Sunday, October 16, 2011

ब्राह्मी

ब्राह्मी का नाम किसने न सुना होगा ? वयोवृद्ध नेता तो इसके कायल हैं . उनकी बुद्धि इसी के सहारे तीक्ष्ण रहती है . इसके पत्तों का आकार कुछ कुछ मेंढक से भी मिलता है , इसीलिए इसे मंडूकपर्णी भी कहते हैं . इससे बुद्धि को तीव्र करने या याददाश्त को बढ़ने के लिए लेना हो तो ,सवेरे 4-6 पत्तियां चबा-चबाकर खाएं . फिर पानी पी लें . इससे मन शांत होता है . एकाग्रता भी बढ़ती है . पत्ते थोड़े कडवे होते हैं . अत: इसके सूखे पत्ते 250 ग्राम +बादाम 250 ग्राम +काली मिर्च 20 ग्राम +500 ग्राम मिश्री ; इन सबको मिलाकर रख लें और इस मिश्रण का एक- एक चम्मच सवेरे शाम लें .
      मिर्गी , उन्माद , मंदबुद्धि या over activity की शिकायत हो तो इसके पौधे का पंचांग सुखाकर सवेरे शाम लें . नींद कम हो तो 2-3 ग्राम के मात्रा दूध में पकाकर लें . उन्माद होने पर 10 ग्राम ब्राह्मी +5 ग्राम कूठ , दोनों मिला लें . इस मिश्रण को 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम शहद के साथ चटायें . 
                     गर्मी के रोग होने पर 3 ग्राम ब्राह्मी +3 ग्राम काली मिर्च मिलाकर पीसकर शर्बत बनायें और मिश्री मिलाकर पी लें . बाल सफेद होने पर इसका रस बालों की जड़ों में लगायें और ब्राह्मी और भृंगराज बराबर मात्रा में मिलाकर एक-एक चम्मच सवेरे शाम लें . पेशाब की दिक्कत हो तो ब्राह्मी के रस में काली मिर्च मिलाकर शरबत पियें .पेट दर्द हो तो इसके तीन चार पत्तों की लुगदी पानी के साथ लें . हाथ-पैरों में जलन हो तो इसका एक चम्मच रस शहद के साथ लें . और अगर करना हो अपना गला सुरीला ; तो ब्राह्मी और मुलेटी मिलाकर सवेरे शाम लें .


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