Wednesday, April 27, 2011

नशा छुड़ाने की दवाई

जिन सरकारी स्कूलों में मैंने पढ़ाया , वहाँ लगभग ऐसे बच्चे आते थे ,जिनके घर में आय के सीमित साधन थे . उनके घरों में और भी पैसे की तंगी इसलिए हो जाती थी ,क्योंकि बहुत बच्चों के पिता शराब की लत से ग्रसित थे . मुझे आदत थी कि हफ्ते दो हफ्ते में कभी कभार मैं उन्हें आम ज़िन्दगी में काम आने वाली बातें भी बताती थी .       
एक बार मैंने सोचा क्यों न बच्चों को बताया जाए कि शराब की लत कैसे छुडवाई जा सकती है . यही सोचकर उस दिन मैं नवीं कक्षा के क्लासरूम में गई।
                         कक्षा में जाते ही मैंने बताया कि आज पढाई नहीं करेंगे . बल्कि कुछ अलग तरह  की जानकारियाँ  लेंगे . बच्चे बहुत खुश हुए . अगर किसी पीरियड में बच्चों को पाठ्यक्रम सम्बन्धी बात न बताकर कुछ अलग बातें की जाएँ, तब उनके चेहरे पर जो चमक होती है , वह देखते ही बनती है . सबका ध्यान पूरी तरह केन्द्रित होता है ,और आँखें एकदम टकटकी लगाकर, टीचर को देख रही होती हैं कि बस अब जल्दी से वे कुछ बताएं .
 मैंने बच्चों से कहा,"देखो भई! हमारे समाज में एक बहुत बुरी समस्या है. वह है, शराब पीने की लत ." बच्चों ने एकदम मुझे ध्यान से देखा. उनके मुखमंडल पर हैरानी साफ़ दिख रही थी. और उतावलापन भी था ,जैसे जल्दी से ही जान लेना चाहते हों कि अब आगे क्या?
                              मैंने बताना ज़ारी रखा ,"तुम सभी आस पास देखते होगे कि कई लोग अपने पैसे को शराब में बर्बाद करते हैं .इससे धन का ही नुकसान नहीं होता बल्कि स्वास्थ्य भी खराब होता है." बच्चों का मौन धारे मुझे सुनते रहना इस बात का पक्का संकेत था कि वे मेरी बातों से पूरी तरह सहमत हैं ." कई लोग "  शब्द मैंने जान बूझकर इस्तेमाल किया था . अगर मैं उनके पिता से इस का सम्बन्ध जोडती तो वे अपमानित महसूस करते . "हमें ऐसा कुछ करना चाहिए कि वे सभी शराब पीना छोड़ दें ."
                            यह सुनते ही एक छात्रा झट से बोल उठी ,"हाँ मैडम ! पर क्या ऐसा हो सकता है ? जो एक बार शराब पीना शुरू कर दे , वह तो कभी छोड़ता ही नहीं है ."
       " हाँ भई , ज़रूर हो सकता है . परन्तु कोशिश करनी पड़ेगी ." मेरे द्वारा इतने आत्मविश्वास से कहा गया वाक्य उनमे भी विश्वास जगा रहा था . मैंने फिर कहा ,"क्या सभी बच्चे जानना चाहते हैं कि शराब कि लत कैसे छुड़ाई जाए ?बोलो, कितने बच्चों को जानना है ?" एक साथ पूरी कक्षा के हाथ खड़े हो गए . 
            मैंने कहा ,"सभी अपनी कापी निकालकर नुस्ख़ा नोट कर लो ." बड़ी चुस्ती से सभी बच्चों ने पैन और कापी निकाल लिए . मैंने बोलना शुरू किया ," पहले दो सौ पचास ग्राम अजवायन लो ." "वह अजवायन जो सब्जी में डाली जाती है मैडम ?" एक बच्चे ने पूछा . 
               "हाँ . वही अजवायन,  दो सौ पचास ग्राम लेकर, उसे चार लीटर पानी में डालो . अब इसे मंदी मंदी आंच पर धीरे धीरे पकने दो ." एक छात्रा पूछ उठी ,"कब तक मैडम ?"
                      " इसे मंदी आंच में तब तक पकने दो ,जब तक पानी एक चौथाई न रह जाए ; अर्थात एक लीटर पानी बच जाना चाहिए ." सभी बच्चे बड़े मनोयोग से कापी पर निरंतर लिखे जा रहे थे .
                          "अब इसको ठंडा करने के लिए रख दो .और बाद में इसे छानकर एक बोतल में डाल दो " मैंने देखा, बच्चों ने यह वाक्य भी लिख लिया था . 
                    " बोतल को फ्रिज में रखना है या बाहर. "   एक छात्र बोला .
   मैंने उसे बताया कि बोतल को फ्रिज में रखो तो अच्छा है . वैसे बाहर भी रखा रहे तो कुछ बिगड़ेगा नहीं .  "लेकिन इसे इस्तेमाल कैसे करना है ; इसे ध्यान से सुनो।
जिसको शराब की लत है; उसे बिलकुल सुबह, बिना कुछ खिलाये,यानि खाली पेट, यही अजवायन का पानी आधा कप, मतलब दौ सौ मिली लीटर के करीब, पिला दो . इसके आधे घंटे के बाद ही उसे कुछ खाने दो .
शाम को खाना खाने के बाद भी इसे दिया जा सकता है. इससे जल्दी फायदा  होगा. "
                सभी छात्र छात्राओं ने ये बातें अच्छी तरह नोट कर ली थी . मुझे बड़ी ख़ुशी थी कि प्रत्येक बच्चे ने मेरी हर बात को ध्यान से सुना ही नहीं बल्कि लिख भी लिया . "क्यों भई, क्या अपने आस पड़ोस में सबको इस बारे में जागरूक करोगे ?"मैंने जब सबसे पूछा , तो सभी में बड़ा जोश नज़र आया .
                                           चार पांच दिन के बाद कक्षा के सबसे होशियार छात्र की माँ मुझसे मिलने आई . उसने मुझे बताया कि उसके पति शराब बहुत पीते हैं . उसके बेटे ने माँ के पीछे पड-पड़कर अजवायन का पानी बनवाया , जिससे  कि   उसके  पिता की शराब छूट सके . 
अगले सत्र में जब अभिभावक संघ की मीटिंग हुई; तो कई माताओं ने मुझे इस प्रयोग के अच्छे परिणाम बताए. इससे मुझे अंदाजा हुआ कि बच्चों को कोई भी बात बताई जाए और वे ध्यानपूर्वक बात सुनकर अमल में लायें ,तो परिणाम दूरगामी और सुखद हो सकते हैं . इसके बाद तो मेरा भी उत्साह बहुत अधिक बढ़ गया . कभी कभार किसी किसी पीरियड में ऐसी सामाजिक बुराइयों के बारे में चर्चा किया करूंगी ; ऐसा मैंने निश्चय कर लिया .

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