stories from indian trenches
Sunday, July 31, 2011
स्वागतम ! स्वागतम!
पुष्प गुच्छ में नव कलिका ने,
शोभावृद्धि अपार बढाई .
सुख सौरभमय कर कुल अपना ,
हर्ष लहर अनुपम पहुंचाई .
दृग युगल उद्दीप्त हो उठे ,
छायाचित्र छवि जब निरखी.
नन्हे से ओ हीरे तुमसे ,
बढे प्रतिष्ठा पूरे कुल की !
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