Monday, January 23, 2012

द्रोणपुष्पी

 
द्रोणपुष्पी का पौधा पूरे भारतवर्ष में पाया जाता है . यह एक से डेढ़ फुट तक का होता है . द्रोण का अर्थ है दोना . इसके पुष्प दोने के आकार के होते हैं . इसको गुम्मा भी कहते हैं . देखने में ऐसा लगता है मानो पौधे के ऊपर नन्हा गुम्बद रखा हो और गुम्बद में से नन्हें पुष्प निकल रहे हों . यह विषहर है . हर प्रकार के जहर का असर खत्म करता है . ऐसा माना जाता है कि सांप के काटने से बेहोश हुए व्यक्ति की नाक में अगर इसकी पत्तियों का रस डाला जाए , तो उसकी बेहोशी टूट जाती है . 
                                  Eczema , एलर्जी या किसी भी त्वचा की समस्या के लिए यह बहुत उपयोगी है . यह रक्तशोधक माना जाता है . अगर त्वचा की कोई परेशानी है , सांप के जहर का असर है , कोई विषैला कीड़ा काट गया है , या skin पर allopathy की दवाइयों का reaction हो गया है ; तो इसके 5  ग्राम पंचांग में 3 ग्राम नीम के पत्ते मिलाकर , दो गिलास पानी में उबाल लें . जब आधा गिलास बच जाए तो पी लें . ये कुछ दिन सुबह शाम लें . 
                                 Sinus या पुराना सिरदर्द है तो इसके रस में दो गुना पानी मिलाकर चार चार बूँद नाक में डालें . यह केवल 3-4 दिन करने से ही आराम आ जाता है और जमा हुआ कफ भी बाहर आ जाता है . पुराना बुखार हो तो इसकी दो तीन टहनियों में गिलोय और नीम मिलाकर काढ़ा बनाकर कुछ दिन पीयें .  लीवर ठीक न हो ,SGOT , SGPT आदि बाधा हुआ हो तो इसके काढ़े में मुनक्का डालकर मसलकर छानकर पीयें .
                        Infection या कैंसर जैसी समस्याओं के लिए ताज़ी द्रोणपुष्पी +भृंगराज +देसी बबूल की पत्तियों का रस या काढ़ा पीयें . डाक्टरों के निर्देशन में आनी दवाइयों के साथ भी इसे ले सकते हैं . इससे चिकित्सा में जटिलता कम होंगी . शरीर में chemicals का जहर हो , toxins  हों या एलर्जी हो तो इसके पंचांग का 2-3 ग्राम का काढ़ा ले सकते हैं . विभिन्न एलर्जी और बीमारियों को दूर करने के लिए द्रोणपुष्पी का सत भी लिया जा सकता है . 
             इसका सत बनाने के लिए , इसके रस में दो गुना पानी मिलाकर एक बर्तन में 24 घंटों के लिए रख दें . इसके बाद ऊपर का पानी निथारकर फेंक दें और नीचे बचे हुए residue को किसी चौड़े बर्तन में फैलाकर छाया में सुखा लें . तीन चार दिन बाद यह सूखकर पावडर बन जाएगा . इसे द्रोणपुष्पी का सत कहते हैं . इसे प्रतिदिन आधा ग्राम की मात्र में लेने से सब प्रकार की व्याधियां समाप्त हो जाती हैं . और अगर कोई व्याधि नहीं है तब भी यह लेने से व्याधियों से बचे रहते हैं , प्रदूषणजन्य बीमारियों से भी बचाव होता है .
                                                 

2 comments:

  1. oh this is a very informativepost! i actually enjoyed reading this - very well explained too. thanks, this is very useful!Great information..
    Mercedes Benz 350SDL AC Compressor

    ReplyDelete