आलू सबको बहुत ही प्रिय होता है . इसके चिप्स , बर्गर , फ्रेंच फ्राई आदि बहुतायत से खाए जाते हैं . लेकिन इसको तलकर खाना सबसे हानिकारक होता है . इससे colitis ,कैंसर , gastric trouble अदि हो सकते हैं .
अगर इसे उबालकर या बिना तेल के भूनकर खाया जाए तो यह बहुत लाभकारी है .
अगर अपच की शिकायत हो तो आलू को कोयले या उपलों में भूनकर , छीलकर , नीम्बू और नमक लगाकर सेवन करें . इसका यदि कम मात्रा में सेवन किया जाए, तो यह शक्ति वर्धक , पौष्टिक और स्फूर्ति वर्धक होता है . यह शुक्र की भी वृद्धि करता है .
खांसी होने पर इसकी ताज़ी पत्तियों का काढ़ा पीया जा सकता है . यह सूप की तरह स्वादिष्ट भी लगेगा और खांसी भी दूर कर देगा .
शरीर में कहीं पर भी खुजली की शिकायत है तो इसकी पत्तियों को पीसकर उसका रस लगायें .
शरीर में कहीं पर भी खुजली की शिकायत है तो इसकी पत्तियों को पीसकर उसका रस लगायें .
मुंह पर झाइयाँ या कील मुंहासे हो गये हों तो , आलू को पीसकर उस पर लगायें .
uric acid बढ़ने से सूजन आ गई हो तो , इसके पत्तों को उबालकर उसमें नमक मिलाकर सिकाई करें . लेकिन uric acid बढने पर आलू खाना नहीं चाहिए . यह uric acid को बढाता है .
कहीं पर जल जाएँ तो तुरंत आलू काटकर लगा लें.
यह सम्पूर्ण भोजन है ; अत: फलाहार में भी इसे सम्मिलित किया जाता है .
. अधिक मात्रा में सेवन करने से यह मल की मात्रा को बढ़ाता है , शरीर की स्थूलता बढ़ाता है और आलस्य पैदा करता है . इसलिए इसका कम मात्रा में सेवन करना चाहिए.
कहीं पर जल जाएँ तो तुरंत आलू काटकर लगा लें.
यह सम्पूर्ण भोजन है ; अत: फलाहार में भी इसे सम्मिलित किया जाता है .
. अधिक मात्रा में सेवन करने से यह मल की मात्रा को बढ़ाता है , शरीर की स्थूलता बढ़ाता है और आलस्य पैदा करता है . इसलिए इसका कम मात्रा में सेवन करना चाहिए.
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