Sunday, April 10, 2011

अभी मन नहीं भरा


नन्ही सी खिलखिलाहट , अभी तुमसे मन नहीं भरा 
तुम्हारे नन्हे हाथों में नाचते खिलौने 
और फुदकती सी हंसी गाल पर  सलोने 
ठुमकते नन्हे पैरों की हलकी सी शरारत 
गोदी में आने की भोली सी चाहत 
कोमल से स्पर्श मात्र से 
हृदय हो गया हरा !
नन्ही सी खिलखिलाहट अभी तुसे मन नहीं भरा 
मेरे संग आओ यह कहकर लुभाते हो
क्योंकर अपने संग मुझको बुलाते हो ?
झूले पर  बिठा मुझे दौड़े चले जाते हो 
नन्हे से फूल ला फिर  तुम बहलाते हो 
भागो तुम आगे ,
फिर पकडूँ मैं तनिक ज़रा
नन्ही सी खिलखिलाहट अभी तुमसे मन नहीं भरा 



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