गोखरू का पौधा ज़मीन पर घास के साथ साथ ही उगा हुआ दिख जाता है . इसके नन्हे नन्हे पीले फूल होते हैं . इसे गोक्षुर भी कहते हैं . शायद इसलिए , क्योंकि गाय चलती है तो उसके खुर इस पर पड़ते हैं .
यह kidney के लिए सर्वोत्तम है . इसके पंचांग या केवल फल का काढ़ा लेने से किडनी ठीक हो जाती है .
Uric acid बढ़ गया है और इसकी वजह से पैरों में सूजन है ,तो गोखरू +सौंठ+मेथी+अश्वगंधा बराबर मात्रा में लेकर 5 ग्राम मिश्रण का काढ़ा सवेरे शाम पीयें . खांसी है तो गोखरू +तुलसी +सौंठ का काढ़ा लें .
बार बार पेशाब आता है , या रुक रुक कर आता है या फिर prostrate glands की समस्या है तो गोखरू और काला तिल बराबर मात्रा में मिलाकर प्रात: सांय लें
शरीर में शक्ति की कमी है तो यह रसायन का भी काम करता है . इसे भृंगराज ,मुलेटी, और आंवले के साथ मिलाकर सवेरे शाम लें .
इसका काढ़ा लेने से पथरी निकल जाती है और दोबारा नहीं होती .
इसका काढ़ा सिरदर्द ठीक करता है और गर्भाशय के विकारों को भी ठीक करता है .
अगर 10 ग्राम गोखरू के बीज और 2 ग्राम अजवायन मिलाकर काढ़ा पीया जाए तो delivery के बाद जहाँ गर्भाशय को शुद्ध करता है ; वहीँ पाचन को भी अच्छा करता है .
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