Wednesday, July 13, 2011

सच्चा वायदा !

तब मैं चतुर्थ कक्षा की छात्रा थी. मेरा गणित का पेपर ज्यादा अच्छा नहीं हुआ था . या शायद ऐसा मुझे लगा था . परिणाम आने का समय करीब आता जा रहा था . मुझे डर लग रहा था . मैंने देखा था कि बड़े लोग भगवान के नाम पर कुछ रुपयों का प्रसाद चढाते तो उनके काम बन जाया करते थे .
             मैंने मन ही मन सोच लिया कि अगर गणित में पूरे नंबर आए तो शिवजी को दो पैसे चढ़ाऊँगी . लेकिन यह लग रहा था कि ऐसा हो नहीं सकता . मेरे नंबर तो कम ही आयेंगे . मैं परिणाम का बेसब्री से इंतज़ार करने लगी . अंतत: परिणाम आया . मेरी प्रसन्नता और आश्चर्य का ठिकाना न था . मेरे गणित में पूरे नंबर थे . में बहुत खुश थी 
        भगवान् से किया हुआ वायदा मुझे बखूबी याद था . सवेरे बाउजी ने मुझे पांच पैसे जेबखर्ची के लिए दिए . बस्ता लेकर मैं स्कूल के लिए चल दी .रास्ते में ही मंदिर पड़ता था . मैं  रूककर मंदिर में गई . वहां शिवजी की मूर्ति पर पांच पैसों का सिक्का चढ़ा दिया . लेकिन मैंने तो दो पैसों का ही वायदा किया था . अब मैंने सोचा कि क्या किया जाए . उस  मूर्ति पर और पैसे भी चढ़े हुए थे . मैंने सोचा भगवान सब जानते हैं . अगर मैं तीन पैसे का सिक्का उठा लूं तो गलत न होगा . 
               मैंने इधर उधर देखा . सभी अपनी अपनी पूजा में मग्न थे . मैंने चुपके से तीन पैसे का सिक्का उठाया . जल्दी से बस्ता उठाया और बिना पीछे देखे जल्दी-जल्दी अपने स्कूल की ओर चल दी .ये सब देखकर शिवजी भी मुस्कुरा रहे होंगे!




 





  

No comments:

Post a Comment