जामुन के फल को एक वर्ष में 20 -25 दिन भी ले लो तो पथरी होने की सम्भावना नहीं होती .
पैरों में बदबू आती हो तो इसके वृक्ष की पत्तियों का काढ़ा पीयें .
पेट में आंव हों या दस्त लगे हों तो इसकी पत्तियां और छाल 3-4 ग्राम की मात्रा में पानी में उबालकर काढ़ा पीयें .
Piles हों तो इसकी कोमल पत्तियों का काढ़ा पीयें .
आँखों में जलन हो या दर्द हो तो इसकी पत्तियों की लुगदी की टिक्की लगाकर, पट्टी आँख पर बांधें . मोतियाबिन्द हो या चश्मा उतारना हो तो आंवला और जामुन की गुठली बराबर मिलाकर 2 -2 ग्राम सवेरे शाम शहद के साथ लें .
अगर white discharge की समस्या हो तो यही मिश्रण मिश्री के साथ लें .
दांत मजबूत करने हैं तो इसकी छाल की राख में नमक मिलाकर मंजन करें . स्वर भंग हो गया हो या मुंह में छाले हो गए हों , तो इसकी छाल या पत्तों के गरारे करें .
अगर घाव हो गए हों तो इसकी छाल उबालकर उस पानी से धोएं .
इसके फल साफ़ बर्तन में डालकर , उसमें नमक मिलाकर 1-2 दिन के लिए छोड़ दें. फिर उसका जलीय अंश इकट्ठा करके छानकर शीशी में भर लें और धूप लगा दें . यह बन गया जामुन का सिरका ! यह पाचक होता है . इससे पेट के रोग और डायबिटीज़ भी ठीक होती है .
शुगर की बीमारी के लिए कुटकी , मेथी दाना , जामुन की गुठली और सूखा करेला बराबर लेकर एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें . केवल इसकी गुठली का पावडर ही एक एक चम्मच सवेरे शाम लिया जाए तो मधुमेह ठीक होता है .
इसके फल बहुत अधिक नहीं खाने चाहियें; इससे अफारा होता है.
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