Tuesday, January 24, 2012

बहेड़ा (bellaric myrobalan)

 
त्रिफला के तीन घटकों (हरड, बहेड़ा, आंवला ) में बहेड़ा एक महत्वपूर्ण घटक है . इसका विशाल वृक्ष होता है . इसके फल का अक्सर छिलका ही प्रयोग में लाया जाता है . आँतों में संक्रमण हो या acidity की समस्या हो ; इसे त्रिफला के रूप में लिया जा सकता है . यह निरापद है . पुरानी से पुरानी खांसी में इसके साफ़ टुकड़े को मुंह में रखकर चूसते रहें . खांसी बलगम सब खत्म हो जाएगा . श्वास संबंधी किसी भी समस्या के लिए इसके फल के छिलके या पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीयें . मुंह में लार कम बनती हो या फिर आवाज़ स्पष्ट न हो तो इसके फल के छिलके का चूर्ण शहद के साथ चाटें . 
                        हृदय रोग में अर्जुन की छाल और बहेड़े के फल के छिलके का चूर्ण मिलाकर या तो ऐसे ही ले लें या फिर काढ़ा बनाकर पीयें . पुराने से पुराने बुखार में बहेड़ा और गिलोय को उबालकर , छानकर पीयें . White discharge की समस्या हो अथवा kidney में समस्या हो दोनों ही के लिए ,इसका पावडर और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाएं और एक -एक चम्मच सवेरे शाम लें .Thyroid की समस्या में भी यह लाभ करता है .
                           नेत्र रोग में इसके तने के छिलके को शहद में घिसकर आँखों में अंजन कर सकते हैं . इसके फल की गिरी की बारीक पेस्ट बनाकर बालों में लगाई जाए तो बाल मजबूत होते हैं और उनमें कोई रोग भी नहीं होते . बहेड़े के फल के छिलके का नियमित रूप से सेवन करने से मोटापा भी कम होता है .  खुजली की समस्या के लिए इसकी मींगी (फल का बीज ) का तेल +मीठा तेल (तिल का तेल ) मिलाकर मालिश करनी चाहिए . 

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