Friday, January 20, 2012

तुम्बरू (toothache tree)


Toothache tree 
तुम्बरू को नेपाली धनिया भी कहा जाता है . यह पहाड़ों पर होता है . यह वृक्ष इतने कम हो गये हैं कि लुप्त होने की कगार पर हैं . 

अगर कोई रक्त विकार है , त्वचा की समस्या है , त्वचा काली हो गई है , या eczema हो गया है तो इसकी पत्तियों का काढ़ा पीयें . 

फोड़े फुंसी या मुहासे हो गये हों तो इसकी जड या कांटे घिसकर लगा लें .इससे निशान भी मिट जायेंगे . 

अगर जोड़ों का दर्द होता है तो इस वृक्ष की छड़ी हाथ में लेकर चलने से ही लाभ होना प्रारम्भ हो जाता है . 

दमा या कफ रोगों में इसके बीज और तुलसी मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें . 
                इसके दातुन से दांत साफ़ करते रहने से लारग्रंथियों का स्राव बढ़ जाता है . इसके दो चार बीजों को मुंह में रखने से भी लार का स्राव बढ़ जाता है जो कि दांतों को भी स्वस्थ रखता है और पाचन में भी सहायक है . दांतों में दर्द हो ,पायरिया हो या मसूढ़े ठीक न हों तो तुम्बरू के बीजों का पावडर लिया जा सकता है . 
Indigestion की समस्या रहती हो तो इसका मसाले की तरह प्रयोग करें . 
अगर पेट में कीड़े हों तो चटनी में तुम्बरू मिलकर लें . इससे पाचन भी बढ़ेगा . 
                         Arthritis या sciatica की समस्या हो तो इसकी पत्तियों के साथ सूखी जड़ 5 ग्राम मिलाकर 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें . अगर ताज़ी जड़ हो तो 10 ग्राम लेनी चाहिए . 
अगर सूजन हो गई है तो इसकी पत्तियां उबालकर सिकाई करें .


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