Monday, March 26, 2012

सरसों (mustard)


 
 
सरसों के पीले पीले फूलों से भरपूर लहलहाती फसल सबका मन मोह लेती है .
                  सरसों को संस्कृत भाषा में रजिका या तीक्ष्णगंधा भी कहते हैं .एक कहावत है ; "शाकेन रोगा: वर्धन्ते" . अधिक शाक के प्रयोग से रोग बढ़ते हैं . अत: उचित मात्रा में ही सरसों के साग का प्रयोग करना चाहिए . यह वायुकारक होता है ; इसीलिए इसमें अदरक इत्यादि मिलाकर इसका प्रयोग किया जाता है . इसके पत्तों पर कीटनाशक भी होते हैं , इसलिए इसके पत्तों का साग बनाने से पहले भली प्रकार गर्म पानी से इसे धो लेना चाहिए .
             शुद्ध सरसों का तेल प्रयोग में लाया जाए तो बहुत स्वास्थ्यवर्धक होता है . खाज खुजली के लिए 100 ग्राम तेल में 10 ग्राम देसी कपूर मिलाकर मालिश करें . इसकी मालिश से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं . इसके इस्तेमाल से बाल भी झड़ने बंद हो जाते हैं . जोड़ों के दर्द में इसके तेल में सौंठ या अदरक को पकाकर मालिश की जाए तो लाभ होता है .
               20 -25 ग्राम लहसुन +20-25 ग्राम अदरक लेकर 100 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं . जब लहसुन और अदरक सुर्ख लाल या काली सी पड़ जाएँ , तो तेल छान लें . यह तेल घुटनों के दर्द के लिए बहुत अच्छा है . इसे घुटनों पर अच्छी तरह मलकर घुटनों पर कोई मुलायम कपडा बाँध लें .
                     सरसों के तेल से कान के दर्द , किसी प्रकार का संक्रमण या कम सुनने की समस्या भी ठीक होती है . स्नान करने से पहले सरसों का तेल कान में डालना लाभदायक बताया जाता है .
                   पक्षाघात होने पर दो भाग सरसों के दाने +एक भाग सौंठ को मिलाकर , बारीक पीसकर , कपडछन कर लें . इस बारीक चूर्ण से प्रभावित हिस्से की खूब मालिश करें . इससे लाभ होता है .



                 

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