सभी पत्ते मुस्कुराए हैं
कलियों ने घूँघट उठाए हैं
तुम्हारे स्वागत में देखो तो
पक्षीवृन्द चहचहाये हैं
लता ने अंगड़ाई ली
पवन की थिरकती लहरियों पर
दूब ने नृत्य किया
किरणों के गुदगुदाने पर
भँवरे गुनगुनाए हैं
नभ का आनन खिल उठा
बादल भी संवर गए
वृक्ष देखो स्वागत हेतु
बाँहें फेलायें हैं
सतरंगी किरण एक
सूरज से यों बोली
सपनों के हर पथ पर
मैंने पग रख रख कर
रंग सब सजाए हैं
खिलखिलाती धूप ने
सबको सन्देश दिया
देखो इस जगती में
भीनी मकरंद ओढ़
रसराज आए हैं
जन मानस मंगल के
चिर प्रतीक्षित इस पल में
स्वागत ऋतुराज हेतु
स्वयं मदन आए हैं
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