Sunday, March 4, 2012

कूठ (costus) (saussurea lappa)


 
 
कूठ को कूट भी कहते हैं . यह हिमालय क्षेत्र में 8000-9000 फुट की ऊँचाई पर पाया जाता है . संस्कृत में इसे हरिभद्रक या पुष्कर भी कहते हैं . बाज़ार में इसकी सूखी जड़ ही मिलती हैं . यह दुर्लभ औषधि है , अत: इसकी शुद्धता की जांच अवश्य कर लेनी चाहिए . इसके पत्ते चौड़े होते हैं और फूल गोल गोल होते हैं .
                इसका प्रयोग मुख्यत: स्नायु शक्ति को बढाने में और रक्त संचार बढ़ाने में किया जाताहै . इसकी जड़ के पावडर को मक्खन या तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करने से रक्त संचार बढ़ता है . स्नायु की कमजोरी खत्म होकर ताकत आती है . सर्दी ज़ुकाम होने पर इसका पावडर दूध , शहद या पानी के साथ लें . इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है .
                                               High B P हो तो इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए . लेकिन यह low B P को ठीक करता है . Low  B P होने पर इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम ले सकते हैं . Periods में दर्द होता हो या कम होता हो तो , periods शुरू होने से 10-15 दिन पहले इसे एक एक ग्राम सुबह शाम लेना प्रारम्भ कर दें . अनियमित periods होने पर भी इसे लेने से आराम आता है . पुरुषों को कमज़ोरी हो तब भी यह लाभदायक है .
                                                     शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द हो , पेट में दर्द हो या किसी अन्य प्रकार का दर्द हो तो , हल्दी+मेथी +सौंठ +अश्वगंधा +कूठ को मिलाकर कुछ दिनों तक लें . पेट में कीड़े हों , मचली हो , या दर्द हो तो , इसको आधा ग्राम की मात्रा में दिया जा सकता हैं . यह शरीर को उत्तेजित करता है ; इसलिए बच्चे की प्रकृति के अनुसार ही उसे दें . बहुत अधिक न दें .
                     कैंसर की दवाइयों के साथ इसे भी ले लिया जाए तो शरीर को जल्द ताकत लाने में सहयोगी रहता है . Paralysis के रोगी भी आधा से एक ग्राम तक इसे अपनी औषधियों के साथ साथ ले सकते हैं . इससे स्नायुओं को ताकत मिलेगी और वे बहुत जल्दी अच्छे हो जायेंगे .
                  बुखार होने पर इसे आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लें . इससे बुखार में आने वाली शारीरिक शिथिलता दूर होती है . गिलोय , तुलसी , मुलेठी और गाजवा के काढ़े के साथ कूठ भी मिला ली जाए , तो बुखार जल्द ही ठीक होता है . दमा होने पर श्वसारी रस में या खांसी के काढ़े में कूठ का पावडर मिलाकर लें .
                        त्वचा की किसी भी परेशानी के लिए इसके पत्ते को पीसकर उसका रस लगाएं.  इससे eczema , दाद , खुजली , एलर्जी आदि सभी त्वचा के रोग ठीक होते हैं . इससे झाइयाँ , कील मुहासे आदि भी ठीक होते हैं . पत्ते न मिलें तो इसकी जड़ चन्दन की तरह घिसकर लगायें . इसको लगाने से घाव भी भर जाते हैं .
                         













No comments:

Post a Comment