृदय की मांसपेशियों को चुस्त रखता है . गुर्दे और prostate की बीमारियों के लिए भी दवा है . हिचकी आती हों तो भुट्टे की राख शहद के साथ चाटें . पशु अगर भुट्टे के पत्ते अधिक खा लें तो दस्त लग सकते हैं ; लेकिन अगर भुट्टे का छिलका खाते हैं तो उनके दस्त ठीक हो जाते हैं .
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