Monday, March 12, 2012

रेवनचीनी (rhubarb)


 
रेवनचीनी का पौधा हिमालय क्षेत्र में 8000 - 10000 फुट की ऊंचाई पर पाया जाता है .इसे आमभाषा में अर्चा भी कहते हैं . इसका क्षुप मूली की तरह होता है . शायद इसीलिए इसे संस्कृत भाषा में पित्तीमूलिका कहते हैं . यह बहुवर्षीय seasonal पौधा है . बर्फ पड़ने पर इसके पत्ते खत्म हो जाते हैं और जड़ें बनी रहती हैं .वर्षा ऋतु में इसके पुष्प आते हैं . इसके चौड़े चौड़े खट्टे पत्तों की चटनी बनाई जाती है . यह स्वादिष्ट होने के साथ आंत, पेट और गले के लिए हर प्रकार से लाभदायक होती है .
                            इसकी छोटी जड़ों को रेवनखटाई और बड़ी जड़ों को रेवनचीनी कहते हैं . संत महात्मा पेट के रोगों में इसकी जड़ों का बहुत प्रयोग करते हैं . वे इसकी जड़ के दो तीन टुकड़ों को दाल या सब्जी में उबाल लेते हैं . फिर उन जड़ों को चबा चबाकर खाते हैं . ये थोड़ी कसैली अवश्य लगती हैं ; परन्तु पेट के रोग , पेट के अल्सर , पेट के घाव और पेट के सभी संक्रमणों के लिए लाभकारी हैं .
                          अगर कहीं पर घाव हों तो इसकी जड़ को चन्दन की तरह पानी में घिसकर लगा लें . घाव बहुत जल्द भर जाएगा और संक्रमण भी नहीं होगा . शुगर की बीमारी में जो घाव नहीं भर पाते , वे भी इसे लगाने से भर जाते हैं . चेहरे पर कील -मुंहासे हों तो इसकी जड़ को पानी घिसकर पेस्ट की तरह बना लें और कील मुंहासे पर लगायें . कुछ देर बाद मुंह धो लें .
                इसकी जड़ों की शुद्धता की परख अवश्य कर लेनी चाहिए . इसकी जड़ें हल्की पीली और हल्की खुशबू वाली होती हैं . यह कब्ज़ को भी ठीक करता है . यह मृदु विरेचक है . रेवनचीनी +सौंफ + हरड+त्रिफला बराबर मात्रा  में लेकर सवेरे शाम दो दो ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लें . इससे पेट साफ़ तो होता ही है साथ ही आँतों में कम खुश्की होती है . आँतों के घाव भी भरते हैं . केवल रेवनचीनी की जड़ का पावडर दो तीन ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लेने से भी आंतें ठीक रहती हैं . इससे colitis भी ठीक होता है .
                    अगर acidity है तो धनिया +मिश्री मिलाकर सवेरे शाम गुनगुने पानी से ले लें . अगर दस्त लगे हों तब इसे नहीं लेना चाहिए . शीतपित्त या urticaria की बीमारी में इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम पानी के साथ लें . इसको लेने से urine भी ठीक तरह से आता है . प्रमेह , धातु रोग आदि भी इसको लेने से ठीक हो जाते हैं .इसको लेने से kidney भी ठीक होती हैं . इसकी प्रकृति गर्म है , फिर भी इसे लेने से acidity खत्म होती है .
                            Arthritis या joint pain की समस्या है या फिर कमर में दर्द रहता है तो , रेवनचीनी +मेथी +सौंठ +अश्वगंधा +हल्दी बराबर मात्रा में मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें . वैसे वातारी चूर्ण भी जोड़ों के दर्द में बहुत मददगार है . इससे सूजन भी कम होती है .
                      बहुत छोटे बच्चे को अफारा हो ; चाहे वह 10 दिन का ही क्यों न हो ; तब भी इसे घिसकर शहद के साथ दिन में दो तीन बार चटा सकते हैं . इससे बच्चे का दूध हजम हो जाता है और उल्टी भी नहीं होती .
                  यह कैंसर की प्रारम्भिक स्थिति में भी लाभकारी रहता है . चाहे कितने भी सड़े गले घाव क्यों न हों , इसे घिसकर लगाने से वे ठीक हो जाते हैं . सूजन भी ठीक होती है .
                    श्वास या खांसी की बीमारी में भी इसका एक ग्राम पावडर शहद के साथ चाटने से आराम आता है . Migraine की बीमारी में इसे घिसकर माथे पर लगा लें . लीवर में सूजन हो तब भी इसका पावडर लेते रहने से वह ठीक हो जाता है .

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