वैसे तो पकोड़े नहीं खाने चाहियें ; परन्तु इसके फूलों के पकोड़े बनाकर खाए जाएँ तो नुकसान नहीं करते . इसके फूलों को बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर कांच के बर्तन में रख दें . तीन चार दिन धूप दिखा दें . बस बन गया इसका गुलकंद ! इसे लेने से एकाग्रता बढती है . यह दिल और दिमाग के लिए अच्छा है . इसे लेने से धातु दुर्बलता ठीक हो जाती है . विक्षिप्तता की स्थिति को भी यह ठीक कर देता है .
White discharge की समस्या में , इसके फूलों का एक चम्मच पावडर दूध के साथ लिया जा सकता है . रक्त प्रदर होने पर फूलों और पत्तों का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर लें . Uterus में infections हों ,सूजन हो ,या फिर खुजली हो तो इसकी पत्तियों के रस को रुई में भिगोकर लगाना चाहिए . इससे vaginal infections और swelling भी ठीक होती है . इसके पत्तों में नीम के पत्तों का रस मिलाकर धोने से हर प्रकार के infections खत्म होते हैं .
इसकी पत्तियों का रस 1-1 बूँद आँखों में डालने से आँखों की रोशनी बढती है ऑंखें ठीक रहती हैं . Migraine की बीमारी में सिर में जिस तरफ दर्द हो उसके विपरीत दिशा वाले नाक में इसके पत्तों के रस की चार बूँद ड़ाल लें . सिरदर्द ठीक हो जाएगा .सर्दी एलर्जी या sinus की बीमारी में , इसके पत्तों के रस की बूँदें खाली पेट सुबह दोनों नाकों में डालें . यह लगेगी तो जरूर परन्तु बलगम निकल जाएगा .
आँतों में सूजन हो तो इसके पत्तों व फूलों का रस 3-4 चम्मच सवेरे खाली पेट लें और एक घंटे तक कुछ न खाएं . Piles की समस्या में भी इसी तरह से इसके रस को लें .
मूर्छा होने पर इसके पत्तों के रस की बूँदें नाक में डालें . बुखार होने पर इसकी एक डंडी की सभी कोमल पत्तियां +काली मिर्च मिलाकर काढ़ा बना लें . इससे बुखार तो ठीक होगा ही ; पेट साफ़ होगा और infections और एलर्जी भी ठीक हो जायेंगे .इसके पत्तों का रस जहरशामक होता है . इसको लेने food poisoning ठीक हो जाती है .
इसके फूल शुभ होते हैं और देव अर्चना के लिए उपयोग में लाये जाते हैं .यह वृक्ष भी शुभ गुणों से भरपूर है .
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