मेदा महामेदा पहाड़ों पर पाने वाली शक्तिवर्धक जड़ी बूटी हैं . ये हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में पाई जाती हैं . मेदा की बिनामुड़ी सीधी सीधी पत्तियां होती हैं , जबकि महामेदा की पीछे की और मुडी हुई पत्तियाँ होती हैं . इसके अदरक जैसे कंद होते हैं . मेदा के बड़े कांड होते हैं और महामेदा के पतले कंद होते हैं . यह जीवन बढ़ाने वाली और बुढ़ापा रोकने वाली औषधि है . इसके कंद को सुखाकर इसका पावडर लिया जाता है . यह शक्तिवर्धक होती है और कमजोरी को दूर भगाती है . इससे खांसी भी दूर होती है . च्यवनप्राश में डाले जाने वाले अष्टवर्ग में यह भी शामिल है . च्यवन ऋषि भी इस औषधि को खाकर जवान हुए थे . यह यौनजनित विकृतियाँ भी दूर करती है . इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढती है . इसके कंद को सुखाकर , बराबर की मिश्री मिलाकर , 2-3 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ लिया जा सकता है . इसको लेने से बुढापे के रोग नहीं होते .
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