Tuesday, October 25, 2011

मरुआ

इसे मरुआ , मरुबक या खरपत्र भी कहते हैं . पंजाब में इसे न्याज्बो कहते हैं . यह कुछ कुछ तुलसी से मिलता जुलता है और इसके बीज भी तुलसी के बीजों से थोड़े से मोटे होते हैं . यह घर के रोगों के जीवाणु खत्म करता है . वातावरण शुद्ध करता है . पेट में कीड़े या infections हों तो इसकी पत्तियों का रस खाली पेट लें. छोटे बच्चों को 4-6 बूँद दे सकते हैं .  इसकी चटनी भी लाभ करती है . अपच अफारा हो तो भी इसके चटनी बहुत लाभकारी है . सर्दी , जुकाम हो तो मरुआ +सौंफ +मुलेटी का काढ़ा लें . 
            इसके पत्तों को चाय में डालकर उबालकर पीयें तो पेट भी ठीक रहता है . Migraine  या सिरदर्द  हो तो इसके पत्ते पीसकर माथे पर लेप करें या 2-2 बूँद रस खाली पेट नाक में डालें . मुंह से दुर्गन्ध आती हो तो इसके पत्ते मुंह में चबाएं . मसूढ़ों में सूजन हो तो इसके पत्ते पानी में उबालकर नमक मिलाकर कुल्ले करें . खांसी और बलगम हो तो इसके पत्ते और अदरक का काढ़ा पीयें .
       मांसपेशियों में दर्द हो तो मरुआ +अश्वगंधा +अदरक का काढ़ा पीयें . पेट दर्द हो तो इसकी चटनी खाएं , इसका काढ़ा पीयें या ऐसे ही चबाकर रस अंदर लेते रहें . इसके एक चम्मच बीज रात को भिगोकर सुबह मिश्री मिलाकर खाए जाएँ तो इससे शरीर में शक्ति तो आती ही है श्वेत प्रदर की बीमारी भी ठीक होती है .  

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