Tuesday, October 18, 2011

कचनार

कचनार के  विशेष प्रकार के पत्ते होते हैं . इन्हें आसानी से पहचान सकते हैं . कचनार की छाल शरीर की सभी प्रकार की गांठों को खत्म करती है . 10 gram गीली छाल या 5 ग्राम सूखी छाल 400 ग्राम पानी में उबालें जब आधा रह जाए तो पी लें . इससे सभी तरह की गांठें ऊपरी या भीतर की , कैंसर की गांठ , tumor ,फोड़े -फुंसी , गलगंड आदि सब ठीक हो जाता है . गर्भाशय की गांठें तो खत्म होती ही हैं , साथ ही हारमोन भी ठीक हो जाते हैं . 
                  मुंह पक जाए , या मुंह में छाले हों या मुंह से दुर्गन्ध आती हो तो इसकी छाल का काढ़ा पीयें और कुल्ले भी करो . दस्त या आंव हों तो इसकी छाल का 3-4 ग्राम पावडर पानी के साथ लें . पेशाब रुक कर आता हो तो इसके बीज का पावडर 1-1 ग्राम सवेरे शाम लें . पेशाब में जलन हो तो इसकी छाल का पावडर +धनिया पावडर +मिश्री मिलाकर लें . आंत में कीड़े हों तो इसका 20 ग्राम छाल का काढ़ा +1 ग्राम वायविडंग तीन चार दिन लें . इसकी पत्तियों का रस 100 ग्राम सवेरे शाम लें तो लीवर ठीक रहता है और पीलिया भी ठीक हो जाता है . 
         पशुओं के खुर पक जाएँ तो इसके काढ़े से धो दें . दन्त रोग हो तो इसकी छाल के कोयले को महीन कर के मंजन करो . भूख कम लगती हो तो इसकी छाल और पत्तियों के रस में मिश्री मिलाकर लें . स्नायु तंत्र में गाँठ हो तो इसकी इसकी छाल +तुलसी की चाय बनाकर पी लो . पेट में अफारा हो तो 5 ग्राम त्रिफला के साथ कचनार की छाल का पावडर लें . खांसी कफ हो तो इसके फूलों का गुलकंद बनाकर लें . शरीर में ताकत लानी हो तो इसके फूलों का पावडर मिश्री मिलाकर लें .
          अगर शरीर में कुबडापन आ गया हो तो इसकी छाल का 3-4 ग्राम पावडर हल्दी मिले हुए दूध के साथ लें .
             


    

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