ममीरा हिमालय के क्षेत्र में पाया जाता है इसकी पीली रंग की जड़ होती है . इसे वचनागा भी कहते हैं .इसके फूल मेथी के फूलों जैसे होते हैं . आँखों में लाली हो या कम दीखता हो या फिर infection हो गया हो तो शुद्ध ममीरे की जड़ घिसकर आँख में अंजन कर सकते हैं . कमजोरी हो तो इसके साथ शतावर , मूसली और अश्वगंधा मिलाकर लें .आँतों में या पेट में infection हो तो इसकी जड़ कूटकर रस या काढ़ा लें .
दांत दर्द हो या मुंह में घाव और छाले हो गये हों तो इसकी पत्तियां चबाएं . इससे मसूढ़े भी मजबूत होंगे . कहीं पर घाव हो तो इसकी पत्तियां कूटकर घाव को धोएं . घाव में कुटी हुए पत्तियां लगा भी दें . बार बार बुखार आता हो तो इसकी जड़ , 1-2 काली मिर्च , तुलसी और लौंग मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें . Lever की समस्या में सुबह शाम इसकी जड़ का काढ़ा लें . चेहरे पर मुहासे हों तो जड़ घिसकर लगायें
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