Sunday, September 4, 2011

सावन का जादू !


सावन का तो मौसम ही ऐसा है जो चारों तरफ हरियाली ला देता है  बच्चे, बड़े सभी इस दौरान खुद को तरोताजा महसूस करने लगते हैं.  लोक गीतों में सावन के महीने में जो गीत गाए जाते हैं उनमें सबसे ज्यादा विरह गीत हैं.  हमारे यहां परंपरा है कि पहले  सावन में  तीज पर पत्नी को मायके भेज दिया जाता है.  ऐसे में स्वभाविक है वह अपनी सहेलियों के साथ आनन्द भी करती है और अपने पति को याद करते हुए विरह गीत भी गाती है.  शास्त्रीय संगीत में तो सावन का खास महत्व है.  कहते हैं जब राग मल्हार गाया जाता था तो सूखे में भी बारिश होने लगती थी.  पूजा पाठ के लिहाज से भी इस महीने को बड़ा पवित्र माना जाता है  बारिश में धमा चौकड़ी मचाने में खूब मजा आता है.  सावन के महीने में तो यहां कई बार दिन रात बारिश होती रहती है.  हम खुश होते थे, जब बारिश की वजह से हमें स्कूल नहीं जाना पड़ता था. माँ  गरमागरम पकौड़े बनातीं और हम सब दिन भर बारिश में मौज मस्ती करते रहते. सावन में मज़े करने का इससे बेहतर तरीका और कौन सा हो सकता है?बारिश  के मौसम में मीठे पूड़े बनाने का रिवाज है. बारिश के मौसम में खानपान, पहनावा, दिनचर्या सब कुछ बदल जाता है.
अम्मा मेरे बाबा को भेजो री
नन्हीं नन्हीं बूंदिया रे
सावन का मेरा झूलना 
'उत्तर भारत में तो सावन के मायने ही कुछ और हैं. हर लड़की को सावन का इंतजार रहता है.  सावन में गाई जाने वाली कजरी तन, मन को तृप्त कर जाती है. 

कच्चे नीम पर निम्बौरी                                                                                                  
सावन जल्दी आना रे       या फिर ,
अरी बहना !
झूलों की आई है बहार 
चलो झूला झूलें 
बाग़ में .
 सावन न होता, तो बारिश कैसे होती? गर्मी से राहत कैसे मिलती? रिमझिम फुहारों के बीच झमाझम फुहारों के बीच में अपनों के साथ भुट्टा खाने का आनंद कैसे उठाते? ऐसे कई कारण है, जिनकी वजह से सावन है मेरा मनपसंद  मौसम.हर नुक्कड़ पर कच्चे कोयलों के लाल सुर्ख अंगारों पर लोहे की जाली के ऊपर उलट पलट कर भुनते हुए भुट्टे . आहा ! यह दृश्य, और भुनते भुट्टे की सुगंध ; मन ही नहीं आत्मा तक को परम आनन्द में आप्लावित कर देती है . जब उस गर्मागर्म भुट्टे पर मसाला और नीम्बू लगवाकर भीगी बरसात में खाने का मज़ा लिया जाता है ; तो कहना ही क्या ! मैं सच कहती हूँ सब पीज़ा , बर्गर उसके सामने व्यर्थ प्रतीत होते हैं .
जब प्रकृति ने हरी साड़ी पहन ली हो तो किसका मन नहीं मचल उठेगा।सभी बरसात में प्रसन्न होते हैं  और हरियाली देखने के लिए ही  सावन की आस होती है। आजकल वैसे भी हरियाली खत्म होती जा रही है। सावन में हरी-हरी मेंहदी इस हरियाली में मिल जाती है। पेड़ों पर झूले और पेंग भरती महिलाएं तो अब कम दिखती हैं, लेकिन सावन के आते ही उनकी छवि जरूर उभर आती है .मन में. इस मौसम की अगुवाई करते हैं फूल. रंग-बिरंगी दुनिया सज जाती है फूलों की। शुरू से ही मैं फूलों की दीवानी हूं और इस महकते मौसम में खिलते फूलों को देखने के लिए मैं सावन की राह देखती हूं.  तेज गर्मी के बाद सुहावने मौसम में पकौड़ों का स्वाद दोगुना हो जाता है.  सकारात्मक ऊर्जा आती हैं इस मनभावन सावन में .

घनघोर घटाओं के बीच जब बिजली चमकती है और बारिश की फुहार तन-मन भिगो देती है, तब लगता है कि सावन आया.  इसी मस्ती के मौसम के लिए मुझे पूरे साल सावन का इंतजार रहता है.  रिमझिम बूंदों का महीना है सावन। आसमान सें बरसता पानी बहुत रोमांचित करता है . बचपन के वे दिन तो आज भी नहीं भूलते जब आँगन में खड़े होकर सिर पर बाउजी का काला छाता तान लेते और टप टप गिरती बूंदों का आनन्द लेते .मैं तो अपने बस्ते में एक बड़ा सा पारदर्शी मोमजामा ज़रूर रखती थी . कभी स्कूल से वापिस आते समय बारिश हुई, तो चटपट मोमजामा खोला और ओढ़ लिया. फिर ऊपर गिरती बूंदे टपाटप गिरती हुई दिखती तो थी पर भिगो नहीं पाती थी . यह सब जादू जैसा लगता था . अब तो वे सभी बातें सपना होकर रह गई है . पर सावन का जादू तो चिरकाल तक हरीतिमा से परिपूर्ण रहेगा ; याने evergreen !  


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