श्योनाक का पेड़ ज्यादा ऊंचा नहीं होता . यह पहाडी क्षेत्रों में पाया जाता है . इसे सोना पाठा और टोटला भी कहते हैं . कोई कोई इसे अरलू भी कहते हैं . यह दशमूल का मुख्य घटक है . Periods में या delivery के बाद इसकी छाल का काढ़ा लेने से गर्भाशय ठीक रहता है . इसकी लकड़ी का खोखला गिलास जैसा बर्तन लें . रात को इसमें 200-300 ml पानी भर दें . इसे सवेरे सवेरे पीयें . इससे लीवर ठीक होता है . S.G.O.T. और S.G. P. T. आदि normal हो जाते हैं . पहाड़ों में तो इस पानी से मलेरिया तक ठीक किया जाता है .
पीलिया हो तो इसकी ताज़ी छाल लेकर (बच्चा है तो 4-5 ग्राम बड़ा है तो 10-12 ग्राम ) कूटकर मिटटी के बर्तन में रात को 200 ml पानी में भिगो दें . सवेरे मूंग जितना खाने वाला कपूर खिलाकर ये पानी पिला दें . यह प्रयोग तीन दिन करें . ध्यान रहे श्योनाक अधिक मात्रा में ली तो खुजली हो सकती है और कपूर अधिक मात्रा में लिया तो चक्कर आ सकते हैं .
Hepatitis-B या C होने पर श्योनाक +भूमि आंवला +पुनर्नवा (साठी) का रस लेते रहें . ये बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं . Delivery के बाद uterus में infections न हों और यह अपनी पहली अवस्था में आ जाए ; इसके लिए 2 ग्राम श्योनाक +1 ग्राम सौंठ +2-3 ग्राम गुड का काढ़ा पीयें . इससे भूख भी ठीक हो जाती है .
खांसी होने पर इसकी सूखी छाल का पावडर आधा ग्राम और सौंठ एक ग्राम लें और सवेरे शाम शहद से चटाएं. Arthritis होने पर 2 ग्राम श्योनाक की छाल और 2 ग्राम सौंठ का काढ़ा पीयें . कान में दर्द हो तो इसकी 100 ग्राम छाल कूटकर 100 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं . जब केवल तेल रह जाए तो शीशी में भर कर रख लें . इसे दो - दो बूँद कान में डालें
बौद्ध धर्म में इस वृक्ष को बहुत पवित्र माना जाता है . इसकी फली के सुंदर कोमल बीजों की माला तिब्बत के सभी घरों में मिल जायेंगी . उनका विश्वास है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है .
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