बबूल या कीकर के फूल ग्रीष्म ऋतु में आते हैं और फल शरद ऋतु में आते हैं . दांतों को स्वस्थ रखने के लिए इसकी दातुन बहुत अच्छी मानी जाती है . मसूड़े फूल गये हों तो इसकी पत्तियां चबाकर मालिश करने के बाद थूक दें . इससे मुंह के छाले भी ठीक होते हैं .
प्रमेह रोगों में इसकी कोमल पत्तियां प्रात:काल चबाकर निगल लें . ऊपर से पानी पी लें . इसकी फलियों को पकने से पहले सुखाकर पावडर बनाकर रख लें . इस पावडर का नियमित रूप से सेवन करने से सभी तरह की कमजोरी दूर होती हैं . टांसिल बढ़े हुए हों , या गायन में परेशानी हो रही हो तो इसकी पत्तियां +छाल उबालकर उसमें नमक मिलाकर गरारे करें . कफ , बलगम ,एलर्जी की समस्या हो तो इसकी छाल +लौंग +काली मिर्च +तुलसी को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें .
lever की समस्या है तो इसकी फलियों का पावडर +मुलेठी +आंवला मिलाकर , काढ़ा बनाकर पीयें . Colitis या amoebisis होने पर कुटज +बबूल की छाल का काढ़ा लें . Periods की समस्या हो तो कीकर की छाल का काढ़ा पीयें .
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