Tuesday, October 11, 2011

अर्जुन

अर्जुन के वृक्ष का नाम लेते ही इसके द्वारा हृदय रोग का उपचार याद आता है . इसकी 10-15 ग्राम ताज़ी छाल 200-300 ग्राम पानी या दूध में उबालकर सवेरे शाम लेने से वाकई हृदय रोग में लाभ होता है . इसके प्रयोग से हृदय व मस्तिष्क की मांसपेशियों को ताकत मिलती है . ताज़ा न मिले तो इसकी छाल का 5 ग्राम पावडर डेढ़ गिलास पानी में पकाएं . जब आधा गिलास रह जाए , तो पी लें . इस  काढ़े  से घबराहट , बेचैनी , नींद टूटना जैसी बीमारियाँ भी ठीक होती हैं . उच्च रक्तचाप हो या amoebisis की परेशानी ; यह सभी में लाभदायक है 
                   हड्डी टूट जाए , घिस जाए या cartilage घिस जाए , तब भी इसका काढ़ा फायदा करता है . इसका काढ़ा मस्तिष्क को भी ताकत देता है . पुराना बुखार हो तो , इसकी छाल ,नीम और तुलसी का काढ़ा पिलायें . White discharge की परेशानी हो तो इसकी छाल का पावडर दो चम्मच रात को भिगो दें . सवेरे मसलकर पीयें या काढ़ा बनाकर पीयें . 
                     चेहरे की झाइयों के लिए इसकी छाल घिसकर चेहरे पर लगायें . कान में दर्द हो तो इसकी कोमल पत्तियों का रस दो-दो बूँद कान में डालें .मुख पाक या मुंह में infection हो गया हो तो इसकी ताज़ी छाल का काढ़ा पीयें और उसके कुल्ले भी करें . 
इसके फूल ऐसे प्रतीत होते हैं , जैसे कि अर्जुन की तरकश से निकले हुए तीर हों ! वैसे भी अज्ञातवास में जाने से पहले उन्होंने अपना गांडीव इसी "शमी " वृक्ष के नीचे गाड़ दिया था .

No comments:

Post a Comment