अपराजिता की बेल बहुत सुन्दर होती है . इसके या तो नीले रंग के छोटे छोटे फूल होते हैं या फिर सफ़ेद रंग के . इसे अश्वखुरा भी कहते हैं . इसको रोग पराजित नहीं कर सकते . ऐसा माना जाता है की तंत्र मन्त्र में भी इसका प्रयोग होता है . अगर migraine या अधसीसी का दर्द रहता है तो इसकी जड़ की रस की 4-4 बूँदें नाक में ड़ाल लें. इसकी जड़ पीसकर माथे पर लेप भी करें .
बार -बार बुखार आता हो तो इसके जड़ के टुकड़े लाल धागे में माला की तरह पहनें ; इसकी जड़ का काढ़ा पीयें . पीलिया होने पर भी ऐसा ही करें . खांसी होने पर इसकी जड़ के साथ 4-5 काली मिर्च लें और उसमें 2-3 पत्ते तुलसी के डालकर काढ़ा बनाकर पीयें . टांसिल बढ़ जाने पर इसके और अमरुद के पत्ते पानी में उबालकर , उसके गरारे करें . इसकी पत्तियों को पीसकर गले पर लेप करें . बच्चों को खांसी हो तो इसके बीज का पावडर 250 mg शहद के साथ चटायें . Hydrocele की समस्या हो तो इसकी पत्तियां पीसकर बांधें . गर्भाशय बाहर आता हो तो इसके पत्ते +चांगेरी घास (खट्टा मीठा) +फिटकरी उबालकर , उस पानी से धोएं .
Overbleeding हो या जल्दी जल्दी periods आते हों , तो इसकी 4-5 पत्तियों का रस लेते रहें . Delivery होने वाली हो तो इसकी जड़ धागे में बांधकर कमर में बाँध लें और बाद में तुरंत हटा दें . सूजाक या संक्रमण हो तो इसके पत्ते उबालकर धोएं . कम पेशाब आता हो तो इसके पत्ते पीसकर पानी में मिश्री के साथ लें . Elephant Leg हो गया हो तो इसकी जड़ और बीज का पावडर 1-1 चम्मच गर्म पानी से लें .अगर घाव हो तो इसके पत्ते उबालकर उस पानी से धोएं . यह विरेचक भी होता है और कब्ज़ दूर करता है . इसे गमले में आराम से लगा सकते हैं .
No comments:
Post a Comment