रतनजोत का प्रयोग प्राय: मसाले के रूप में होता है . इसे दामिनी , बालछड या लालजड़ी भी कहते हैं . अंग्रेजी में इस पौधे को Onosma कहा जाता है . यह हिमालय क्षेत्र में होता है .
बालों को रंगना हो और आँखों की रोशनी बढानी हो तो ,मेंहदी की पेस्ट में रतन जोत को मिलाकर अच्छे से गर्म करें . ठंडा होने पर बालों में लगायें व कुछ देर के लिए छोड़ दें . इसके बाद पानी से सिर धो लें .
सिर में लगाने वाले तेल में अगर रतनजोत के कुछ टुकड़े ड़ाल दिए जाएँ तो तेल का रंग तो सुंदर हो ही जाता है ; इस तेल के प्रयोग से बाल स्वस्थ और काले हो जाते हैं . साथ ही इस तेल से मस्तिष्क की ताकत भी बढ़ती है .
इसको घिसकर माथे पर लगाने से मानसिक क्षमता बढ़ती है और डिप्रेशन आदि बीमारियाँ नहीं होने पाती . इसका पावडर तेल में मिलाकर मालिश करने से त्वचा का रूखापन खत्म होता है .
इसके पौधे की जड़ का पावडर एक ग्राम सवेरे शाम लिया जाए तो , मिर्गी के दौरे पड़ने बंद हो जाते हैं .
यदि त्वचा के रोगों से छुटकारा पाना हो तो इसकी जड़ का आधा ग्राम पावडर सवेरे शाम ले लो .
इसके पौधे की पत्तियों को चाय की तरह पीया जाए तो यह हृदय के लिए बहुत लाभदायक है .
इसके पत्तियों के सेवन से रक्त शुद्ध होता है और दाद, खाज और खुजली से छुटकारा मिलता है .
इसके पत्तों का काढ़ा नियमित रूप से लिया जाए तो गुर्दे की पथरी भी ठीक हो जाती है .
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