यह पूरी तरह निरापद नहीं है . इसका औषधि के तौर पर उचित व कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए . ऐसा पाया गया है कि कैंसर की बीमारी में यह अत्यंत गुणकारी है . इस दिशा में अभी अनुसन्धान चल रहे हैं .
इसकी हड्डी जैसी आकृति की गाँठ का प्रयोग टूटी हड्डी को जोड़ने के लिए प्रयोग में लाया जाता है . यद्यपि हड्डी जोड़ने के लिए , हडजोड और विधारा का भी इस्तेमाल किया जाता है ; परन्तु बन्दा हड्डी जोड़ने के लिए अभूतपूर्व और विलक्षण गुणों से परिपूर्ण है . इसकी गाँठ पत्तियां और और टहनी को सुखाकर , पावडर करके 3-3 ग्राम सवेरे शाम लेने से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है और टूटी हड्डियाँ जल्दी जुड़ जाती हैं . इसकी पत्तियों को तोडकर टूटी हड्डियों पर बाँध दें तो वे और भी जल्दी जुड़ेंगी .
Arthritis , osteoporosis हो या हड्डियाँ गल गई हों , या फिर हड्डियाँ कमजोर पड़ गई हों तो , इसकी सूखी पत्तियों का पावडर 2-2 ग्राम की मात्रा में सवेरे शाम लें . इसके अलावा 1-2 ग्राम बंदा+2 ग्राम पंचकोल को मिलाकर , 400 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर, सवेरे शाम ले सकते हैं .
रक्त स्राव हो , दस्त लगे हों या हैजा हो गया हो या फिर periods में excess bleeding हो रही हो तो इसकी 1-2 पत्ती पीसकर , शर्बत बनाकर , कुछ दिन तक लें . इसका अधिक प्रयोग न करें . अगर दमा या खांसी हो तो , इसके पत्तों का पावडर 1-2 ग्राम की मात्रा में अदरक और शहद के साथ मिलाकर सुबह शाम लें . ये भी कुछ दिन ही लें .
दर्द या सूजन हो तो इसके पत्ते उबालकर सिकाई करें .
इस पौधे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक है . इस पौधे के स्पर्श से आती हुई वायु भी लाभकारी होती है . इसकी लकड़ी को घर में रखने से रोग नहीं बढ़ते . यह बंदा बन्दों के रोगों के लिए विचित्र किन्तु अभूतपूर्व पौधा है .
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