स्तन में गाँठ या कैंसर की सम्भावना हो तो , इसकी जड़ और अश्वगंधा की जड़ घिसकर लगाएँ . इसका मुख्य गुण संकोचन का है . इसलिए अगर कहीं भी मांस का ढीलापन है तो , इसकी जड़ का गाढ़ा सा काढा बनाकर वैसलीन में मिला लें और मालिश करें . anus बाहर आता है तो toilet के बाद मालिश करें . uterus बाहर आता है तो , पत्तियां पीसकर रुई से उस स्थान को धोएँ . hydrocele की समस्या हो या सूजन हो तो पत्तोयों को उबालकर सेक करें या पत्तियां पीसकर लेप करें . हृदय या kidney बढ़ गए हैं, उन्हें shrink करना है , तो इस पौधे को पूरा सुखाकर , इसके पाँचों अंगों (पंचांग ) का 5 ग्राम 400 ग्राम पानी में उबालें . जब रह जाए एक चोथाई, तो सवेरे खाली पेट पी लें .
यदि bleeding हो रही है piles की या periods की या फिर दस्तों की , तो इसकी 3-4 ग्राम जड़ पीसकर उसे दही में मिलाकर प्रात:काल ले लें ,या इसके पांच ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ. Goitre की या tonsil की परेशानी हो तो , इसकी पत्तियों को पीसकर गले पर लेप करें . Uterus में कोई विकार है तो , इसके एक ग्राम बीज सवेरे खाली पेट लें .अगर diabetes है तो इसका 5 ग्राम पंचांग का पावडर सवेरे लें . पथरी किसी भी तरह की है तो , इसके 5 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ . पेशाब रुक - रुक कर आता है या कहीं पर भी सूजन या गाँठ है तो इसके 5 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीएँ
यह पौधा बहुत गुणवान है और बहुत विनम्र भी ; तभी तो इतना शर्माता है . आप भी इसे लजाते हुए देख सकते है . बस अपने गमले में लगाइए और पत्तियों को छू भर दीजिये .
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