खीरा मधुर होता है . यह पित्तशामक होता है परन्तु कफ को बढाता है . दमा के मरीजों को इसका सेवन बहुत कम करना चाहिए . यह kidney के रोगों में लाभ करता है . इसके लिए सुबह खाली पेट खीरा लें . Arthritis के मरीजों को कच्चा खीरा नहीं खाना चाहिए बल्कि इसे पकाकर लेना चाहिए . जल जाने पर खीरे के टुकड़े को जले हुए पर रख दें . ताजे खीरे को चेहरे पर घिसे और 15 मिनट बाद धो दें तो चेहरा भी निखरता है .
इसके बीज गर्मीशामक होते हैं . ठंडाई, खीरे के बीज +ककडी के बीज +खरबूजे के बीज +तरबूज के बीज +पेठे के बीज +सौंफ +मिश्री इन सबको मिलाकर बनाई जाती है और बहुत शीतल होती है . पेशाब रुक रुककर आता हो तो इसके बीज पीसकर 1-2 ग्राम पानी के साथ लें .नींद कम आती हो तो खीरे के बीज का पावडर शाम को लें और माथे पर खीरा रगड़ें . मानसिक तनाव , मानसिक रोग या अवसाद की बीमारी हो तो इसके बीजों के साथ ब्राह्मी , शंखपुष्पी, बादाम और काली मिर्च का शरबत बनाकर पीयें .
इसके बीज पौष्टिक होते हैं पर उष्ण नहीं होते . शरीर में बदबू आती हो तो एक भाग खीरे के बीजों के साथ दो भाग आंवला मिलाएं और सवेरे शाम लें . इससे शरीर में बदबू खुशबू में परिणत हो जाएगी. इससे प्रमेह और प्रदर की बीमारी भी ठीक होगी और शरीर में जलन या दाह की अनुभूति होती हो तो वह खत्म हो जाएगी.
इसके बीज पौष्टिक होते हैं पर उष्ण नहीं होते . शरीर में बदबू आती हो तो एक भाग खीरे के बीजों के साथ दो भाग आंवला मिलाएं और सवेरे शाम लें . इससे शरीर में बदबू खुशबू में परिणत हो जाएगी. इससे प्रमेह और प्रदर की बीमारी भी ठीक होगी और शरीर में जलन या दाह की अनुभूति होती हो तो वह खत्म हो जाएगी.
खीरा और दही साथ साथ नहीं खाने चाहियें ; इससे शरीर में विकृति आ सकती है . रात को खीरा न खाएं . इससे कफ बढेगा , वायु बढ़ेगी और खांसी बढ़ेगी . यह बात प्रसिद्ध है कि सुबह का खीरा, हीरा ; दोपहर का खीरा, खीरा और रात को खीरा, पीरा (पीड़ा) बन जाता है .
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