अनार के छिलके का पावडर करके उसमें हल्दी ,नमक और सरसों का तेल मिलाकर मंजन करने से मसूढ़े मजबूत होते हैं . अगर दस्त लगे हों तो इसके छिलके के पावडर में कच्ची बेल का पावडर मिलाकर सवेरे शाम ले लें . इसके छिलके . चन्दन और लौंग की पेस्ट मुंह पर लगाने से चेहरा साफ़ रहता है .
यदि अनिंद्रा या टेंशन है तो इसकी 2-3 ग्राम कोमल पत्तियों को कुचलकर 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनायें और सोने से पहले ले लें . पेट में दर्द है तब भी यही काढ़ा लाभदायक रहेगा . कान में दर्द है तो इसके पत्तों का रस सरसों के तेल में पकाकर कान में डालें . मुंह में छाले हैं तो इसके कोमल पत्ते चबाएं और लार बाहर कर दें . अगर दौरे पड़ते हों तो 20 ग्राम पत्तियों का रस मिश्री में मिलाकर सेवन करें .
खांसी है तो इसकी कलियाँ या पत्ते लें. उसमें 3-4 तुलसी के पत्ते और काली मिर्च मिलाकर इसकी चाय पियें . अरुचि या भूख न लगने से कमजोरी हो तो , इसके फल के रस में जीरे का पावडर और काला नमक मिलाकर पीयें ; या रस और शहद मिलाकर चाटें . अगर पेट में कीड़े हो गए हों तो ,इसकी 100 ग्राम जड़ को कूटकर 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनायें और सवेरे शाम दो बार लें . गर्भवती स्त्रियाँ इसके फल का रस लेती रहें तो उल्टियां नहीं होती .
अगर पीलिया हो जाए , तो इसके ताजे पत्तों का पावडर 3 ग्राम की मात्रा में दिन में छाछ के साथ और शाम को पानी के साथ लें .अगर खुजली की शिकायत है , तो इसके पत्तों का रस मलें . यदि नाखून अंदर की तरफ चला जाता है तो इसके छिलके के पावडर में हरड का पावडर मिलाकर पेस्ट बना लें और नाखून पर लगाकर पट्टी बांध दें . कुछ दिनों में यह ठीक हो जाएगा .
Uterus अगर बाहर आता हो तो इसके 100 ग्राम पत्ते , 100 ग्राम पानी में उबालें और उसमें फिटकरी मिलाकर सिकाई करें . मांस लटकता हो , या फिर झुर्रियां पड़ गई हों , तो इसकी पत्तियों के एक किलो रस में आधा किलो तिल का तेल मिलाएं . धीमी आंच पर पकाएं . जब केवल तेल रह जाए तो शीशी में भरकर रख लें . रोज़ मालिश करें . इससे मांसपेशियां ठीक हो जायेंगी .
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